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पीरियड्स के दौरान महिलाओं को कई तरह के काम करने की मनाही है, जैसे किचन में नहीं जाना, पूजा-पाठ न करना। ऐसा कहा जाता है कि मासिक धर्म के समय महिलाएं अपवित्र हो जाती है। इस लिए उन्हें कई काम करने से बचना चाहिए। प्राचीन समय तो महिलाओं को घर से निकलने की भी मनाही होती थी। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि महिलाओं पर मासिक धर्म के दौरान इस तरह की पबंदियां क्यों होती है। तो आइए जानते हैं इसके पीछे का वैज्ञानिक कारण...

पीरियड्स में प्राचीन समय में बाहर निकलने पर पबंदी क्यों?
1. शारीरिक समस्याएं
कुछ लोगों को मासिक धर्म के दौरान शारीरिक परेशानी या दर्द का अनुभव ज्यादा होता है, जैसे पेट में ऐंठन, सूजन या थकान। ये लक्षण गतिविधियों में शामिल होने या घर के बाहर सहज महसूस करने को और ज्यादा मुश्किल बना देते हैं।
पीरियड्स के दौरान महिलाएं खुद को स्वच्छ रखने और कंफर्टेबल फील करने के लिए सैनिटरी पैड का इस्तेमाल करती हैं। सैनिटरी पैड पहनने में सिंपल, कहीं लाने - ले जाने में आसान, सुविधाजनक और बदलने में भी काफी आसान होती हैं। लेकिन गर्मी के मौसम में इसके इस्तेमाल से कई बार आपरो रैसेज की समस्या हो सकती है, साथ ही जलन, संक्रमण की संभावना भी काफी बढ़ जाती है।

22 मार्च से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो रही है। इन दिनों कई लोग नवरात्रि के 9 दिनों तक मां दुर्गा के लिए व्रत रखते हैं। हिंदू धर्म में नवरात्रि के 9 दिन के व्रत का बहुत महत्व होता है। ऐसे में कई प्रेग्नेंट महिलाएं भी नवरात्रि के 9 दिनों तक व्रत रखती हैं। लेकिन प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए नवरात्रि के पूरे 9 दिनों तक व्रत रखना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। कई महिलाएं नवरात्रि में व्रत रखते हुए अपनी डाइट का कैसे ख्याल रखें इस बात को लेकर काफी परेशान रहती है। ऐसे में आज हम उन प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए नवरात्रि के व्रत का डाइट प्लान लेकर आए हैं। जिसे फॉलो कर आप व्रत के दौरान भी अपने होने वाले बच्चे और खुद के हेल्थ का ध्यान रख पाएंगे
1. संतुलित भोजन करें
व्रत के दौरान प्रेग्नेंट महिलाएं इस बात को सुनिश्चित करें कि उनके व्रत के खाने में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और हेल्दी फेट शामिल हो। इस तरह के खाद्य पदार्थ आपको एनर्जी देने में मदद करेगा।

2. फल और सब्जियां
फल और सब्जियां विटामिन, मिनरल्स और फाइबर से भरपूर होती हैं। व्रत के दौरान प्रेग्नेंट महिलाओं को थोड़े-थोड़े समय पर फल खाएं। कई सब्जियां भी ऐसी होती है जो व्रत के दौरान अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं। ऐसे में आप अपने खाने में कई तरह के फलों और सब्जियों को शामिल करने की कोशिश करें।

नट्स प्रोटीन, हेल्दी फेट और फाइबर का एक अच्छा स्रोत हैं। अपनी एनर्जी को बनाए रखने के लिए बादाम, अखरोट, या पिस्ता जैसे ड्राई फ्रूट अपनी डाइट में शामिल करें।

4. डेयरी प्रोडक्ट्स
दूध और दही जैसे डेयरी उत्पाद प्रोटीन और कैल्शियम से भरपूर होते हैं। लेकिन इस दौरान आप हाई शुगर या फेट वाले डेयरी प्रोडक्ट को खाने से बचें।

