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नई दिल्ली: दिल्ली सर्विस बिल संसद के दोनों सदन से पास हो गई है. राज्यसभा में सोमवार को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023 पर लंबी बहस, चर्चा और गृहमंत्री अमित शाह के जवाब के बाद उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने सोमवार रात 10 बजे इस पर वोटिंग शुरू कराई. ऑटोमैटिक मशीन खराब होने के कारण वोटिंग के लिए पर्ची का इस्तेमाल किया गया. बिल के समर्थन में 131 वोट पड़े, जबकि विपक्ष के खाते में केवल 102 का नंबर ही दर्ज हो पाया. लोकसभा में 3 अगस्त को ध्वनिमत से यह बिल पास हो गया था. अब राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह बिल कानून बन जाएगा. इस दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि दिल्ली सर्विस बिल पूरी तरह से संविधान की भावना के अनुरूप है.
दिल्ली सर्विस बिल पर जवाब देते हुए गृह मंत्री ने कहा, "सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस और पब्लिक ऑर्डर पर काम करने का अधिकार केंद्र को दिया है. सेवा का अधिकार राज्य को देने की बात कही है. इसमें यह भी कहा गया कि केंद्र सरकार को किसी भी विषय पर कानून बनाने का अधिकार है." उन्होंने कहा, "संविधान कहता है कि केंद्र को किसी भी विषय पर कानून बनाने का अधिकार है. इस किसी भी में सेवाएं भी आती हैं. संसद को संविधान में संशोधन का अधिकार है." गृह मंत्री अमित शाह के बयान के दौरान एनडीए सांसदों ने 'मोदी-मोदी' के नारे लगाए. जवाब में विपक्षी गठबंधन के नेता 'INDIA-INDIA' कहने लगे.
राज्यसभा में दिल्ली सर्विस बिल पर बहस का जवाब देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि वह सबूत देंगे कि यह बिल किसी भी एंगल से सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन नहीं करता है. यह बिल दिल्ली पर मौजूदा केंद्र सरकार के अध्यादेश को बदलने का प्रयास है.
केजरीवाल ने जताई नाराजगी
राज्यसभा से दिल्ली सर्विस बिल पास होने के तुंरत बाद दिल्ली के सीएम और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की. केजरीवाल ने इस बिल के पास होने पर नाराजगी जताई. उन्होंने कहा कि बीजेपी पीछे के दरवाजे से ये बिल लेकर आई. उन्होंने पीएम के दिल्ली की सरकार में दखल देने पर भी आपत्ति जाहिर की.
बीजेपी को कोई सीट नहीं देगी दिल्ली की जनता
केजरीवाल ने कहा, "मैं जो भी करता हूं, दिल्ली की जनता उसका समर्थन करती है. उन्होंने मुझे चुनाव में जीत दिलाकर अपना समर्थन दिखाया है. बीजेपी सिर्फ हमारे अच्छे काम को रोकने की कोशिश कर रही है. वे विकास कार्यों में बाधा डाल रहे हैं. वे मुझे काम करने से रोकने की कोशिश कर रहे हैं. इस बार जनता उन्हें कोई सीट नहीं जीतने देगी."
क्या है मामला?
दरअसल, 11 मई 2023 को सुप्रीम कोर्ट में 5 जजों की संविधान पीठ ने अफसरों पर कंट्रोल का अधिकार दिल्ली सरकार को दिया था. साथ ही अदालत ने कहा था कि उपराज्यपाल सरकार की सलाह पर ही काम करेंगे. इस फैसले के एक हफ्ते बाद 19 मई को केंद्र सरकार ने अध्यादेश लाकर इस फैसले को बदल दिया. सरकार ने ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार राज्यपाल को दे दिया. दिल्ली सर्विस बिल कानून बनने के बाद इसी अध्यादेश की जगह लेगा.
दिल्ली सर्विस बिल में किए गए कई बदलाव
गवर्नमेंट ऑफ नेशनल कैपिटल टेरिटरी ऑफ दिल्ली (अमेंडमेंट) बिल 2023 (GNCT) में सरकार ने कुछ बदलाव किए हैं. जैसे सेक्शन- 3ए जो अध्यादेश का हिस्सा था, उसे विधेयक से हटा दिया गया है. अध्यादेश के सेक्शन-3-ए में कहा गया था कि किसी भी अदालत के किसी भी फैसले, आदेश या डिक्री में कुछ भी शामिल होने के बावजूद विधानसभा को सूची-2 की प्रविष्टि 41 में शामिल किसी भी मामले को छोड़कर आर्टिकल 239 के अनुसार कानून बनाने की शक्ति होगी.
