Monday, 14 July 2025

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शकुनि के पास जुआ खेलने के लिए जो पासे होते थे वह उसके मृत पिता के रीढ़ की हड्डी के थे।...... 

 

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यह बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि शकुनि के पास जुआ खेलने के लिए जो पासे होते थे वह उसके मृत पिता के रीढ़ की हड्डी के थे। अपने पिता की मृत्यु के पश्चात शकुनि ने उनकी कुछ हड्डियां अपने पास रख ली थीं। शकुनि जुआ खेलने में पारंगत था और उसने कौरवों में भी जुए के प्रति मोह जगा दिया था।
 
शकुनि की इस चाल के पीछे सिर्फ पांडवों का ही नहीं बल्कि कौरवों का भी भयंकर विनाश छिपा था, क्योंकि शकुनि ने कौरव कुल के नाश की सौगंध खाई थी और उसके लिए उसने दुर्योधन को अपना मोहरा बना लिया था। शकुनि हर समय बस मौकों की तलाश में रहता था जिसके चलते कौरव और पांडवों में भयंकर छिड़ें और कौरव मारे जाएं।
 
जब युधिष्ठिर हस्तिनापुर का युवराज घोषित हुआ, तब शकुनि ने ही लाक्षागृह का षड्‍यंत्र रचा और सभी पांडवों को वारणावत में जिंदा जलाकर मार डालने का प्रयत्न किया। शकुनि किसी भी तरह दुर्योधन को हस्तिनापुर का राजा बनते देखना चाहता था ताकि उसका दुर्योधन पर मानसिक आधिपत्य रहे और वह इस मुर्ख दुर्योधन की सहायता से भीष्म और कुरुकुल का विनाश कर सके अतः उसने ही पांडवों के प्रति दुर्योधन के मन में वैरभाव जगाया और उसे सत्ता का लोलुप बना दिया।
 
ऐसा भी कहा जाता है कि शकुनि के पासे में उसके पिता की आत्मा वास कर गई थी जिसकी वजह से वह पासा शकुनि की ही बात मानता था। कहते हैं कि शकुनि के पिता ने मरने से पहले शकुनी से कहा था कि मेरे मरने के बाद मेरी हड्डियों से पासा बनाना, ये पासे हमेशा तुम्हारी आज्ञा मानेंगे, तुमको जुए में कोई हरा नहीं सकेगा।

यह भी कहा जाता है कि शकुनि के पासे के भीतर एक जीवित भंवरा था जो हर बार शकुनि के पैरों की ओर आकर गिरता था। इसलिए जब भी पासा गिरता वह छ: अंक दर्शाता था। शकुनि भी इस बात से वाकिफ़ था इसलिए वह भी छ: अंक ही कहता था। शकुनि का सौतेला भाई मटकुनि इस बात को जानता था कि पासे के भीतर भंवरा है।
 
हालांकि शकुनि की बदले की भावना कि इस कहानी का वर्णन वेदव्यास कृत में नहीं मिलता है। यह कहानी लोककथा और जनश्रुतियों पर आधारित है कि उसके परिवार को धृतराष्ट्र ने जेल में डाल दिया था जहां उसके माता, पिता और भाई भूख से मारे गए थे। बहुत से विद्वानों का मत है कि शकुनि के पासे हाथीदांत के बने हुए थे। शकुनि मायाजाल और सम्मोहन की मदद से पासो को अपने पक्ष में पलट देता था। जब पांसे फेंके जाते थे तो कई बार उनके निर्णय पांडवों के पक्ष में होते थे, ताकि पांडव भ्रम में रहे कि पासे सही है।
 
जानिए पूरी कथा :
 
शकुनि के कारण ही महाराज धृतराष्ट्र की ओर से पांडवों व कौरवों में होने वाले विभाजन के बाद पांडवों को एक बंजर पड़ा क्षेत्र सौंपा गया था, लेकिन पांडवों ने अपनी मेहनत से उसे इंद्रप्रस्थ में बदल दिया। युधिष्ठिर द्वारा किए गए राजसूय यज्ञ के दौरान दुर्योधन को यह नगरी देखने का मौका मिला। महल में प्रवेश करने के बाद एक विशाल कक्ष में पानी की उस भूमि को दुर्योधन ने गलती से असल भूमि समझकर उस पर पैर रख दिया और वह उस पानी में गिर गया। यह देख पांडवों की पत्नी द्रौपदी उन पर हंस पड़ीं और कहा कि 'एक अंधे का पुत्र अंधा ही होता है'। यह सुन दुर्योधन बेहद क्रोधित हो उठा।
 
