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नई दिल्ली: दीवाली के बाद से लगातार प्रदूषण से जूझती दिल्ली और आसपास के NCR क्षेत्र में सांस लेना दिन-ब-दिन दूभर होता जा रहा है. शुक्रवार को दिल्ली-NCR में वायु प्रदूषण का स्तर बेहद खतरनाक हो गया है, और धुंध की मोटी-सी चादर बिछी हेने के चलते समूची दिल्ली गैस चैम्बर में तब्दील हो गई जान पड़ती है. प्रदूषण का सबसे बड़ा सबूत माने जाने वाले AQI का स्तर दिल्ली के कई इलाकों में 750 के पार है, और लगभग 800 तक पहुंच गया है. वैसे, प्रदूषण से निपटने के लिए ग्रेडेड रेस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) 4 लागू कर दिया गया है.
मामले से जुड़ी अहम जानकारियां :
शुक्रवार सुबह 10 बजे PM-10 का स्तर जहांगीरपुरी में 763 और बवाना में 720 दर्ज हुआ.
नरेला (665), वज़ीरपुर (650), रोहिणी (625) में भी प्रदूषण मानक PM-10 का स्तर बेहद खतरनाक रहा.
वैसे, ग्रैप-4 के तहत दिल्ली में कर्मशियल ट्रकों के आने पर रोक लगा दी गई है. डीज़ल से चलने वाले मध्यम और भारी वाहनों पर भी रोक लगाई गई है.
इसके अलावा, ईंधन पर चलने वाली सभी इंडस्ट्रियों को बंद कर दिया गया है, तथा निर्माण करने और ढहाने पर भी रोक लगाई गई है.
सरकारी-निजी दफ़्तरों को 50 फीसदी स्टाफ को ही बुलाए जाने की सलाह दी गई है, तथा कहा गया है कि राज्य सरकारें शिक्षण संस्थाओं को बंद करने का फैसला कर सकती हैं.
नई दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर समेत उत्तर भारत में पिछले दिनों हुई बारिश के कारण तापमान में काफी गिरावट आई है. वहीं मौसम की बात कें तो पश्चिमी विक्षोभ ऊपरी इलाकों पर ट्रफ बनाया हुआ है. चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र हरियाणा और आसपास के इलाकों पर बना हुआ है. जिसके कारण राजस्थान समेत देश के कई राज्यों में बारिश हो सकती है. पश्चिमी विक्षोभ का झारखंड के कुछ इलाकों में भी असर दिख सकता है. आज मौसम कैसा रहेगा आइए जानते हैं.
उत्तर प्रदेश में राजधानी लखनऊ समेत कई जिलों में भारी बारिश को देखते हुए 12वीं तक के सभी सरकारी और गैर सरकारी स्कूलों और उच्च शिक्षण संस्थानों को बंद करने का फैसला लिया गया है. पश्चिमी विक्षोभ का झारखंड के कुछ इलाकों में असर दिख सकता है. दिल्ली में बारिश के कारण पारा गिरा गया है.
इन राज्यों में होगी बारिश
आज यानी बुधवार को देश के कई हिस्सों में बारिश हो सकती है. स्काईमेट वेदर के मुताबिक, अगले 24 घंटों के दौरान अरुणाचल प्रदेश में मध्यम बारिश हो सकती है. इसके अलावा सिक्किम, असम, मेघालय, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है.
इन राज्यों में बादल गरजने के साथ बिजली चमक सकती है
मौसम विभाग के अनुसार हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तप प्रदेश, मध्य प्रदेश, विदर्भ, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड, सिक्किम, गोवा, उड़ीसा, अरुणाचल प्रदेश, असम, मेघालय, नागालैंड महाराष्ट्र में बादल गरजने के साथ बिजली चमक सकती है.
New Delhi: भारी बारिश के कारण हुए भूस्खलन, बाढ़ के कारण शनिवार को हिमाचल प्रदेश, झारखंड, ओडिशा और उत्तराखंड सहित कई राज्यों में 31 लोगों की मौत हो गई. मौसम कार्यालय ने रविवार को पश्चिम मध्य प्रदेश में और सोमवार को पूर्वी राजस्थान में अत्यधिक भारी बारिश की भविष्यवाणी की है.
मामले से जुड़ी अहम जानकारियां :
उत्तराखंड में लगातार बादल फटने से चार लोगों की मौत हो गई और 10 लापता हो गए. कई गांवों से हजारों लोगों को निकाला गया है. दरअसल यहां पर नदियां खतरे के निशान को पार कर गई हैं और पुल बह गए हैं.
उत्तराखंड टिहरी जिले के ग्वाद गांव में मूसलाधार बारिश ने दो घरों को क्षतिग्रस्त कर दिया, जिससे सात लोग मलबे में दब गए. टिहरी के जिलाधिकारी सौरभ गहरवार ने बताया कि मलबे से दो शव बरामद किए गए हैं. उन्होंने बताया कि कोठार गांव में मलबे में दबने से दम घुटने पर एक बुजुर्ग महिला की मौत हो गई. पौड़ी जिले के बिनाक गांव में एक घर ढह गया जिससे 70 वर्षीय दर्शनी देवी की मौत हो गई.