कैफीन आपके दिल की गति और हाई ब्लड प्रेशर को बढ़ा सकता है जो प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को लेने से सख्त माना किया जाता है। ऐसे में आप व्रत के दौरान चाय, कॉफी और अन्य कैफीनयुक्त चीजें पीने से परहेज करें।

6. डीप फ्राई खाने से रहें दूर
व्रत के दौरान महिलाएं कुट्टू के आटे की पूरी, चिप्स जैसे डीप फ्राई फूड्स खाती हैं जो उनके सेहत को नुकसान पहुंचा सकती है। इसलिए प्रेग्नेंसी में महिलाएं अपने खाने को डीप फ्राई करने से बचें और स्वस्थ खाना पकाने के तरीकों को चुनें।

7. कैलोरी इंटेक पर रखें ध्यान
व्रत के दौरान महिलाएं अपना ज्यादा ध्यान रखने के चक्कर में ज्यादा ही खाने लगती हैं। जिस कारण वो लिमिट से ज्यादा कैलोरी का सेवन करने लगती है। ऐसे में आप ज्यादा खाने से बचें ताकि अपच और बैचेनी की समस्या से बच सकते हैं।

व्रत के दौरान प्रेग्नेंट महिलाएं खुद को हाइड्रेट रखने की कोशिश करें। पानी, जूस, जैसे पेय अपनी डाइट में शामिल करें।
( डिस्क्लेमर : इस लेख में दी गई सभी जानकारी और सूचनाएं सामान्य जानकारियों पर आधारित हैं। इन चीजों पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें। )
महिलाओं के बारें में ये कहना कि वो कुछ कर नहीं सकतीं या वो कुछ बड़ा अचीव नहीं कर सकती तो ये एक मिथ है। आज के वक्त में देखा जाए तो दुनिया की बड़ी-बड़ी कंपनियों से लेकर देशों को संभालने का काम महिलाएं बखूबी निभा रही हैं और उसमें अपना बेस्ट दे रही हैं जो शायद पुरुष भी नहीं कर सकते हैं। आज की महिला जितनी सॉफ्ट है उतनी ही मजबूत भी है। महिलाएं आज को सारे काम कर रही हैं जिनके बारें में कहा जाता था कि ये काम औरतों का नहीं है वो कमजोर है, लेकिन महिलाओं ने अपनी हिम्मत, शॉर्प ब्रेन और मेहनत के दम पर सब को झूठा साबित करके ये दिखाया है वो पुरूषों के बराबर नहीं बल्कि उनसे आगे हैं। अपने देश भारत की महिलाओं की बात करें तो एक सफल हाउस वाइफ से लेकर प्रशासनिक अधिकारी, बेस्ट स्पोर्ट्स पर्सन, बिजनेस वुमन तक की फील्ड में सफलता के झंडे गाड़ रही हैं। हमारी ये स्टोरी ऐसी ही कुछ महिलाओं के बारें में हैं, इनकी उपलब्धी की कहानी लिखी जाए तो शब्द कम पड़ने लगते हैं। इन्होंने अपनी हिम्मत और काबलियत के दम पर अपने सिर पर कामयाबी का ताज पहना है। जो लोग बहुत ज्यादा काम या बड़ा काम देखकर घबरा जाते हैं, ये वहीं काम अपने दम पर पूरा करती हैं। क्योंकि सफलता कभी छोटी नहीं होती है और जब तक प्रयास नहीं करेंगे तब तक आप मंजिल नहीं पा सकते, लेकिन इन महिलाओं ने ये करके दिखाया हैं। कहते हैं ना, ''गिरते हैं शहसवार ही मैदान-ए-जंग में, वो तिफ़्ल क्या गिरे जो घुटनों के बल चले''। तो इन महिलाओं ने इस बात को प्रूफ कर दिया है कि वो दुनिया को बदल सकती है, कुछ नया कर सकती हैं-