दुर्योधन के मन में चल रही बदले की इस भावना को शकुनि ने हवा दी और इसी का फायदा उठाते हुए उसने पासों का खेल खेलने की योजना बनाई। उसने अपनी योजना दुर्योधन को बताई और कहा कि तुम इस खेल में हराकर बदला ले सकते हो। खेल के जरिए पांडवों को मात देने के लिए शकुनि ने बड़े प्रेम भाव से सभी पांडु पुत्रों को खेलने के लिए आमंत्रित किया और फिर शुरू हुआ दुर्योधन व युधिष्ठिर के बीच पासा फेंकने का खेल। शकुनि पैर से लंगड़ा तो था, पर अथवा द्यूतक्रीड़ा में अत्यंत प्रवीण था। उसकी चौसर की महारथ अथवा उसका पासों पर स्वामित्व ऐसा था कि वह जो चाहता वे अंक पासों पर आते थे। एक तरह से उसने पासों को सिद्ध कर लिया था कि उसकी अंगुलियों के घुमाव पर ही पासों के अंक पूर्वनिर्धारित थे।
 
खेल की शुरुआत में पांडवों का उत्साह बढ़ाने के लिए शकुनि ने दुर्योधन को आरंभ में कुछ पारियों की जीत युधिष्ठिर के पक्ष में चले जाने को कहा जिससे कि पांडवों में खेल के प्रति उत्साह उत्पन्न हो सके। धीरे-धीरे खेल के उत्साह में युधिष्ठिर अपनी सारी दौलत व साम्राज्य जुए में हार गए।

अंत में शकुनि ने युधिष्ठिर को सब कुछ एक शर्त पर वापस लौटा देने का वादा किया कि यदि वे अपने बाकी पांडव भाइयों व अपनी पत्नी द्रौपदी को दांव पर लगाएं। मजबूर होकर युधिष्ठिर ने शकुनि की बात मान ली और अंत में वे यह पारी भी हार गए। इस खेल में पांडवों व द्रौपदी का अपमान ही कुरुक्षेत्र के युद्ध का सबसे बड़ा कारण साबित हुआ।
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World Population Day 2018, क्‍यों मर्द नसबंदी के नाम से घबराते हैं?......



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वैसे तो हर काम में पुरुष आगे रहना पसंद करते है, लेकिन बात जब फैमिली प्‍लानिंग की आती है तो वे यह जिम्‍मेदारी अपनी पत्‍नी के कंधों पर डाल कर खिसक जाते है। पुरूष नसबन्‍दी, पुरूषों के लिए गर्भनिरोध का सबसे सरल, सुरक्षित और कम खर्चीला उपाय है। इसमें शुक्रवाहिका नामक दो ट्यूबों को काट दिया जाता है जिससे शुक्राणु वीर्य तक पहुंच ही नहीं पाते हैं। इसके अलावा पुरूष नसबन्‍दी करवाने में समय भी बहुत कम लगता है और यह गर्भनिरोधक के लिए महिला नसबन्‍दी जितना ही प्रभावशाली होता है।

लेकिन इसके बाद भी पुरुषों को लगता है कि फैमिली प्‍लानिंग और नसबंदी सिर्फ महिलाओं की जिम्‍मेदारी है। हमारे देश में आज भी ज्‍यादात्तर पुरुष गर्भनिरोध के नाम पर सिर्फ कंडोम का इस्‍तेमाल करते आ रहे हैं। कभी आपने सोचा है कि पुरुष नसबंदी करवाने से क्‍यूं बचते हैं?

आइए विश्‍व जनसंख्‍या दिवस पर जानते है कि आखिर नसबंदी न करवाने के पीछे पुरुषों की क्‍या मानसिकता रहती है।

दिल की बीमारी

हालांकि कई लोग मानते हैं कि नसबंदी के कारण पुरुषों के दिल पर बुरा असर पड़ता है, लेकिन वास्‍तव में ऐसा नहीं है। अभी तक इस बात का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है।

टांके का डर

पुरुषों को लगता है नसबंदी के दौरान उन्‍हें चीरा लगाया जाएगा, टांके और चीरे की नाम से वो डर जाते है। लेकिन वर्ष 1998-99 के दौरान एनएसवी (नो स्कैल्पल वसेक्टमी) के रूप में नसबंदी की नयी पद्धति का शुरु हुई थी। जिसमें बिना चीरा और टांके की नसबंदी का चलन शुरु हो गया है तो पुरुषों को इस चीज से भी नहीं घबराने की जरुरत है।