पिछले अध्यादेश के तहत NCCSA को संसद और दिल्ली विधानसभा में सालाना रिपोर्ट प्रस्तुत करना जरूरी था. हालांकि विधेयक इस अनिवार्यता को हटा देता है, जिससे रिपोर्ट को संसद और दिल्ली विधानसभा के समक्ष रखे जाने की जरूरत ही नहीं रहेगी.
प्रस्तावित बिल में सेक्शन 45-डी दिल्ली में अलग-अलग अथॉरिटी, बोर्डों, आयोगों और वैधानिक निकायों के अध्यक्षों और सदस्यों की नियुक्ति से संबंधित है. इस बिल में इस प्रावधान को हटा दिया गया है. बिल में नए जोड़े गए प्रावधान के तहत अब NCCSA समिति की सिफारिशों के अनुसार दिल्ली सरकार के बोर्डों और आयोगों में नियुक्तियां और तबादले करेंगे. इस समिति में मुख्य सचिव और प्रधान गृह सचिव सदस्य होंगे और उसकी अध्यक्षता दिल्ली के मुख्यमंत्री करेंगे.
गुरुग्राम: हरियाणा के कई हिस्सों में मंगलवार को भी हिंसा हुई. दिल्ली से सटे गुरुग्राम (Gurugram) में भी उपद्रवियों का तांडव देखने को मिला. गुरुग्राम के बादशाहपुर में भीड़ ने रेस्तरां और दुकानों में आग लगा दी. मंगलवार शाम गुरुग्राम के सेक्टर 70 में भी हिंसा की घटना हुई. सेक्टर 70 में दुकान, झुग्गियों में कुछ उपद्रवियों ने आग लगा दी. नूंह में कल एक धार्मिक जुलूस में विश्व हिंदू परिषद और मातृशक्ति दुर्गा वाहिनी की तरफ से निकाली जा रही ब्रजमंडल यात्रा के दौरान दो गुटों में टकराव के बाद पथराव और आगजनी हुई थी. इस घटना में 4 लोगों की जान चली गई थी और कम से कम 30 घायल हो गए थे.
हरियाणा के हिंसा प्रभावित नूंह जिले में अधिकारियों ने मंगलवार को कर्फ्यू लगा दिया और राज्य के गृह मंत्री अनिल विज ने कहा कि राज्य में शांति भंग करने का इरादा रखने वालों ने नूंह में हिंसा की साजिश रची.
सीएम ने कहा- सख्त कार्रवाई की जाएगी
पुलिस ने बताया कि नूंह और सोहना में हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं, लेकिन मंगलवार को ताजा हिंसा की कोई खबर नहीं आई. अधिकारी ने बताया कि नूंह और अन्य प्रभावित इलाकों में बड़ी संख्या में पुलिस और अर्धसैनिक बलों को तैनात किया गया है. हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने सोमवार को कहा कि घटना के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ ‘‘कड़ी कार्रवाई'' की जाएगी. उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘आज की घटना दुर्भाग्यपूर्ण है. मैं सभी लोगों से प्रदेश में शांति बनाए रखने की अपील करता हूं. दोषी लोगों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा. उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी.''
सोहना सब डिविजन में स्कूल बंद
इधर गुरुग्राम जिला प्रशासन ने सोहना सब डिविजन क्षेत्र में शिक्षण संस्थाओं को बुधवार को बंद रखने का फैसला लिया है. जिलाधीश एवं डीसी निशांत कुमार यादव की तरफ से जारी आदेश के अनुसार गुरुग्राम में सोहना सब डिविजन क्षेत्र को छोड़कर जिला की सभी शिक्षण संस्थाएं बुधवार दो अगस्त को सामान्य दिनों की तरह खुलेंगी.
अधिकारी ने लोगों से अफवाहों से बचने की अपील की
गुरुग्राम के एसीपी क्राइम वरुण कुमार दहिया ने लोगों से कहा है कि किसी भी तरह के अफवाह से बचे. अगर लोगों को कोई सूचना देनी है तो 112 नबंर पर पुलिस से संपर्क करें. साथ ही उन्होंने कहा कि शहर में इंटरनेट सेवा भी चल रही है. जिन जगहों पर हिंसा हुई है वहां अतिरिक्त पुलिस बल को तैनात किया गया है.