तहसीन महाराष्ट्र के पुणे शहर में सोशल वर्कर हैं, साथ ही एक बेहतरीन इंसान भी हैं। इनको अपने काम के दम पर अब तक तीन स्टेट लेवल पुरस्कार मिल चुके हैं। इन्होंने डिग्री तो पत्रकारिता की ली, साथ ही कई बड़े समाचार चैनलों में भी काम किया, लेकिन इनका मन उसमें नहीं रमा। इन्होंने अपनी नौकरी को छोड़ा और सामाजिक कार्यकर्ता बन गईं। तहसीन ने कोरोना काल में, जब लोग अपने घरों के अंदर थे, बाहर निकल कर गरीब, असहाय लोगों की मदद की। जिनके पास खाना नहीं था उनको खाना प्रोवाइड करवाने का काम किया, कपड़ों से लेकर कोरोना में पीड़ित लोगों को अस्पताल पहुंचवाने का काम इन्होंने किया। तेहसीन के इनीशिएटिव पर डॉन बॉस्को संस्था, जिसमें ये प्रोजेक्ट मॅनेजर के तौर पर काम करती हैं, एक फ्री मॉल कॉन्सेप्ट स्टार्ट किया। जहां पर लोग फ्री में आकर सामान ले जाते हैं, जिसमें कपड़ो से लेकर जूते-चप्पल, डेली यूज का सामान भी प्रोवाइड करवाया जाता है। कोरोना की वजह से जिन बच्चों का स्कूल छूट गया उनको दोबारा स्कूल में इन-रोल करवाने का काम तहसीन ने किया। तहसीन अभी वृद्ध महिलाओं के साथ सोशल मीडिया पर एक कैंपेन कर रही हैं। खुद कोरोना से पीड़ित होने के बाद भी इन्होंने अपना काम जारी रखा था। इस विमेंस डे पर हमारी तरफ से तहसीन के ज़ज्बे को सलाम।

बनारस की रहने वाली हाउस वाइफ से इंटरप्रेन्योर बनीं कविता उपाध्याय की कहानी काफी इंस्पिरेशनल है। कविता पिछले 10 सालों से बनारस में हाइपर लोकल डिजिटल न्यूज मीडिया हाउस का सफल संचालन कर रही हैं। साल 2013 में कविता ने डिजिटल इंडिया की ताकत जाना और वाराणसी के लोगों के लिए डिजिटल न्यूज वेंचर की शुरूआत की। मैनेजिंग डायरेक्टर कविता के साथ इस वक्त 15 लोगों की टीम काम करती है। 2020 के लॉकडाउन में जब लोग घरों में कैद थे, तब इनके मीडिया चैनल ने बनारस की पल-पल की खबरों को लोगों से रूबरू करवाया। कविता अपनी दूसरी जिम्मेदारी भी बखूबी निभाती हैं। संयुक्त परिवार में रह रहीं कविता एक बहु के तौर पर भी अपने सारे फर्ज पूरा करती हैं।

बिंदु चावला के बारें में कहने के लिए शायद ये पेज छोटा पड़ जाए, क्योंकि इन्होंने जो काम किया है, वो शायद आज के वक्त के बेटे भी नहीं करते, जो एक बेटी के तौर पर इन्होंने किया है। बिंदु एक प्रोडक्शन कंपनी की हेड हैं, लेकिन इसके साथ ही वो अपने पेरेंट्स के लिए किसी बेटे से कम नहीं है। जब उनका करियर पीक पर था तब उन्होंने अपने बूढ़े माता-पिता के लिए नौकरी छोड़ दी और उनकी सेवा में लग गईं। अपने पेरेंट्स की सेवा करने के लिए बिंदु ने शादी तक नहीं की, क्योंकि उनको लगता था कि जिस तरह से वो अभी अपने माता-पिता का ख्याल रखती हैं वैसा शायद शादी के बाद मुमकिन नहीं होगा। पिता का पिछले साल देहान्त होने के बाद बिंदु अपनी मां जो पैरालिसिस की शिकार हैं, उनकी सेवा में दिन रात लगी रहती हैं। जहां आज के वक्त में बेटे अपने माता-पिता को घर से निकाल देते हैं, ओल्ड एज होम भेज देते हैं, ऐसे वक्त में एक प्रोडक्शन कंपनी की मालकिन बिंदु का अपने पैरेंट्स के लिए ये ज़ज्बा काबिले तारीफ है।