दर्द की वजह से

कई पुरुष दर्द के वजह से नहीं कराते है नसबंदी नसबंदी के दौरान पुरुषों को दर्द नहीं होता है। क्योंकि नसबंदी की पुरानी पद्धति में बहुत दर्द होता था। लेकिन एनएसवी सरीखी नयी पद्धति के चलते अब पुरुष झटपट नसबंदी कराके अपेक्षाकृत जल्दी अपने काम पर लौट सकते हैं और अब नई तकनीक में एनेस्थीसिया देते समय इंजेक्शन लगाने के दौरान, नाममात्र का ही दर्द होता है।

 मर्दाना शक्ति पर असर?

ज्‍यादात्तर पुरुषों को लगता है कि नसबंदी करवाने से उनकी सेक्‍सलाइफ पर असर पड़ता है, नसबंदी के बाद सेक्‍स प्‍लेजर नहीं मिलता है। नसबंदी के बाद कुछ महीनों तक टेस्टिकल में आपको हल्का दर्द हो सकता है। लेकिन सेक्स में रुचि, इरेक्शन क्षमता, या स्खलन पर कोई प्रभाव नहीं होता। विशेषज्ञों की माने तो नसबंदी कराने से किसी प्रकार की नपुसंकता या नामर्दी नहीं आती है बल्कि इससे शीघ्रपतन की शिकायत दूर हो जाती हे। अनचाहें गर्भ की चिंता दूर हो जाती है तो यौन संबंध बनाने में पहले से ज्‍यादा प्‍लेजर मिलता है।

पुरुषों के टेस्‍टोस्‍टेरोन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता

कई पुरुषों की गलत धारणा है कि नसबंदी के बाद पुरुषों के हार्मोन पर फर्क पड़ता है लेकिन ये गलत है। नसबंदी में शुक्राणु वाहिनी नालिकाओं को बांध दिया जाता है। जिससे शुक्राणु शरीर के बाहर न‍हीं जा पाते हैं ये शरीर में ही घुलकर रह जाते हैं। इस प्रकार शरीर के स्‍वस्‍थ रहने भी सहायक होते है। इससे पुरुषों के टेस्‍टोस्‍टेरोन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। अमेरिका के अनुसंधानकर्त्‍ताओं का कहना है कि नसबंदी कराए हुए व्‍यक्तिओं का स्‍वास्‍थ्‍य दूसरे व्‍यक्तियों की तुलना में अधिक अच्‍छा होता है वे अधिक दिन जीवित रहते हैं।

कमजोरी आ जाती है? 

कई पुरुषों को लगता है कि नसबंदी कराने से पुरुषों में शारीरिक कमजोरी आ जाती है, लेकिन ये गलत धारणा है। डेली रुटीन के कामों पर लौटने के ल‍िए पुरुषों को नसबंदी के बाद एक दो दिन का आराम बहुत जरुरी होता है। ज्यादातर पुरुष 2-3 दिन बाद काम पर जा सकते हैं। नार्मल फिजिकल एक्टिविटीज जैसे की भागना, वर्क आउट, भारी समान उठाना आदि एक सप्‍ताह रुक कर शुरु किए जा सकते है।

 अगर नसबंदी फेल हो गई तो ? 

आजकल नसबंदी असफल होने की कई मामले सामने आते रहते है तो ऐसे में पुरुषों के मन में एक भय ये भी होता है कि अगर नसबंदी फेल हो गई तो? ये बात सही है कि नसबंदी करवाते ही एक तुरंत प्रभावी न हीं हो जाती है। यह तरीका प्रभावी होने में कई महीनों ले सकता है। क्योंकि ट्यूब्स में स्पर्म्स रह सकते हैं जो वीर्य के साथ निकलते हैं। इस समय के दौरान, कोई और प्रोटेक्शन की जानी चाहिए नहीं तो महिला गर्भवती हो सकती है। कम से कम तीन महीने के बाद यह तरीका प्रभाव हो सकता है। तीन महीने के बाद स्पर्म काउंट के लिए किए जाने वाले टेस्ट से पता किया जा सकता हैं की नसबंदी सफल हुई है या नहीं।

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पिता बनना गर्व की बात होती है और यहां आपकी ज़िम्मेदारियां खत्म नहीं बल्कि शुरू होती हैं।......