नूंह हिंसा में मारे गए होमगार्डों के परिवारों के लिए मुआवजे का ऐलान
रियाणा पुलिस ने नूंह में हुई हिंसा में जान गंवाने वाले दो होमगार्ड के परिवारों को 57-57 लाख रुपये का मुआवजा देने की मंगलवार को घोषणा की. एक आधिकारिक बयान के अनुसार हिंसा के मद्देनजर गुरुग्राम से नूंह में तैनात किए गए होमगार्ड नीरज और गुरसेव की ड्यूटी के दौरान मौत हो गई. बयान में कहा गया है, “हरियाणा पुलिस दुख की इस घड़ी में शोक संतप्त परिवारों के साथ खड़ी है. कोई भी राशि किसी प्रियजन को खोने से हुए नुकसान की भरपाई नहीं कर सकती, लेकिन फिर भी हरियाणा पुलिस की ओर से शोकाकुल परिवारों को 57-57 लाख रुपये और हर प्रकार की मदद प्रदान की जाएगी.”
मुंबई: महाराष्ट्र की सियासत का आज बेहद अहम दिन है. एनसीपी में टूट के बाद शरद पवार गुट और अजित पवार गुट दोनों ने अपनी ताकत दिखाने के लिए आज बैठक बुलाई है. एनसीपी के शरद पवार गुट की तरफ से पार्टी के चीफ व्हिप जितेंद्र आह्वाड ने सभी विधायकों को आज की मीटिंग में शामिल होने के लिए आदेश निकाला है. इस बीच शरद पवार के घर सिल्वर ओक पर उनके समर्थन में पोस्टर लगाए गए हैं, जिसमें लिखा है कि 83 साल का योद्धा अकेला निकला है.
इधर चर्चा ये भी है कि अजित पवार गुट के सरकार में शमिल होने के बाद एकनाथ शिंदे की शिवसेना में हलचल तेज हो गई है. मंगलवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की अगवानी करने नागपुर गए मुख्यमंत्री देर रात मुंबई वापस आ गए. खबर है कि मीटिंग कर फिर वो वापस चले गए.
अजित पवार गुट का 40 विधायकों के समर्थन का दावा
अजित पवार ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के 53 में से 40 विधायकों के समर्थन का दावा किया है. राज्यपाल को लिखी चिट्ठी में 40 से ज्यादा विधायकों के समर्थन और उनके साइन की बात कही गई है. वहीं कई विधायकों का आरोप है कि उन्होंने उद्देश्य जाने बिना अनजाने में चिट्ठी पर अपने साइन कर दिए.
कई NCP नेताओं ने किया शरद पवार का समर्थन
अभी तक न तो अजित पवार और न ही शरद पवार ने अपने समर्थन में विधायक पेश किए हैं. लेकिन कई एनसीपी नेता ने शरद पवार के प्रति अपनी वफादारी का ऐलान किया हैं. अनिल देशमुख, जीतेंद्र आह्वाड, जयंत पाटिल, रोहित पवार, संदीप क्षीरसागर और प्राजक्त प्रसादराव तनपुरे ने शरद पवार के साथ अपनी तस्वीरें शेयर की है और समर्थन की बात कही है.
दल-बदलुओं की अयोग्यता पर कानूनी सलाह ले रहे हैं शरद पवार
फिलहाल अजित पवार के पास एनसीपी पार्टी को विभाजित करने और दल-बदल विरोधी कानून के तहत कार्रवाई से बचने के लिए जरूरी दो-तिहाई बहुमत नहीं है. अगर उनके पास पर्याप्त नंबर हैं, तो वह पार्टी के नाम और प्रतीक पर दावा ठोंक सकते हैं. इस बीच 82 वर्षीय शरद पवार ने सोमवार से एनसीपी को जमीनी स्तर से फिर से खड़ा करने का अपना मिशन शुरू किया है. टीम शरद पवार दल-बदलुओं की अयोग्यता पर कानूनी विशेषज्ञों से सलाह ले रही है.
मुंबई: महाराष्ट्र में अजित पवार और आठ अन्य विधायकों के शिवसेना-भाजपा सरकार में शामिल होने के एक दिन बाद प्रतिद्वंद्वी गुटों द्वारा बर्खास्तगी की होड़ शुरू होने से एनसीपी में खींचतान शुरू हो गई. इस बीच कांग्रेस और उद्धव ठाकरे टीम भी महाराष्ट्र के बदले सियासी समीकरण के बाद आगे की रणनीति बनाने में जुट गई है.