सऊदी अरब देश जहां पर लड़कियों के लिए काफी सख्त रूल्स है, में पैदा हुई आयशा ने बचपन से ही बाग़ी तेवर दिखाने शुरू कर दिये थे। जहां लड़कियां घर में बैठ कर इधर-उधर की बातों में मशगूल रहती थीं तब छोटी आयशा बाहर निकल कर साइकिल चलाती थीं। आयशा जब बड़ी हुईं तब इनका शौक बाइक चलाने में तब्दील हो गया। 2010 में आयशा की फैमली जेद्दाह से इंडिया वापस आई तो इन्हें लखनऊ में उड़ने का पूरा आसमान मिल गया। उनको यहां पर हर वो काम की आजादी मिली जो वो अरब में रह कर नहीं कर पा रही थीं। यहां से उनका बाइक चलाने का सफर शुरू होता है और जल्द ही उनकी पहचान बुर्का राइडर के तौर पर होने लग गई। आयशा अब तक लखनऊ से नैनिताल, दिल्ली से जयपुर, दिल्ली से लद्दाख का सफर तय कर चुकी हैं। खास बात ये है कि आयशा अपना हिजाब नहीं उतारती हैं, वो कहती हैं ये मेरी पहचान है। अब तक उनकी झोली में कई सारें अचीवमेंट और ईनाम आ चुके हैं।

सानिया मुनव्वर ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है। इन्होंने देश का नाम दुनिया में रोशन करते हुए संयुक्त राष्ट्र युवा सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व किया। सानिया को विश्व वन्यजीव कोष (WWF) को भारतीय राजदूत के रूप में भी चुना गया। ब्रिटेन के हर्टफोर्डशायर विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान सानिया ने UK में लेबर पार्टी जॉइन कर ली। बरो के लेबर पार्टी यूथ ऑफिसर के रूप में चुनी गईं। पार्टी का प्रतिनिधित्व करते हुए टाउन काउंसलर चुनाव के लिए भी खड़ी हुईं और उपविजेता रहीं, जो लखनऊ शहर की लड़की के लिए बड़ा अचीवमेंट है। सानिया ने लगातार 2 सालों तक प्रतिष्ठित डीन का पुरस्कार भी जीता है।

हरियाणा के झज्जर की रहने वाली दृष्टि अभी अपने 10th बोर्ड का एग्जाम दे रही हैं। लेकिन इनके अचीवमेंट इनके उम्र से ना आंके। छोटी से उम्र में डिप्रेशन झेल चुकी और खुद को इससे बाहर निकालने में कामयाब होने के बाद दृष्टि ने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा। दृष्टि एक बाइक राइडर हैं, साथ ही वो पिता के एनजीओ में भी काम करती है। वो अपने पिता के ऑफिस जाकर काम करती हैं और पैसा कमाती हैं। दृष्टि अपने पिता के एक प्रोजेक्ट जो पेड़-पौधों में टैगिंग का काम करता है उसको लीड भी करती हैं। अपनी पढ़ाई करने के बाद वो इन्हीं कामों में लग जाती हैं। इसके साथ ही वो अपने पिता के साथ ही बाइकर ग्रुप का हिस्सा हैं, जो अब तक हजारों मील का सफर बाइक से तय कर चुके हैं। स्कूल में दृष्टि को बच्चों के द्वारा बुली किया जाता था, जिसके बाद वो डिप्रेशन में चली गईं, लेकिन दृष्टि पूरी बहादुरी के साथ अपने अवसाद से लड़ीं और कम उम्र में ही एक सफल बाइक राइडर हैं।