Saturday, 06 December 2025

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क्या होता है पीएमएस?.....

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''हमारी शादी को उस समय दो या तीन महीने ही हुए थे, हम हर दूसरे या तीसरे वीकेंड में फ़िल्म देखने जाते थे। एक दिन मैंने मोना (पत्नी) से कहा कि ऑफ़िस में बहुत काम है इसलिए फिल्म के लिए नहीं चल सकते। इतना सुनते ही वो अचानक नाराज़ होने लगी। बहुत ज़्यादा ही गुस्सा करने लगी, मैं हैरान था कि इतनी छोटी सी बात पर वो इतना गुस्सा क्यों हो रही है।''
 
यह कहते हुए संतोष हंसने लगते हैं, साथ ही उनके बगल में बैठी मोना अपनी हंसी को छुपाने की कोशिश करने लगती है। दोनों की शादी को एक साल से ज़्यादा हो चुका है और अब उनके बीच काफ़ी अच्छी बॉन्डिंग है। संतोष और मोना की अरेंज मैरिज हुई थी। संतोष जिस वाकये को याद कर रहे हैं दरअसल उस समय मोना प्री-मेंस्ट्रुअल स्ट्रेस (पीएमएस) के दौर से गुज़र रही थीं।

राजस्थान का मामला
 
मोना और संतोष जिस बात को हंसते हुए बता रहे थे कभी-कभी उसके बेहद गंभीर नतीजे भी सामने आ सकते हैं। कुछ दिन पहले राजस्थान के अजमेर से एक मामला सामने आया, जिसमें एक महिला ने अपने तीन बच्चों को कुएं में फेंक दिया था। इनमें से एक बच्चे की मौत हो गई थी।
 
जब राजस्थान हाईकोर्ट में केस चला तो महिला की तरफ से दलील दी गई कि घटना के समय वह प्री-मेंस्ट्रुअल स्ट्रेस (पीएमएस) के दौर से गुज़र रही थीं जिस वजह से उन्हें ध्यान नहीं रहा कि वो क्या क़दम उठाने जा रही हैं। कोर्ट ने महिला की दलील से सहमत होते हुए उन्हें बरी कर दिया।

क्या होता है पीएमएस?
 
पीएमएस महिला के शुरू होने से पांच से सात दिन पहले का वक्त होता है। इस दौरान महिलाओं के व्यवहार में कुछ बदलाव महसूस होने लगता है। उन्हें कोई खास चीज़ खाने की इच्छा होती है या फिर उनके व्यवहार में देखने को मिलने लगता है। इतना ही नहीं कई मामलों में तो महिलाओं को आत्महत्या करने जैसे विचार भी आने लगते हैं।
 
दिल्ली के लक्ष्मीनगर में गाइनोकॉलजिस्ट डॉक्टर अदिति आचार्य पीएमएस को समझाते हुए कहती हैं, ''महिलाओं के शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलाव के चलते पीएमएस होता है। इस दौरान लड़कियों को अपने शरीर में दर्द महसूस होता है, विशेषतौर पर पेट और ब्रेस्ट के पास। इसके अलावा लड़कियों के मूड में अचानक बदलाव होने लगते हैं, वे कभी गुस्सा तो कभी अचानक खुश होने लगती हैं। छोटी-छोटी बातों में रोना आने लगता है।''
 
पब्लिक लाइब्रेरी ऑफ़ साइंस जर्नल PLosONE में पीएमएस पर एक रिसर्च प्रकाशित की गई थी। अप्रैल 2017 में छपे इस रिसर्च के अनुसार 90 प्रतिशत महिलाएं पीएमएस का अनुभव करती हैं। इनमें से 40 प्रतिशत महिलाओं को इस दौरान तनाव महसूस होता है और इनमें से दो से पांच प्रतिशत महिलाएं बहुत अधिक तनाव का शिकार हो जाती हैं जिससे उनकी आम ज़िंदगी पर असर पड़ने लगता है।