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पिता बनना गर्व की बात होती है और यहां आपकी ज़िम्मेदारियां खत्म नहीं बल्कि शुरू होती हैं। जैसे ही आप अपने परिवार को आगे बढ़ाने का निर्णय लेते हैं अर्थात बच्चे की प्लानिंग शुरू करते हैं तो इसके साथ ही आपको अपने जीवन और जीवनशैली में बहुत सारे बदलाव लाने पड़ते हैं। अच्छा पिता बनने के लिए आपको छोटे छोटे बलिदान देने पड़ते हैं। साथ ही अपनी सेहत का भी खास ध्यान रखना होता है ताकि आप अपने होने वाले बच्चे के साथ खुशियों के पल जी सकें और उसे एक बेहतर भविष्य दे पाएं। कई बार हम जल्दबाज़ी में कुछ गलत फैसले ले लेते हैं जिसका परिणाम हमें सारी उम्र भुगतना पड़ता है। इसी प्रकार जब आप पिता बनने का निर्णय लेते हैं तो कुछ बातें ऐसी होती हैं जिन पर आपको गौर करने की वाक़ई में ज़रुरत होती है। तो आइए ऐसी ही कुछ ज़रूरी बातें हम आपको बताते हैं जिन्हें एक पिता को ध्यान में रखनी चाहिए।

आर्थिक योजना बनाएं

इस महंगाई के ज़माने में बच्चे का पालन पोषण करना आसान नहीं होता इसलिये आप बच्चे की प्लानिंग तभी करें जब आप आर्थिक रूप से इसके लिए तैयार हों। आज के इस दौर में बच्चों की पढ़ाई लिखाई से लेकर अन्य सभी चीज़ें इतनी महंगी हो गयी है कि माता पिता के लिए ये सब करना बहुत ही मुश्किल हो जाता है। अगर आप अपने बच्चे को एक खुशहाल और अच्छा भविष्य देना चाहते हैं तो पहले स्वयं को आर्थिक तौर पर मज़बूत बनाएं।

स्वस्थ जीवनशैली

यदि आप स्वस्थ नहीं रहेंगे तो आपके शुक्राणु भी ठीक नहीं रहेंगे। अगर आप बच्चे की प्लानिंग कर रहे हैं तो बेहतर होगा आप अपने स्वास्थ्य का पूरा ध्यान रखें। रोज़ाना व्यायाम के साथ अपने खाने पीने पर भी ध्यान दें। साथ ही समय समय पर डॉक्टर से अपना चेकअप भी करवाते रहें ताकि आप यह जान सकें कि कहीं आपको कोई सेहत संबंधी समस्या तो नहीं है।

 शराब और सिगरेट का सेवन न करें

शराब, सिगरेट आदि जैसी बुरी आदतें ना सिर्फ आपके स्वास्थ्य को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती हैं बल्कि आपके शुक्राणु और डीएनए को भी नुकसान पहुंचाती है। बेहतर होगा आप अपने बच्चे के लिए इस तरह की बुरी आदतों से दूर ही रहें।

अपने बर्ताव में बदलाव लाएं

अपने बच्चों के लालन पालन के दौरान माता पिता को कई सारे समझौते करने पड़ते हैं। एक अच्छे पिता होने के नाते आपको हमेशा अपने बुरे पहलू को छिपाकर रखना चाहिए ताकि उसका असर आपके बच्चे पर न पड़े। अपने बच्चे के सामने अच्छा व्यवहार करें। साथ ही अपने गुस्से पर भी काबू रखना, धैर्य आदि जैसी चीज़ें आपको अपने अंदर रखनी चाहिए। अपने बच्चों के साथ हमेशा शान्ति और प्यार से पेश आएं।

बच्चे के लिए एक उदाहरण बनें

जैसा की हम सब जानते हैं बच्चे बड़ों को देखकर बहुत कुछ सीखते हैं इसलिए आप स्वयं को ऐसा बनाए कि आप अपने बच्चे के लिए एक उदाहरण बन जाएं। एक अच्छा पिता बनने से पहले एक अच्छा इंसान बनना भी आपके लिए उतना ही ज़रूरी है।

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मानसून एक ऐसा मौसम है जो सच में जो दो लोगों को और भी पास ले आता है।...... 