ओडिशा के उत्तरी हिस्से में शुक्रवार रात भारी बारिश होने के कारण कई नदियों के उफनाने से बाढ़ का खतरा पैदा हो गया है. राज्य महानदी नदी प्रणाली में पहले ही बाढ़ की मार झेल रहा है, जहां 500 गांवों में लगभग 4 लाख लोग फंसे हुए हैं. ओडिशा जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता बी. के. मिश्रा ने शनिवार को कहा कि बालासोर, क्योंझर और मयूरभंज में बीती रात भारी बारिश हुई है, जिसके बाद सुवर्णरेखा, बुधबलंग, वैतरणी और सालंदी में जल स्तर पर नजर रखी जा रही है.
झारखंड में शुक्रवार की शाम से तेज हवाओं के साथ भारी बारिश हो रही है. इससे सैकड़ों पेड़ एवं बिजली के खंभे उखड़ गये हैं जबकि कई जिलों में निचले इलाके जलमग्न हो गये हैं. एक अधिकारी ने बताया कि पश्चिम सिंहभूम जिले में शनिवार की सुबह मिट्टी की दीवार गिरने की घटना में एक महिला की मौत हो गयी.
जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में वैष्णो देवी यात्रा शनिवार की सुबह फिर से शुरू हो गई, जब तीर्थयात्रा मार्ग पर भारी बारिश के कारण बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो गई थी.
नई दिल्ली : गुजरात और राजस्थान में मौसमी बारिश की शुरुआत के साथ दक्षिण-पश्चिम मानसून पूरे देश में पहुंच गया है. भारत मौसम विज्ञान विभाग ने शनिवार को यह जानकारी दी. मौसम विभाग ने कहा, ‘‘आठ जुलाई की सामान्य तिथि से छह दिन पहले शनिवार को दक्षिण-पश्चिम मानसून पूरे देश में दस्तक दे चुका है.'' एक जून की सामान्य तिथि से तीन दिन पहले 29 मई को दक्षिण-पश्चिम मानसून की शुरुआत केरल में हुई थी.
कृषि आधारित अर्थव्यवस्था के लिए अहम दक्षिण-पश्चिम मानसून की प्रगति सुस्त रही है और देश में बारिश में आठ प्रतिशत तक की कमी दर्ज की गई है. मौसम वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि आने वाले महीनों में मानसून रफ्तार पकड़ेगा और जुलाई में देश में अच्छी बारिश होगी.
आईएमडी के मुताबिक, राजस्थान को छोड़कर मानसून के कोर जोन में आने वाले सभी राज्यों में अब तक कम बारिश हुई है. मानसून कोर जोन में राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और ओडिशा राज्य शामिल हैं जो वर्षा आधारित कृषि क्षेत्र हैं.
गुजरात में 2 जुलाई तक लंबी अवधि के औसत की तुलना में 37 फीसदी कम बारिश हुई है, इसके बाद ओडिशा में 34 फीसदी, महाराष्ट्र में 25 फीसदी, छत्तीसगढ़ में 25 फीसदी, और मध्य प्रदेश में 15 प्रतिशत बारिश हुई है. हालांकि राजस्थान में लंबी अवधि के औसत की तुलना में 33 फीसदी अधिक बारिश हुई है.
मौसम कार्यालय ने अगले पांच दिनों के दौरान ओडिशा, गुजरात, कोंकण और गोवा में, 4 और 5 जुलाई को मध्य भारत में और 5 और 6 जुलाई को उत्तर पश्चिम भारत में बारिश की गतिविधियों के बढ़ने का अनुमान लगाया है.
राज्य मौसम कार्यालय के मुताबिक, मानसून सामान्य से छह दिन पहले ही शनिवार को पूरे देश में छा चुका है, लेकिन इस सीजन में बारिश का औसत 5 फीसदी कम है. दुनिया के दूसरे सबसे अधिक आबादी वाले देश में कृषि उत्पादन और आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण मानसून सामान्य से कुछ दिन पहले 29 मई को दक्षिणी केरल राज्य के तट पर पहुंचा था, आशाजनक शुरुआत के बाद बारिश में धीरे-धीरे कम आई है और जून में 8 फीसदी कम बारिश हुई है.
पिछले महीने हुई हल्की बारिश ने धान रोपने की गति को धीमा कर दिया. भारत के चावल किसानों ने इस सीजन में अब तक 43 लाख हेक्टेयर में अनाज बोया है, जो पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में 27 फीसदी कम है. मानसून में देश की करीब 70 फीसदी बारिश होती है. भारत में चावल उत्पादन और इसके निर्यात के लिए बारिश महत्वपूर्ण है.