Owner/Director : Anita Khare
Contact No. : 9009991052
Sampadak : Shashank Khare
Contact No. : 7987354738
Raipur C.G. 492007
City Office : In Front of Raj Talkies, Block B1, 2nd Floor, Bombey Market GE Road, Raipur C.G. 492001
दुनियाभर में लोगों में मोटापे की बढ़ती समस्या को देखते हुए डब्लूएचओ ने पूरी रिसर्च के बाद हाल ही में अपडेटेड डाइट्री गाइडेंस जारी की है। दरअसल इस रिपोर्ट में बताया गया है कि 1975 के बाद से दुनिया भर में मोटापा लगभग तीन गुना हो गया है, और अधिक वजन या मोटापा 5 से 19 वर्ष के 340 मिलियन से अधिक बच्चों और टीएनएज को प्रभावित करता है - 2020 में 5 वर्ष से कम उम्र के 39 मिलियन बच्चे अधिक वजन वाले या मोटापे से ग्रस्त हैं। कुल मिलाकर WHO की ये रिपोर्ट आजीवन खासकर बच्चों के हेल्दी न्यूट्रीशन पर जोर देती है। आइए इस रिपोर्ट के बारे में विस्तार से जानते है।
सामान्य तौर पर, WHO पहले की तुलना में फैट और कार्बोहाइड्रेट की मात्रा पर कम ध्यान केंद्रित कर रहा है और क्वालिटी पर अधिक फोकस कर रहा है। इस रिपोर्ट के अनुसार एडल्ट को फैट की खपत को उनकी दैनिक कैलोरी का 30% या उससे कम तक सीमित करना चाहिए। किसी व्यक्ति की ऊर्जा खपत को कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा और एल्कोहल से मिलने वाली कैलोरी के रूप में मापा जाता है। उदाहरण के लिए, WHO की गाइडलाइन बताती हैं कि 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को ज्यादा अनसेचुरेटेड फैट का सेवन करना चाहिए। उन्हें अपनी कुल कैलोरी का 10% से अधिक सेचुरेटेड फैट से उपभोग नहीं करना चाहिए, जिसमें 1% या उससे कम ट्रांस-फैटी एसिड होता है।
• 2 से 5 साल के बच्चों को रोजाना कम से कम 250 ग्राम सब्जियां और फल खाने चाहिए।
• 6 से 9 साल के बच्चों को रोजाना कम से कम 350 ग्राम सब्जियां और फल खाने चाहिए।
• 10 साल या उससे अधिक उम्र के बच्चों को रोजाना कम से कम 400 ग्राम सब्जियां और फल खाने चाहिए।
• 2 से 5 साल के बच्चों को रोजाना कम से कम 15 ग्राम फाइबर का सेवन करना चाहिए।
• 6 से 9 साल के बच्चों को रोजाना कम से कम 21 ग्राम फाइबर का सेवन करना चाहिए।
• 10 वर्ष या उससे अधिक उम्र के बच्चों को प्रतिदिन कम से कम 25 ग्राम फाइबर का सेवन करना चाहिए।
ब्रोकली से लेकर केले और सेब से लेकर एवोकाडो जैसे फूड आइटम्स में फाइबर पाया जाता है। ऐसे में ये जरूरी है कि जंक फूड की मात्रा कम कर इन सभी चीजों को बच्चों की डाइट में शामिल किया जाए।
अच्छी सेहत की नींव बचपन से मजबूत करें
रिसर्च में ये बात सामने आई है कि जितनी कम उम्र में आप हेल्दी न्यूट्रीशन और हेल्दी फूड शुरू करते हैं, उतनी ही अधिक संभावना होती है कि बच्चे अपने पूरे जीवन में हेल्दी रहेंगे। ऐसा करने से बच्चों में कम उम्र में नजर आने वाली समस्याएं जैसे हाई बीपी, हाई कोलेस्ट्रोल, कैंसर और डायबिटीज होने की संभावना कम रहेगी।