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वैसे तो सेक्‍स करने का कोई खास वजह और मौसम नहीं होता है। लेकिन लोग फिर भी अक्‍सर एक दूसरे से पूछते है कि क्‍या ऐसा कौनसा मौसम है जब सेक्‍स नहीं करना चाहिए या करना चाहिए तो जवाब है ऐसा कोई विशेष मौसम नहीं है। लेकिन फिर भी लोग अपने नेचर और मूड के हिसाब से अलग-अलग मौसम पर सेक्‍स को ज्‍यादा एंजॉय करना प्रीपर करते है।

ज्‍यादात्तर लोगों को मानसून के समय सेक्‍स या रोमांस करना ब‍हुत लुभाता है। क्‍योंकि ये मौसम ही बहुत रोमांटिक होता है। मानसून एक ऐसा मौसम है जो सच में जो दो लोगों को और भी पास ले आता है। मौसम की नजाकत को देखते हुए लोग एक दूसरे से ज्‍यादा देर तक दूर रह ही नहीं पाते है। आइए जानते है कि मानसून के मौसम में सेक्‍स करना क्‍यों स्‍पेशल होता है। क्‍यों लोग बारिश के मौसम में भीगना पसंद करते हैं।

गीला और भीगा मौसम

मानसून को अगर प्‍यार में भिगा देने वाला मौसम कहेंगे तो कम नहीं होगा। इस मौसम में जब कभी आप अपने पार्टनर की भीगी हुई जुल्‍फें और भीगा बदन देखते होंगे तो चाहकर भी उनसे दूर नहीं रह पाते होंगे। ठंड से उनका ठिठुरना आपको हॉर्नी फील करवा देता है। कितना भी आप खुद को रोक लें, लेकिन उनसे चाहकर भी दूर नहीं जा सकते है। एक तरफ बाहर बारिश की ठंडक दूसरी तरफ आप दोनों का प्‍यार में खो जाना। इस मौसम को स्‍पेशल बना ही देता है।

रेन सेक्‍स

आपने पूल सेक्‍स, शॉवर सेक्‍स और बाथ टब सेक्‍स के बारे में सुना होगा। लेकिन बारिश या रेन सेक्‍स के बारे में आपके क्‍या विचार ? सुनने में ही मजा आ गया ना तो करके देखिएं, ये आपकी लाइफ का सबसे अच्‍छा रोमांचक अहसास होगा। आप चाहे तो घर की बालकनी, छत या किसी ऐसी जगह एंजॉय कर सकते है जहां कोई भी आपकी प्राइवेसी में दखल न दे सकें।

सुहावना मौसम

मानसून की वजह से मौसम खुद ब खुद सुहावना हो जाता है। इस सुहावने मौसम में आप दूसरों काम से ज्‍यादा आपको अपने पार्टनर के साथ समय बिताना का मन करता है। ठंडी हवा और बारिश की बौछारें आसपास के माहौल को बहुत ही खुशनुमा बना देते है लेकिन साथ ही वो आपको आपके पार्टनर के साथ रोमांटिक होने के ल‍िए उत्‍साहित कर देते है। इस सेक्‍सी और सुहावने मौसम में पार्टनर के साथ रोमांटिक हो जाना तो एक जाहिर सी बात है।

बारिश में मेकआउट

ये हर कपल की फैंटेसी का हिस्‍सा होता है बारिश में लॉन्‍ग ड्राइव का मजा और एक जगह कहीं सूनसान रोड़ पर गाड़ी रोककर बारिश की बौछारों के बीच पार्टनर के साथ मेकआउट करना। ये फैंटेसी हर कपल अपनी जिंदगी में एक बार फील करना जरुर चाहता है।

घर पर परफेक्‍ट सेक्‍सी सा माहौल

मानसून में ज्‍यादात्तर बारिश के वजह से कपल्‍स का मूवी, डिनर या शॉपिंग का प्रोग्राम कैंसिल ही करवाना पड़ता है। ऐसे में आप दोनों घर पर ही एक दूसरे के साथ मूवी डेट प्‍लान कर सकते है। घर पर ही एक दूसरे से चिपककर कोई रोमांटिक सी मूवी देखिएं और एक दूसरे को कडल करते हुए आप दोनों भी रोमांटिक हो जाएं और मूवी देखते हुए रोमांटिक सीन के साथ आप भी एक दूसरे के बांहों में बांहे डालकर प्‍यार में खो जाएं।

म्‍यूजिक

क्‍या आप दोनों म्‍यूजिक में इच्‍छुक रहते है? बारिश में रोमांस को तड़का लगाने का काम सिर्फ म्‍यूजिक ही कर सकता है। अगर आप उनके साथ आज शाम रोमांटिक होना चाहते है तो कुछ रोमांटिक सा म्‍यूजिक प्‍ले कर दीजिए जो बारिश और आपकी फीलिंग्‍स को अच्‍छे से कनेक्‍ट कर सकें। उसके बाद देखिएं फिर क्‍या होता है।

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