पुरुषों में जानकारी का अभाव
 
एक बात जिस पर गौर किया जाना चाहिए वह यह कि इस दौरान महिलाओं को मानसिक सुकून की सबसे ज़्यादा तलाश होती है। वो चाहती हैं कि उनके साथी उनकी परेशानी को समझें और मुश्किल हालात में उनका साथ दें। बीकॉम फ़ाइनल ईयर के छात्र आयुष अपनी गर्लफ्रेंड के ऐसे ही बेवक्त बदलते मूड से परेशान थे।
 
वो बताते हैं, ''हमारे रिलेशनशिप को दो साल हो गए हैं, लेकिन शुरुआत में मुझे नहीं मालूम था कि लड़कियों को इस तरह की प्रॉब्लम फ़ेस करनी होती है, एक दिन मेरी गर्लफ्रेंड बेवजह ही गुस्सा होने लगी और फिर छोटी सी बात पर रोने लगी। मैं भी उस वक्त नाराज़ होकर वहां से चला गया।''
 
आयुष बताते हैं कि बाद में उन्होंने गूगल में इसके बारे में जानकारी जुटाई तो उन्हें कुछ-कुछ समझ में आया। आयुष कहते हैं कि अब जब कभी उनकी गर्लफ्रेंड का मूड अचानक बदलता है तो वे पहले ही पूछ लेते हैं कहीं पीरियड तो शुरू नहीं होने वाले।
 
डॉक्टर अदिति आयुष की बात को आगे समझाते हुए कहती हैं, ''मेरे पास बहुत से कपल आते हैं जिसमें लड़कों को पीरियड्स के बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं होती, उन्हें यह पता ही नहीं होता कि उनकी पार्टनर किस दर्द या हालात का सामना कर रही है, इसी वजह से वे अपने पार्टनर के बदलते रुख से नाराज़ हो जाते हैं जिससे परेशानियां और ज़्यादा बढ़ जाती हैं।''
 
पार्टनर की भूमिका
 
मोना अपनी शादी के शुरुआती दिन और अब के वक्त को याद करते हुए कहती हैं कि उनके पति के व्यवहार में काफ़ी बदलाव आया है। वो कहती हैं, ''मेरे पति की बहनें भी हैं लेकिन उन्हें पीरियड्स के बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं थी। उन्हें मेरे बदलते मूड का अंदाजा नहीं लग पाता था। वो नाराज़ हो जाते थे, लेकिन अब वो काफी सारी बातें समझने लगे हैं। उनका साथ मिलने से मेरे लिए भी पीएमएस के मुश्किल वक्त को निकालना आसान हो जाता है।''
 
PLosONE की रिपोर्ट बताती है हेट्रोसेक्सुअल कपल के मुकाबले लेस्बियन कपल के बीच पीएमएस का दौर काफ़ी आराम से बीतता है। इसके अनुसार लेस्बियन कपल में दोनों पार्टनर लड़कियां होती हैं तो वो एक दूसरे की समस्या को भी काफ़ी अच्छे तरीके से समझ पाती हैं और यही वजह है कि मुश्किल वक्त में अपने साथी को बेहतर तरीके से सपोर्ट कर पाती हैं।
 
डॉक्टर अदिति इस बात पर कहती हैं कि पुरुष पार्टनर भी अगर अपनी महिला साथी को बेहतर तरीके से समझने लगे तो आधी से अधिक समस्या का समाधान निकल जाता है। वो यह भी मानती हैं कि आमतौर पर पीएमएस में मूड स्विंग जैसी चीज़ें होती हैं लेकिन अगर कोई बहुत अधिक तनाव का सामना कर रहा है तो उसे डॉक्टर की मदद ज़रूर लेनी चाहिए।
 