एक्सपर्ट की मानें तो इस बार हर जगह बारिश ने रिकॉर्ड तोड़ दिया है। भारी बारिश के साथ बाढ़ भी आई है। इस कारण हाइजीन कम हो जाता है। बहुत से लोगों की इम्युनिटी कम हो जाती है। ऐसे में यह इन्फेक्शन फैलने लगता है। यहीं वजह है कि हर दूसरा व्यक्ति आई फ्लू की चपेट में आ रहा है।
डॉक्टरों के मुताबिक आई फ्लू देखने से नहीं, छूने से फैलता है। हाथ में वायरस चिपक जाता है और जब आप आंखों को छुएंगे या कीचड़ साफ करेंगे तो आई फ्लू फैल जाता है। डॉक्टर का कहना है कि इस बार देखा जा रहा है कि बच्चों में आई फ्लू ज्यादा फैल रहा है क्योंकि स्कूल में बच्चे साथ में रहते हैं, साथ में खेलते हैं।
जयपुर स्थित पेंगुइन पीडियाट्रिक केयर क्लिनिक के सीनियर डॉक्टर विवेक शर्मा बताते है कि संक्रमित व्यक्ति के खांसी के दौरान छींकने से भी संक्रमण फैल सकता है। ऐसे में अपने हाथों को नियमित रूप से साबुन से साफ करते रहें। आंखों की सफाई का पूरा ध्यान रखें। ठंडे पानी से हाथ बार-बार धोएं। किसी भी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बचें। अगर संक्रमित आंख को छुए तो हाथ अच्छे से साफ करें। गंदगी और भीड़भाड़ वाली जगह पर जाने से बचें। संक्रमित व्यक्ति से हाथ ना मिलाएं और उनकी चीजें जैसे चश्मा, तौलिया, तकिया आदि न छुएं।
अगर आई फ्लू हो जाए तो क्या करें
आधे भारत में भारी बारिश के कारण बाढ़ के हालात बने हुए हैं। उत्तर भारत में बारिश के वजह से भारी नुकसान की स्थिति बनी हुई है। वहीं दिल्ली में भी यमुना का जलस्तर खतरे के निशान तक पहुंच गया है। इसी बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर बताया है कि यमुना में बढ़ते जल स्तर की वजह से 3 वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट बंद करने पड़ रहे हैं। इस वजह से दिल्ली के कुछ इलाकों में पानी की परेशानी होगी।
बारिश में पानी कि किल्लत को देखते हुए जल शुद्धिकरण और संग्रहीत करने के तरीके ढूंढने चाहिए। इसलिए आपकी मदद के लिए हम यहां आपको पानी को शुद्ध करने के कुछ देसी और मॉर्डन तरीकों के बारे में बता रहे हैं।
पानी को उबालकर कीटाणुरहित करने का तरीका सबसे आम है। पहले के जमाने के लोग पानी को उबालकर पीने के काम में लेते थे। पीने के पानी को किसी बड़े बर्तन में उबलने तक गर्म करें, लगभग 5 से 10 मिनट तक इसे ऐसे ही उबलने दें। उसके बाद पानी को ठंडा करके छानकर पी लें।
फिटकरी से पीने के पानी को साफ करके पीना सबसे सरल और सस्ते उपायों में से एक है। सबसे पहले फिटकरी को हाथ से धो लें उसके बाद फिटकरी को पानी में घुमाएं. जैसे हो पानी हल्का सफेद दिखना शुरू हो, फिटकरी घुमाना तुरंत बंद कर दें। इससे पानी में के गंदगी तली में बैठ जाएगी और पानी साफ हो जाएगा।
क्लोरीन से
पानी को साफ करने के लिए क्लोरीन का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। पानी साफ करने में लिए बाजार में क्लोरीन की गोलियां आती हैं। उन्हें पानी में डालकर साफ किया जा सकता है। ध्यान रखें कि गोलियां डालने के बाद उस पानी को आधा घंटे तक इस्तेमाल करने से बचना है।
धूप से करें साफ -
पानी को कांच की बोतल में भरकर 8 घंटे के लिए धूप में रखने से भी यह साफ होता है।
टमाटर और सेब के छिलकों को करीब दो घंटे तक एल्कोहल में डुबाकर रखने के बाद धूप में सुखा दें। सूखने के बाद इन छिलकों को पानी में डाल दें। कुछ घंटे बाद पानी की सारी गंदगी और अशुद्धियां दूर हो जाएंगी।
हैलोजन टैबलेट
इमरजेंसी सिचुएशन में पानी साफ करने के लिए हैलोजन टेबलेट उपयोगी होती है। पानी में इसे कितनी मात्रा में डाला जाए, यह पानी की मात्रा और हैलोजन टैबलेट के ब्रांड के ऊपर निर्भर करता है। यह गोलियां पानी में पूरी तरह घुलनशील होती है।
आरओ सिस्टम :
पिछले कुछ सालों से पानी को साफ करने के लिए घरों में आरओ सिस्टम लगाने का ट्रेंड बढ़ गया है। इस तकनीक का पूरा नाम है- रिवर्स आसमोसिस प्रोसेस यानी आरओ। इस तकनीक में पानी को बेहद तेज दबाव के साथ साफ किया जाता है। आरओ सिस्टम द्वारा साफ पानी में बैक्टीरिया होने की आशंका बहुत कम रहती है।
पानी साफ करने के लिए यूवी रेडिएशन, आरओ के बाद सबसे ज्यादा यूज में लिया जाने वाला मॉर्डन तरीका है। यूवी रेडिएशन सिस्टम से पानी में मौजूद वायरस और बैक्टीरिया के डीएनए को खत्म कर, पानी को पीने योग्य बनाता है। इस प्रक्रिया में पानी में न कुछ मिलाया जाता है और न ही इसमें मौजूद मिनरल्स को खत्म किया जाता है।
अगर हौसले बुलंद हो तो चेहरे पर लगी गोली भी आपके कदम नहीं डगमगा सकती। ये पंक्ति मलाला युसुफजई की जिंदगी को प्रतिबिंबित करती है। वर्ष 2012 की अक्टूबर में 15 वर्षीय मलाला का नाम दुनिया के कोने कोने तक पंहुचा जब वे तालिबानी गोलियों का शिकार बनीं। अपने हार ना मानने वाले जज़्बे और करोड़ लोगों की दुआओं से वो स्वस्थ हुईं और लड़कियों की शिक्षा और महिला अधिकारों को लेकर अपनी लड़ाई को जारी रखा।
मलाला का जन्म 12 जुलाई 1997 को स्वात घाटी के सबसे बड़े शहर मिंगोरा में जियाउद्दीन यूसुफजई के घर हुआ था, जो अब पाकिस्तान का खैबर पख्तूनख्वा प्रांत है। उनके पिता, जो हमेशा शिक्षा के पक्षधर थे, शहर में एक शिक्षण संस्थान चलाते थे और इसलिए, स्कूल मलाला के परिवार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है।
तालिबानी आतंकी अभियान के दौरान, 2008 के अंत तक लगभग 400 स्कूल नष्ट कर दिए गए और वहां आत्मघाती हमले रोजाना की बात बन गए। लेकिन मलाला का मानना था कि शिक्षा का अधिकार सभी के लिए है और इसलिए, वह तालिबान के खिलाफ खड़ी हुईं और स्कूल जाने के लिए दृढ़ संकल्पित रहीं । पाकिस्तानी टेलीविजन पर एक बार उन्होंने कहा था, 'तालिबान ने मेरी शिक्षा का बुनियादी अधिकार छीनने की हिम्मत कैसे की?'
