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नई दिल्ली : क्या आपको याद है अपने बचपन के वो दिन जब दादी मां अपने हाथों से बालों की चंपी करती थीं? कितना मजा आता था? खैर, अब तो यह पुरानी बात हो गई. लेकिन एक बात जो आज भी सच है वो ये है कि बालों को घना और मजबूत बनाए रखने के लिए तेल मालिश बेहद कारगर तरीका है. अगर नियमित रूप से मालिश की जाए तो आगे चलकर बालों की हेल्थ बनी रहती है. तेल लगाने से बालों को मजबूती तो मिलती ही है साथ ही सिर की त्वचा में इंफेक्शन नहीं होता और बाल समय से पहले सफेद भी नहीं होते. इसके अलावा भी बालों में तेल लगाने के ढेरों फायदे हैं.
यूं तो बालों के लिए ढेर सारे तेल मौजूद हैं. हर तेल किसी न किसी काम जरूर आता है. आपको बस उस तेल का इस्तेमाल करना चाहिए जो आपके बालों के लिए पर्फेक्ट हो.
नियमित रूप से बालों की तेल मालिश करने से कई फायदे होते हैं:
1. समय से पहले सफेद नहीं होंगे बाल
आज की नौजवान पीढ़ी सफेद बालों से परेशान है. दरअसल, विटामिन B12 की कमी से बाल समय से पहले सफेद होने लगते हैं. नियमित रूप से तेल मालिश करने से बालों को जरूरी पोषक तत्व मिलते हैं और वे समय से पहले सफेद नहीं होते.
नई दिल्ली.इंटरनेट पर जेट एयरवेज की एक एयर होस्टेस की जमकर तारीफ हो रही है। दरअसल, एक महिला मुंबई एयरपोर्ट से अहमदाबाद के लिए रवाना हो रही थी। चेक-इन फॉर्मैलिटीज पूरी करने के बाद वह जैसे ही सिक्युरिटी काउंटर के पास से गुजरी उसकी गोद से 10 महीने का बच्चा फिसल गया। किस्मत से जेट एयरवेज की एयर होस्टेस मितांशी वैद्द वहीं मौजूद थी। और लगा दी छलांग...
- रिपोर्ट के मुताबिक, यह घटना पिछले महीने की है। बताया जा रहा है कि जैसे ही बच्चा मां की गोद से फिसला, मितांशी ने छलांग लगाकर उसे लपक लिया। इसमें बच्चे को जरा भी चोट नहीं लगी, लेकिन मितांशी को नाक पर चोट जरूर आई है।
- वहीं, अपने बच्चे को सेफ पाकर प्राइवेट कंपनी में बतौर एमडी बच्चे की मां गुलाफा शेख ने जेट एयरवेज और एयर होस्टेस मितांशी का धन्यवाद किया।
मां ने जेट एयरलाइंस के लिए लिखा
- इसके बाद गुलाफा ने जेट एयरलाइन्स को एक लेटर लिखा, 'किस्मत से एक युवती वहां मौजूद थी, जिसने मेरे 10 महीने के बेटे को बचाया। इसमें उनकी नाक पर चोट आई, जिसका निशान पूरी उम्र भी रह सकता है।'
- इस पर एयरलाइंस ने मितांशी के काम की सराहना करते हुए कहा कि उसने चेहरे पर निशान की परवाह नहीं की, जबकि इससे उनकी जॉब को भी खतरा हो सकता था।
- एयरलाइंस के एक सीनियर अफसर ने कहा- 'हमें गर्व है कि मितांशी जून, 2016 से हमारे साथ काम कर रही हैं।'
नई दिल्ली 27 अप्रैल 2018. इंदु मल्होत्रा पहली महिला वकील हैं जिन्हें सीधे सुप्रीम कोर्ट की जज बनाया गया है। वैसे इससे पहले सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज बनने का रिकॉर्ड एम फातिमा बीवी के नाम था, जो कि साल 1898 में देश की सर्वोच्च अदालत की न्यायाधीश बनी थीं। इंदु मल्होत्रा विभिन्न घरेलू और अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक मामलों में मध्यस्थता करती दिखाई भी दी हैं. दिसंबर 2016 में भारत सरकारने भारत में मध्यस्थता तंत्र के संस्थानीकरण की समीक्षा करने के लिए उन्हें कानून और न्याय मंत्रालय में उच्च स्तरीय समिति (एचएलसी) का सदस्य बनाया था. इतना ही नहीं इंदु मल्होत्रा साल 2007 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा वरिष्ठ वकील नामित की जाने वाली दूसरी महिला थीं. 1988 में 26 नवंबर को इंदु को मुकेश गोस्वामी मेमोरियल अवॉर्ड से नवाजा भी जा चुका है।
र्ट में वकील
इंदु मल्होत्रा सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ वकील के रूप में कार्यरत थीं. उनके पिता ओम प्रकाश मल्होत्रा भी देश की सर्वोच्च न्यायालय में सीनियर एडवोकेट थे. ओम प्रकाश मल्होत्रा एक विशिष्ट लेखक भी थे जिन्होंने औद्योगिक विवादों के कानून और लॉ एंड प्रैक्टिस ऑफ आर्बिट्रेशन पर किताबें लिखीं.
दिल्ली में की पढ़ाई
14 मार्च 1956 को बेंगलुरु में जन्मी इंदु मल्होत्रा ओम प्रकाश मल्होत्रा की सबसे छोटी संतान थीं. उन्होंने अपनी पढ़ाई दिल्ली से की. नई दिल्ली के कार्मल कॉन्वेंट से स्कूल की पढ़ाई पूरी कर उन्होंने लेडी श्री राम कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में बीए ऑनर्स और बाद में वहीं से राजनीति विज्ञान में मास्टर्स की डिग्री हासिल की. कॉलेजी की पढ़ाई पूरी होने के बाद उन्होंने डीयू के मिरांडा हाउस कॉलेज और विवेकानंद कॉलेज में पॉलिटिकल साइंस के लेक्चरर के रूप में काम किया. 1979 से 1982 तक उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई की.
1983 में शुरू की वकालत
साल 1982 में कानून की पढ़ाई पूरी करने के बाद इंदु मल्होत्रा ने साल 1983 से लॉ प्रेक्टिस शुरू की. दिल्ली के बार काउंसिल में अपना पंजीकरण के बाद साल 1988 में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में ‘एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड’ के रूप में पहला स्थान पाकर क्वालिफाई किया.
सुप्रीम कोर्ट जज बनने वाली सातवीं महिला
सुप्रीम कोर्ट में जज का पद हासिल करने वाली इंदु मल्होत्रा सातवीं महिला होंगी. साल 1988 में सबसे पहले जस्टिस एम. फातिमा बीवी सुप्रीम कोर्ट की महिला जज बनी थीं. उनके बाद जस्टिस सुजाता वी. मनोहर, जस्टिस रुमा पाल, जस्टिस ज्ञान सुधा मिश्रा, जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई और जस्टिस आर. भानुमति भी सुप्रीम कोर्ट की जज बनीं. हालांकि, इंदु मल्होत्रा के मामले में विशेष बात ये है कि वे वकील से सीधे जज के रूप में नियुक्त की जाने वाली पहली वुमन एडवोकेट हैं.
मांग में सिंदूर सजाना सुहागिन स्त्रियों का प्रतीक माना जाता है। यह जहां मंगलदायक माना जाता है, वहीं इससे इनके रूप-सौंदर्य में भी निखार आ जाता है। मांग में सिंदूर सजाना एक वैवाहिक संस्कार भी है। शरीर-रचना विज्ञान के अनुसार सौभाग्यवती स्त्रियां मांग में जिस स्थान पर सिंदूर सजाती हैं, वह स्थान ब्रह्मरंध्र और अहिम नामक मर्मस्थल के ठीक ऊपर है। स्त्रियों का यह मर्मस्थल अत्यंत कोमल होता है।इसकी सुरक्षा के निमित्त स्त्रियां यहां पर सिंदूर लगाती हैं। सिंदूर में कुछ धातु अधिक मात्रा में होता है। इस कारण चेहरे पर जल्दी झुर्रियां नहीं पड़तीं और स्त्री के शरीर में विद्युतीय उत्तेजना नियंत्रित होती है।
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