थैरेपी की मदद
 
ब्रिट्रेन की एक वेबसाइट द कनवरसेशन ने पिछले साल पीएमस पर एक स्टडी की। इस स्टडी के दौरान उन्होंने पीएमएस से जूझ रही महिलाओं पर कपल में और सिंगल में थैरेपी दे कर उनके व्यवहार को परखा। इस स्टडी में पाया गया कि जिस थैरेपी में कपल शामिल थे उनमें पीएमएस से उबरने की संभावनाएं ज़्यादा थी। जबकि अकेले थैरेपी में शामिल होने वाली महिलाओं में ऐसा अंतर नज़र नहीं आया।
 
कॉलेज जाने वाले आयुष की मानें तो जब से उन्होंने पीरियड्स और पीएमएस जैसी बातों को समझना शुरू किया है तब से उनका रिश्ता भी बेहद खूबसूरत हो गया है। डॉक्टर अदिति भी इस बारे में कहती हैं, ''जब पुरुष अपनी साथी के दर्द को समझने लगते हैं और उनका ख़्याल रखने लगते हैं तो रिश्ते में गहराई बढ़ जाती है।''
 
महिलाओं के शरीर में आने वाले बदलाव की जानकारी देते हुए डॉक्टर अदिति बताती हैं, ''पीएमएस के दौरान महिलाओं के पेट, ब्रेस्ट और निजी अंग में खून की मात्रा बढ़ जाती है और उन्हें दर्द महसूस होता है। अब सोचिए किसी के निजी अंगों के आसपास दर्द हो रहा हो तो वह खुश कैसे रह सकता है। ऐसे में अगर आपका पार्टनर आपके दर्द को समझ रहा है और कितना सुकून मिलेगा।''
 
अपनी पत्नी मोना के साथ बैठे संतोष हंसते हुए कहते हैं, ''शुरू में तो मुझे लगता था जब बीवी के पीरियड्स होने लगें तो पतियों को सुरक्षा कवच पहन कर रखना चाहिए, लेकिन अब लगता है कि इस मुश्किल वक्त में हमें उनका सुरक्षा कवच बन जाना चाहिए।''
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 विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर कार्यकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि दुनिया की मानवीय विविधता खोने का खतरा है.....

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संसाधनों के लिए अंतरराष्ट्रीय भूख की वजह से आदिवासी समुदायों के इलाके नष्ट होते जा रहे हैं। विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर कार्यकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि दुनिया की मानवीय विविधता खोने का खतरा है।
 
दुनिया भर में रहने वाले 37 करोड़ आदिवासी और जनजाति समुदायों के सामने जंगलों का कटना और उनकी पारंपरिक जमीन की चोरी सबसे बड़ी चुनौती है। वे धरती पर जैव विवधता वाले 80 प्रतिशत इलाके के संरक्षक हैं लेकिन बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लोभ, हथियारबंद विवाद और संरक्षण संस्थानों की वजह से बहुत से समुदायों की आजीविका खतरे में हैं। ग्लोबल वॉर्मिंग का असर हालात को और खराब कर रहा है।
 
जनजातियां विभिन्न तरह की हैं। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार वे 90 देशों में फैली हैं, 5,000 अलग अलग संस्कृतियां और 4,000 विभिन्न भाषाएं। इस बहुलता के बावजूद या उसकी वजह से ही उन्होंने एक तरह के संघर्ष झेले हैं, चाहे वे ऑस्ट्रेलिया में रहते हों, जापान में या में। उनका जीवन दर कम है, गैर आदिवासी समुदायों की तुलना में स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच कम है। उनकी आबादी दुनिया की 5 प्रतिशत है लेकिन गरीबों में उनका हिस्सा 15 प्रतिशत है।
 
जमीन से वंचित
सर्वाइवल इंटरनेशनल की फियोना वॉटसन ने डॉयचे वेले को बताया कि विभिन्न समुदायों की सबसे बड़ी चुनौती ये हैं कि उनकी पुश्तैनी जमीन खोती जा रही है। "दुनिया भर में आदिवासी लोगों का पर्यावरण के साथ निकट रिश्ता है। उनकी आजीविका के लिए जमीन अहम है, लेकिन उनका प्रकृति से आध्यात्मिक रिश्ता भी है।"

औपनिवेशिक काल में जमीनों को हड़पने का जो सिलसिला शुरू हुआ वह आज भी जारी है। विवाद और हिंसा की वजह से भी उनकी जमीन हड़पी जा रही हैं और वे रिफ्यूजी बन रहे हैं। कई बार सरकारें आदिवासी इलाकों में वहां रहने वाले लोगों की परवाह किए बगैर बांध बनाने या सड़क बनाने का फैसला लेती हैं। वॉटसन कहती हैं, "आदिवासी समुदायों को अक्सर पिछड़ा माना जाता है और इसका इस्तेमाल सरकारें और बहुराष्ट्रीय कंपनियां विकास के नाम पर उनकी जमीन का अधिग्रहण करने के लिए करती हैं।"
 
ब्राजील की मिसाल
एक मिसाल दक्षिणी ब्राजील का गुआरानी समुदाय है जिन्हें पशुपालन और गन्ने की खेती के लिए उनकी जमीन से खदेड़ दिया गया है।वॉटसन बताती हैं कि इस समुदाय में आत्महत्या की दर दुनिया में सबसे ज्यादा है और उस इलाके की जैव विविधता पूरी तरह खत्म हो गई है। विडंबना ये है कि पर्यावरण संरक्षण संस्थाएं भी आदिवासी समुदायों से पूछे बिना उन इलाकों को संरक्षित इलाका बनवा रही हैं, जहां वे सदियों से रहते आए हैं।
 
आदिवासी अधिकारों पर एशिया में भी विवाद हो रहा है, जहां दुनिया की 70 प्रतिशत आदिवासी आबादी रहती है। आदिवासी मामलों के अंतरराष्ट्रीय कार्यदल के अनुसार मलेशिया का बजाऊ लाउट ग्रुप बंजारा समुदाय है जो आजीविका के लिए समुद्र पर निर्भर है। जहां वे मछली पकड़ रहे थे वह इलाका 2004 में तून सकारान मरीन पार्क बना दिया और 2009 से वहां मछली मारने पर पाबंदी है। ऑस्ट्रेलिया के वोलोनगोंग यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन के अनुसार इससे उनके पोषण और खाद्य सुरक्षा पर असर पड़ा है।
 
स्वनिर्णय का अधिकार
इसलिए वॉटसन कहती हैं कि आदिवासी समुदायों के लिए खुद फैसले लेने का अधिकार बहुत मायने रखता है। "ये फैसला करने का अधिकार कि वे कैसे जीना चाहते हैं, इसकी अक्सर उपेक्षा की जाती है और इससे गंभीर समस्याएं पैदा हो रही हैं।" अभी तक अंतरराष्ट्रीय तौर पर इस पर भी सहमति नहीं है कि आदिवासी की क्या व्याख्या है। इस शब्द का इस्तेमाल 2007 में संयुक्तराष्ट्र की घोषणा में किया गया और तब से दुनिया भर में आदिवासी समुदाय दिखने लगे हैं।
 
न्यूजीलैंड में माओरी समुदाय बहुत ही सक्रिय हो गया है। ऑकलैंड यूनिवर्सिटी के जॉन मैककाफरी के अनुसार माओरी भाषा के कोर्स पूरे देश में बहुत लोकप्रिय हो गए हैं। कनाडा में भी आदिवासियों के मामलों पर मीडिया में नियमित रिपोर्ट दी जाती है और वे राष्ट्रीय बहस का हिस्सा हैं। ये उदाहरण दिखाते हैं कि दुनिया भर में आदिवासी समुदायों के साथ गहन संबंध संभव हैं। सरकारों को आदिवासी समुदायों और जनजातियों के महत्व को स्वीकार करना होगा और उनके साथ बातचीत कर भविष्य का रास्ता तय करना होगा।
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स्वतंत्रता दिवस के मौके पर ई-कॉमर्स और स्मार्टफोन निर्माता कंपनियां फ्रीडम सेल का आयोजन कर रही हैं......

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बेस्ट ऑफर के लिए आपको सभी ई-कॉमर्स कंपनियों की साइट पर जाकर सर्च करना होगा।

नई दिल्ली। स्वतंत्रता दिवस के मौके पर ई-कॉमर्स और स्मार्टफोन निर्माता कंपनियां फ्रीडम सेल का आयोजन कर रही हैं। पेटीएम मॉल, अमेजन और फ्लिपकार्ट पर इन दिनों इंडिपेंडेंस डे से पहले 'फ्रीडम सेल' चला रही है। इन दोनों ही ई-कॉमर्स कंपनियों से प्रोडक्ट्स ऑर्डर करने पर 80 फीसद तक का डिस्काउंट दिया जा रहा है। अमेजन पर शुरू होने वाले सेल की बात करें तो यहां 'फ्रीडम सेल' 9 अगस्त से 12 अगस्त के बीच सेल चलेगी।

चार दिनों तक चलने वाले इस सेल में कई प्रोडक्ट्स पर भारी डिस्काउंट्स ऑफर किए जा रहे हैं। वहीं, फ्लिपकार्ट पर 'बिग फ्रीडम सेल' 10 अगस्त से 12 अगस्त तक चलेगी। आइए, जानते हैं इन दोनों ही ई-कॉमर्स पर चलने वाले सेल पर किस तरह से आप डिस्काउंट का लाभ उठा सकते हैं।

पेटीएम मॉल फ्रीडम कैशबैक सेल

इस दौरान मल्टीपल प्रोडक्टस पर कैशबैक ऑफर दिए जा रहे हैं जिसमें स्मार्टफोन्स, लैपटॉप, फैशल अपेरल और होम अप्लायंसेस शामिल हैं। इसके अलावा नो कॉस्ट ईएमआई भी इन प्रोडक्टस पर ऑफर की जा रही है। आईफोन पर 10,000 रुपये का तक कैशबैक, FMCG प्रोडक्टस पर 30 फीसद तक का, वॉटर प्यूरिफायर पर 25 फीसद तक, वॉचेज पर 50 फीसद तक, फैशन प्रोडक्टस पर 70 फीसद तक का ऑफ समेत 70 फीसद तक कैशबैक, लैपटॉप और हैडफोन्स पर 20,000 रुपये तक का कैशबैक दिया जा रहा है।

अमेजन ''फ्रीडम सेल''

अमेजन पर चलने वाले इस सेल में 200 से ज्यादा कैटेगरी में 2,500 से ज्यादा ब्रांड्स पर 20,000 से ज्यादा डील्स दी जा रही है। अमेजन ने इसके लिए भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के साथ पार्टनरशिप की है। आइए, जानते हैं इस सेल से जुड़ी बड़ी बातों के बारे में

अमेजन पर शुरू होने वाले इस सेल में शाओमी, वनप्लस, मोटोरोला, नोकिया और वीवो समेत 25 से ज्यादा स्मार्टफोन ब्रांड्स पर 40 फीसद तक का डिस्काउंट दिया जाएगा। इसके अलावा 4 अमेजन एक्सक्लूसिव स्मार्टफोन्स भी लॉन्च किए जाएंगे। स्मार्टफोन्स के अलावा 350 से ज्यादा इलेक्ट्रॉनिक्स ब्रांड्स पर 50 फीसद से ज्यादा का डिस्काउंट ऑफर किया जा रहा है। इन इलेक्ट्रॉनिक ब्रांड्स में लेनोवो, बोस, केनन, जेबीएल आदि शामिल हैं।

सेल में उषा, बॉम्बै डाइंग, प्रैस्टिज आदि होम अप्लायंस ब्रांड्स पर 70 फीसद तक का डिस्काउंट दिया जा रहा है। अमेजन 2,000 से ज्यादा प्रोडक्ट्स पर 50 फीसद तक का डिस्काउंट दिया जा रहा है। इसके अलावा 4 दिनों तक चलने वाले इस सेल में हर रोज 10,000 से ज्यादा प्रोडक्ट्स पर 50 फीसद से ज्यादा का डिस्काउंट दिया जा रहा है।