दो साल बाद, 2009 में, 11 वर्षीय मलाला ने ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन (बीबीसी) की उर्दू भाषा साइट पर गुमनाम रूप से 'गुल मकई' नाम से ब्लॉग लिखना शुरू किया। उन्होंने अपने जीवन के दैनिक संघर्षों, स्कूल जाने की इच्छा, स्वात घाटी में तालिबान शासन के तहत घर पर रहने के लिए मजबूर होने के बारे में लिखा और बार-बार आतंकवादी समूह के इरादों पर सवाल उठाया। उनके पहले ब्लॉग का शीर्षक 'मुझे डर लग रहा है' था, जिसमें स्वात घाटी में पूर्ण युद्ध की भयावहता और स्कूल जाने से डरने के बुरे सपने का जिक्र किया गया था।
जब तालिबान के साथ पाकिस्तान का युद्ध तेजी से आगे बढ़ रहा था, 5 मई 2009 को मलाल और उनके परिवार को आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्ति (आईडीपी) घोषित कर दिया गया और उन्हें अपना घर छोड़कर सैकड़ों मील दूर शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा। कुछ हफ़्ते बाद, अपनी वापसी पर मलाला ने मीडिया की मदद ली और स्कूल जाने के अपने अधिकार के लिए अपना सार्वजनिक अभियान जारी रखा।
15 वर्ष की छोटी सी उम्र में मलाला पर चली गोली
9 अक्टूबर 2012 की सुबह, 15 वर्षीय मलाला को तालिबान ने उस समय गोली मार दी थी जब वह स्कूल से घर जाने वाली बस में बैठी थीं और अपने दोस्तों के साथ स्कूल के काम के बारे में बात कर रही थी। बस को तालिबान के दो सदस्यों ने रोका और उनमें से एक ने मलाला से उसका नाम पूछा और उस पर तीन गोलियां चला दीं।
गोली लगने के कारण कोमा में चली गयी थीं मलाला
मलाला के चेहरे के बाएं हिस्से को ठीक करने के लिए कई सर्जरी की आवश्यकता पड़ी, जो लकवाग्रस्त हो गया था। वह 16 अक्टूबर 2012 को कोमा से उठीं और महीनों के उपचार और थेरेपी के बाद, मार्च 2013 में, वह बर्मिंघम में स्कूल जाने में सक्षम हुईं। उनके चमत्कारिक ढंग से ठीक होने और स्कूल में वापसी ने दुनिया भर में बहुत ध्यान आकर्षित किया और उनके लिए वैश्विक समर्थन की लहर दौड़ गई।
मलाला को किस लिए सम्मानित किया गया? देखें पुरस्कारों और उपलब्धियों की सूची
अपने 16वें जन्मदिन यानी 12 जुलाई 2013 को, मलाला ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र में भाषण दिया और उसी वर्ष उन्होंने अपनी पहली पुस्तक, एक आत्मकथा 'आई एम मलाला: द गर्ल हू स्टूड अप फॉर एजुकेशन एंड वाज़ शॉट बाय द तालिबान' प्रकाशित की।
अक्टूबर 2014 में, 17 साल की उम्र में, मलाला ने नोबेल शांति पुरस्कार जीता। वह यह प्रतिष्ठित पुरस्कार पाने वाली सबसे कम उम्र की व्यक्ति बन गईं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अवॉर्ड स्वीकार करते हुए मलाला ने कहा कि 'यह अवॉर्ड सिर्फ मेरे लिए नहीं है। यह उन भूले-बिसरे बच्चों के लिए है जो शिक्षा चाहते हैं। यह उन डरे हुए बच्चों के लिए है जो शांति चाहते हैं। यह उन बेजुबान बच्चों के लिए है जो बदलाव चाहते हैं।'
इस वर्ष मलाला अपना 26वां जन्मदिन कहां मना रही हैं?
वह अपना 26वां जन्मदिन मनाने की तैयारी कर रही हैं। उन्होंने कई देशों, शरणार्थी शिविरों की अपनी पिछली यात्राओं को ट्विटर पर याद किया और महामारी से उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद इस वर्ष अपनी 'बहनों' के साथ इस अवसर को मनाने की उत्सुकता व्यक्त की।