मामले से जुड़ी अहम जानकारियां :
शरद पवार ने जैसे ही पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के लिए प्रफुल्ल पटेल और सुनील तटकरे को राकांपा से हटाया, अजित पवार खेमे ने पलटवार करते हुए जयंत पाटिल की जगह सुनील तटकरे को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया.
प्रफुल्ल पटेल और सांसद सुनील तटकरे के साथ, राकांपा ने रविवार को राजभवन में शपथ समारोह में भाग लेने के लिए पार्टी के तीन नेताओं- नरेंद्र राठौड़, विजय देशमुख और शिवाजीराव गर्जे को भी बर्खास्त कर दिया. वहीं प्रफुल्ल पटेल ने घोषणा की कि अजित पवार को पार्टी का "ग्रुप लीडर" नियुक्त किया गया है.
शरद पवार गुट ने महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को एक याचिका सौंपी है, जिसमें अजित पवार और उनके आठ वफादारों को अयोग्य घोषित करने की मांग की गई है. पार्टी ने भारतीय चुनाव आयोग (ईसी) को भी पत्र लिखकर बताया है कि 1999 में एनसीपी की स्थापना करने वाले शरद पवार पार्टी के प्रमुख बने रहेंगे और नेतृत्व में कोई बदलाव नहीं होगा.
अजित पवार ने घोषणा की कि अयोग्यता नोटिस का "कोई मूल्य नहीं" है. उन्होंने कहा, "हममें से 9 के खिलाफ नोटिस हैं, मुझे नहीं लगता कि नोटिस का कोई महत्व है...पार्टी हमारे साथ है." जवाबी कार्रवाई में, विद्रोहियों ने भी जयंत पाटिल और जितेंद्र अवहाद के खिलाफ अयोग्यता याचिका दायर की.
अजित पवार खेमे का नया कार्यालय राज्य सचिवालय के पास होगा. सूत्रों ने बताया कि अजित पवार और उनके समर्थक विधायक आज नये 'राष्ट्रवादी भवन' का उद्घाटन करेंगे. वर्तमान पार्टी कार्यालय बैलार्ड एस्टेट में स्थित है. अजित पवार और उनके सहयोगी, जिनमें सांसद प्रफुल्ल पटेल भी शामिल हैं, इस बात पर जोर दे रहे हैं कि वे पार्टी हैं, कोई अलग हुआ गुट नहीं.
भविष्य की रणनीति पर चर्चा के लिए कांग्रेस आज एक महत्वपूर्ण बैठक करेगी. पार्टी विपक्ष के नेता का पद चाहती है, क्योंकि महाराष्ट्र विधानसभा में उसके विधायकों की संख्या सबसे अधिक है. इस मांग को एनसीपी संस्थापक शरद पवार का समर्थन प्राप्त है. सीनियर पवार ने कहा, ''जिस पार्टी के पास सबसे ज्यादा विधायक हों, वो इस पद की मांग कर सकती है, यह एक वैध मांग है.''
राज्य में हालिया राजनीतिक घटनाक्रम पर चर्चा के लिए टीम उद्धव ठाकरे आज एक बैठक भी करेगी. शिवसेना (यूबीटी) के मुखपत्र 'सामना' के संपादकीय में दावा किया गया है कि अजित पवार, एकनाथ शिंदे की जगह मुख्यमंत्री बनेंगे.
इस बीच शरद पवार ने सोमवार को सतारा जिले में अपने गुरु और महाराष्ट्र के पहले मुख्यमंत्री यशवंतराव चव्हाण के स्मारक का दौरा किया और पार्टी के पुनर्निर्माण की कसम खाई. उन्होंने कहा कि भाजपा सभी विपक्षी दलों को ''नष्ट'' करने की कोशिश कर रही है। सीनियर पवार ने कहा, "सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ मेरी लड़ाई आज से शुरू हो रही है. ऐसे विद्रोह होते रहते हैं. मैं पार्टी का पुनर्निर्माण करूंगा."
यह पूछे जाने पर कि क्या रविवार को अजित पवार के विद्रोह को उनका आशीर्वाद प्राप्त था, राकांपा प्रमुख ने कहा, "यह कहना एक तुच्छ बात है. केवल तुच्छ और कम बुद्धि वाले लोग ही ऐसा कह सकते हैं."
अजित पवार के महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री के रूप में शिवसेना-भाजपा सरकार में शामिल होने के बाद रविवार को राकांपा में विभाजन हो गया और आठ अन्य राकांपा विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली.