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वॉशिंगटन: अमेरिका में एयरपोर्ट और एयर ट्रैफिक कंट्रोल के कंप्यूटरों में अचानक आई तकनीकी खामियों के बाद पूरे देश की एयरलाइन की सभी उड़ानों को अगले आदेश तक रोक दिया गया है. फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन के कंप्यूटर्स में टेक्निकल फॉल्ट हो गया है, जिसके बाद पूरे संयुक्त राज्य अमेरिका में उड़ानें प्रभावित हुईं हैं. NBC न्यूज के मुताबिक, राष्ट्रपति जो बाइडन ने पूरे मामले में FAA से रिपोर्ट मांगी है.
न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, अब तक 3,578 फ्लाइट्स लेट हो चुकी हैं. जबकि 450 डोमेस्टिक और इंटरनेशनल फ्लाइट्स कैंसिल कर दी गई हैं. अतिरिक्त 100 उड़ानें भी रद्द कर दी गई हैं. न्यूज एजेंसी AP के मुताबिक- अमेरिका से बुधवार को कुल 21 हजार फ्लाइट टेकऑफ करने वाली हैं. ज्यादातर डोमेस्टिक फ्लाइट्स हैं. इनके अलावा 1,840 इंटरनेशनल फ्लाइट्स US में लैंड करने वाली हैं. इन पर भी असर पड़ रहा है.
बाइडन ने की इमरजेंसी मीटिंग
राष्ट्रपति जो बाइडन ने इस मामले में इमरजेंसी मीटिंग के बाद मीडिया को ब्रीफिंग दी. बाइडन ने कहा- 'सभी एयरक्राफ्ट सेफ लैंडिंग कर सकते है. हां, ये बात जरूर है कि अभी हम उन्हें टेकऑफ की मंजूरी नहीं दे सकते. फिलहाल, ये कहना भी मुश्किल है इस बड़ी दिक्कत की वजह क्या है. उम्मीद करते हैं कि कुछ घंटे बाद हमें इस बारे में विस्तार से जानकारी मिल जाएगी. मैं खुद इस मामले की मॉनिटरिंग कर रहा हूं.'
NOTAM का होता है ये काम- NOTAM पूरे फ्लाइट ऑपरेशन का सबसे अहम हिस्सा होता है. इसके जरिए ही फ्लाइट्स को टेकऑफ या लैंडिंग की जानकारी मिलती है. NOTAM रियल टाइम डेटा लेकर एयरपोर्ट ऑपरेशन्स या एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) को देता है. इसके बाद एटीसी इसे पायलट्स तक पहुंचाते हैं.
साइबर अटैक से किया इनकार -अमेरिकी इतिहास में पहली बार इतनी बड़ी तकनीकी खराबी के बाद व्हाइट हाउस का भी बयान आया. NBC न्यूज के मुताबिक, राष्ट्रपति जो बाइडन ने पूरे मामले में FAA से रिपोर्ट मांगी है. प्रेस सेक्रेटरी कैरीन जीन पियरे ने कहा- 'ट्रांसपोर्टेशन सेक्रेटरी कुछ देर पहले प्रेसिडेंट जो बाइडन से मिले. उन्होंने इस परेशानी के बारे में प्रेसिडेंट को जानकारी दी है. अब तक की जांच के आधार पर हम कह सकते हैं कि यह साइबर अटैक का मामला नहीं है, लेकिन प्रेसिडेंट ने इस मामले की पूरी और गंभीरता से जांच के आदेश दिए हैं और रिपोर्ट मांगी है.
परिवहन मंत्री बटिगीज ने कहा कि वह एफएए के संपर्क में हैं और स्थिति की निगरानी कर रहे हैं. उन्होंने एक ट्वीट में कहा, "एफएए इस मुद्दे को तेजी से और सुरक्षित रूप से हल करने के लिए काम कर रहा है, ताकि एयर ट्रैफिक का सामान्य संचालन फिर से शुरू कर सके. एफएए आपको अपडेट करता रहेगा.”
एफएए ने इस संबंध में स्थिति पर ताजा जानकारी में कहा, “एफएए अब भी नोटिस टू एयर मिशन सिस्टम को पूरी तरह से बहाल करने के लिए काम कर रहा है. कुछ काम पटरी पर आ गया है....''
शंघाई: चीन ने शनिवार को चंद्र नव वर्ष यात्रा की 40-दिवसीय अवधि "चुन यून" का पहला दिन शुरू हुआ. रायटर्स के अनुसार, चुन यून दुनिया के सबसे बड़े वार्षिक प्रवासन (माइग्रेशन) के रूप में जाना जाता है. यह आधिकारिक तौर पर 21 जनवरी से शुरू होता है और इसमें सार्वजनिक अवकाश रहता है. 2020 के बाद घरेलू यात्रा प्रतिबंधों के बिना यह पहला चंद्र नव वर्ष होगा. इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि यात्रियों में भारी वृद्धि तो करेगा ही COVID के प्रसार का कारण भी बन सकता है.
चीन के अस्पतालों में भारी भीड़
पिछले महीने चीन ने अपने "जीरो कोविड" नीति के खिलाफ ऐतिहासिक विरोध के बाद देखा था. जीरो कोविड नीति के कारण बड़े पैमाने पर चीन में लॉकडाउन रहा और दुनिया की नंबर 2 अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान शामिल हुआ. निवेशक उम्मीद कर रहे हैं कि लॉकडाउन हटने से लगभग आधी सदी में सबसे कम वृद्धि झेल रही 17 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था में फिर से जान आएगी. हालांकि, चीन की 1.4 बिलियन आबादी में से कई को पहली बार कोरोना हुआ है. इससे संक्रमण की एक लहर शुरू हो गई है. अस्पतालों में भारी भीड़ है. दवा की दुकानें खाली हो गईं हैं और श्मशान घाटों पर लंबी लाइनें लगी हैं.
चीन के परिवहन मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि उसे उम्मीद है कि अगले 40 दिनों में 2 अरब से अधिक चीन के लोग यात्रा करेंगे. सोशल मीडिया में इस समाचार पर प्रतिक्रिया मिली-जुली थी. कुछ टिप्पणियों में गृहनगर लौटने और वर्षों में पहली बार परिवार के साथ चंद्र नव वर्ष मनाने की स्वतंत्रता की सराहना की गई. हालांकि, कई अन्य लोगों ने कहा कि वे इस वर्ष यात्रा नहीं करेंगे. बुजुर्ग रिश्तेदारों को संक्रमित करने की चिंता कई लोगों ने जताई. शहरों से श्रमिकों के अपने गृहनगर जाने से छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में संक्रमण में वृद्धि होगी. वहां कोरोना से निपटने के लिए आईसीयू बेड और वेंटिलेटर की कमी है.
सबसे खराब समय बीत चुका
कैपिटल इकोनॉमिक्स में चीन के वरिष्ठ अर्थशास्त्री जूलियन इवांस-प्रिचर्ड ने शुक्रवार के नोट में इस जोखिम को स्वीकार किया, लेकिन यह भी कहा कि ऐसा लगता है कि सबसे खराब समय बीत चुका है. बीजिंग में गवेकल ड्रैगनोमिक्स के विश्लेषक अर्नान कुई ने कई ऑनलाइन सर्वेक्षणों का हवाला देते हुए संकेत दिया कि संक्रमण की वर्तमान लहर अधिकांश क्षेत्रों में पहले से ही चरम पर हो सकती है, यह देखते हुए कि "शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच बहुत अंतर नहीं था."
सीमा को फिर से खोलना
रविवार को हांगकांग के साथ चीन की सीमा को फिर से खोलना से साफ है कि अंतरराष्ट्रीय यात्रियों को क्वारंटीन करने को चीन अब जरूरी नहीं समझ रहा. इससे चीनी लोगों के लिए पहली बार विदेश यात्रा करने का द्वार खुल गया, क्योंकि लगभग तीन साल पहले सीमाओं को बंद कर दिया गया था. विदेशों से वापसी पर सभी को क्वारंटीन में रहना पड़ता था. एक दर्जन से अधिक देश अब चीनी यात्रियों से COVID परीक्षण की मांग कर रहे हैं, क्योंकि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि चीन के आधिकारिक वायरस डेटा ने इसके प्रकोप की वास्तविक सीमा को कम करके आंका है.
आंकड़े छुपाने का आरोप
चीनी अधिकारियों और राज्य मीडिया ने प्रकोप से निपटने का बचाव किया है. उछाल की गंभीरता को कम किया है और अपने निवासियों के लिए विदेश यात्रा आवश्यकताओं की निंदा की है. चीन ने शुक्रवार को अपनी मुख्य भूमि में तीन नई COVID मौतों की सूचना दी, जिससे इसकी आधिकारिक वायरस मृत्यु संख्या 5,267 हो गई, जो दुनिया में सबसे कम है. अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि बीजिंग की COVID मौतों की संकीर्ण परिभाषा एक सही गिनती को नहीं दर्शाती है, और कुछ इस वर्ष एक लाख से अधिक मृत्यु की भविष्यवाणी करते हैं.
नई दिल्ली: उज्बेकिस्तान ने दावा किया है कि भारत में बनी कफ सिरप के कथित रूप से सेवन की वजह से 18 बच्चों की मौत हो गई. उज्बेकिस्तान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि मरने वाले 18 बच्चों ने कफ सिरप Doc-1 Max का सेवन किया था. यह दवा नोएडा स्थित Marion Biotech द्वारा बनाई जाती है.
साथ ही मंत्रालय ने कहा कि सिरप के एक बैच के लैब टेस्ट में ethylene glycol मिला है, जो कि एक जहरीला पदार्थ है.
बयान में यह भी कहा गया है कि बच्चों को बिना डॉक्टर की सलाह के घर पर ही यह सिरप दी गई थी. यह सिरप बच्चों के माता-पिता ने या फार्मासिस्ट की सलाह पर दी गई. इसके साथ ही बच्चों के लिए इसकी मानक खुराक से ज्यादा खुराक दी गई है.
बयान में कहा गया है कि 18 बच्चों की मौत के बाद देश की सभी फार्मेसियों से Doc-1 Max टैबलेट और सिरप हटा लिए गए हैं. इसके साथ ही सात कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया गया है क्योंकि वे समय पर स्थिति को नहीं संभाल पाए और जरूरी कदम उठाने में नाकाम रहे.
भारत ने उज्बेकिस्तान में 18 बच्चों की मौत को नोएडा स्थित दवा निर्माता की सिरप से जोड़ने के दावे के बाद जांच शुरू कर दी है.
पेरिस: कई दशकों से आम आदमी की सोच से परे रहे परमाणु युद्ध के डरावने सपने यूक्रेन पर रूस के हमले के साथ ही वापस आ गए हैं. रूस युद्ध के दौरान बैकफुट पर नज़र आने लगा है, और इसी से आशंका प्रबल हुई है कि अब कामयाबी की सूरत देखने के लिए रूस अपने परमाणु हथियारों का सहारा ले सकता है.
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्य देश - अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन और फ्रांस - ही दुनियाभर में परमाणु शक्तिसंपन्न देशों के रूप में जाने-पहचाने जाते हैं. NATO के पूर्व उप-महासचिव कैमिले ग्रैंड का कहना है, "यह पहला मौका है, जब किसी परमाणु शक्तिसंपन्न मुल्क ने पारम्परिक युद्ध छेड़ा है..."
समाचार एजेंसी AFP से कैमिले ग्रैंड ने कहा, "कोई यह कल्पना तो कर सकता है कि कोई बुरा देश ऐसा रवैया अपना सकता है, लेकिन यह तो दुनिया की दो सबसे प्रमुख परमाणु शक्तियों में से एक, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का सदस्य देश है..." हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि हथियारों का असल में इस्तेमाल किया जाना अब भी 'असंभावित' है.
वर्ष 1945 में द्वितीय विश्वयुद्ध के अंत में हिरोशिमा और नागासाकी पर अमेरिकी परमाणु हमले के बाद उभरा नैतिक और रणनीतिक 'टैबू' फिलहाल कायम है, लेकिन बयानबाजी अब काफी तेज़ी पकड़ चुकी है.
यूक्रेन पर हुए हमले के बाद से ही रूसी TV चैनलों पर बार-बार पेरिस या न्यूयॉर्क जैसे पश्चिमी शहरों पर परमाणु हमलों को लेकर चर्चा की गई है. एक पूर्व रूसी राजनयिक ने नाम प्रकाशित नहीं करने की शर्त पर चेताया कि अगर राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन को रूस के अस्तित्व पर खतरा महसूस हुआ, तो "वह बटन दबा देंगे..."
इस साल हुई घटनाएं समूचे यूरोप के लिए 'आंखें खोल देने वाली' रही हैं, जो कई दशकों तक परमाणु सुरक्षा के मामले में शीत युद्ध से मिल रहे लाभ का आनंद लेता रहा, जबकि अटलांटिक के उस पार अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इसी साल अक्टूबर में दुनिया के सिर पर संभावित 'विश्वयुद्ध' का खतरा मंडराने की चेतावनी दी थी.