इलेक्ट्रॉनिक्स के अलावा फैशन प्रोडक्ट्स पर भी 50 से लेकर 80 फीसद तक का डिस्काउंट दिया जा रहा है। इनमें पूमा, यूनाइटेड कलर्स ऑफ बेनेटन, अमेरिकन टूरिस्टर आदि ब्रांड्स शामिल हैं।

इस सेल में टीवी और अन्य होम अप्लायंस पर भी 40 फीसद तक का डिस्काउंट दिया जा रहा है। इसके साथ 22,000 रुपये तक का एक्सचेंज ऑफर का भी लाभ मिलेगा। अमेजन प्राइम यूजर्स को एक्सक्लूसिव डील्स भी दिए जाएंगे। इसके साथ ही जैकपॉट ऑफर के तहत लकी यूजर्स 4 लाख रुपये तक जीत सकते हैं।

फ्लिपकार्ट ''द बिग फ्रीडम सेल''

यूजर्स को हर 8 घंटे में बड़ी डील्स ऑफर की जाएगी और रात के 2 बजे तक हर घंटे रिवोल्यूशनरी डील्स भी दी जा रही है। इसके अलावा सिटी बैंक क्रेडिट कार्ड धारकों को एक्सक्लुसिव डील्स भी दी जाएगी। फ्लिपकार्ट पर शुरू होने वाले सेल में स्मार्टफोन्स पर कितना डिस्काउंट दिया जाएगा अभी तक यह साफ नहीं है। लेकिन, फ्लिपकार्ट के प्रमोशनल पेज पर सैमसंग, शाओमी, एप्पल जैसे ब्रांड्स को लगाया गया है। इन स्मार्टफोन्स पर भारी डिस्काउंट ऑफर किया जा रहा है।

फ्लिपकार्ट पर शुरू होने वाले सेल में होम अप्लायंस पर 70 फीसद तक का डिस्काउंट दिया जा रहा है। लैपटॉप, कैमरे जैसे इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट्स पर 80 फीसद तक का डिस्काउंट ऑफर किया जाएगा। फैशन प्रोडक्ट्स और फुटवियर्स पर 40 से लेकर 80 फीसद तक का डिस्काउंट ऑफर किया जाएगा। किचन के सामानों पर भी 40 से 80 फीसद तक का डिस्काउंट ऑफर किया जा रहा है। ब्यूटी प्रोडक्ट्स और खिलौने आदि की कीमतें 99 रुपये से शुरू हो रही है।

फैशन एंड होम डेकोर

इन सेल में रितु कुमार, सत्या पॉल, टॉरस और रोहित बल के डिजायनर ब्रांड्स को भी लगाया गया है। इसके साथ ही फास्ट ट्रैक, प्यूमा, अमेरिकन टूरिस्टर, यूसीबी, जॉकी रेड टेप, कैप्रेसी जैसे ब्रांड्स पर भी अच्छी खासी डील मिल रही है। पर्दों की शुरुआत 200 रुपए से हो रही है। वहीं एक्सरसाइज के सामान जैसे ट्रेडमिल और एक्सरसाइज बाइक पर 45 फीसद तक की छूट मिल रही है। सिंगल डोर रेफ्रिजरेटर 10 हजार रुपए में और फ्रंट लोडिंग वॉशिंग मशीन 13 हजार 990 रुपए में मिल रही है। टीवी भी करीब आधी कीमत में मिल रहा है। बेस्ट ऑफर के लिए आपको सभी ई-कॉमर्स कंपनियों की साइट पर जाकर सर्च करना होगा।

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 Divya Chhattisgarh

 

City Office :-  Infront of Raj Talkies, Block - B1, 2nd Floor,

                              Bombey Market, GE Road, Raipur 492001

Address     :-  Block - 03/40 Shankar Nagar, Sarhad colony, Raipur { C.G.} 492007

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