Saturday, 06 December 2025

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मानसून एक ऐसा मौसम है जो सच में जो दो लोगों को और भी पास ले आता है।...... 


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वैसे तो सेक्‍स करने का कोई खास वजह और मौसम नहीं होता है। लेकिन लोग फिर भी अक्‍सर एक दूसरे से पूछते है कि क्‍या ऐसा कौनसा मौसम है जब सेक्‍स नहीं करना चाहिए या करना चाहिए तो जवाब है ऐसा कोई विशेष मौसम नहीं है। लेकिन फिर भी लोग अपने नेचर और मूड के हिसाब से अलग-अलग मौसम पर सेक्‍स को ज्‍यादा एंजॉय करना प्रीपर करते है।

ज्‍यादात्तर लोगों को मानसून के समय सेक्‍स या रोमांस करना ब‍हुत लुभाता है। क्‍योंकि ये मौसम ही बहुत रोमांटिक होता है। मानसून एक ऐसा मौसम है जो सच में जो दो लोगों को और भी पास ले आता है। मौसम की नजाकत को देखते हुए लोग एक दूसरे से ज्‍यादा देर तक दूर रह ही नहीं पाते है। आइए जानते है कि मानसून के मौसम में सेक्‍स करना क्‍यों स्‍पेशल होता है। क्‍यों लोग बारिश के मौसम में भीगना पसंद करते हैं।

गीला और भीगा मौसम

मानसून को अगर प्‍यार में भिगा देने वाला मौसम कहेंगे तो कम नहीं होगा। इस मौसम में जब कभी आप अपने पार्टनर की भीगी हुई जुल्‍फें और भीगा बदन देखते होंगे तो चाहकर भी उनसे दूर नहीं रह पाते होंगे। ठंड से उनका ठिठुरना आपको हॉर्नी फील करवा देता है। कितना भी आप खुद को रोक लें, लेकिन उनसे चाहकर भी दूर नहीं जा सकते है। एक तरफ बाहर बारिश की ठंडक दूसरी तरफ आप दोनों का प्‍यार में खो जाना। इस मौसम को स्‍पेशल बना ही देता है।

रेन सेक्‍स

आपने पूल सेक्‍स, शॉवर सेक्‍स और बाथ टब सेक्‍स के बारे में सुना होगा। लेकिन बारिश या रेन सेक्‍स के बारे में आपके क्‍या विचार ? सुनने में ही मजा आ गया ना तो करके देखिएं, ये आपकी लाइफ का सबसे अच्‍छा रोमांचक अहसास होगा। आप चाहे तो घर की बालकनी, छत या किसी ऐसी जगह एंजॉय कर सकते है जहां कोई भी आपकी प्राइवेसी में दखल न दे सकें।

सुहावना मौसम

मानसून की वजह से मौसम खुद ब खुद सुहावना हो जाता है। इस सुहावने मौसम में आप दूसरों काम से ज्‍यादा आपको अपने पार्टनर के साथ समय बिताना का मन करता है। ठंडी हवा और बारिश की बौछारें आसपास के माहौल को बहुत ही खुशनुमा बना देते है लेकिन साथ ही वो आपको आपके पार्टनर के साथ रोमांटिक होने के ल‍िए उत्‍साहित कर देते है। इस सेक्‍सी और सुहावने मौसम में पार्टनर के साथ रोमांटिक हो जाना तो एक जाहिर सी बात है।

बारिश में मेकआउट

ये हर कपल की फैंटेसी का हिस्‍सा होता है बारिश में लॉन्‍ग ड्राइव का मजा और एक जगह कहीं सूनसान रोड़ पर गाड़ी रोककर बारिश की बौछारों के बीच पार्टनर के साथ मेकआउट करना। ये फैंटेसी हर कपल अपनी जिंदगी में एक बार फील करना जरुर चाहता है।

घर पर परफेक्‍ट सेक्‍सी सा माहौल

मानसून में ज्‍यादात्तर बारिश के वजह से कपल्‍स का मूवी, डिनर या शॉपिंग का प्रोग्राम कैंसिल ही करवाना पड़ता है। ऐसे में आप दोनों घर पर ही एक दूसरे के साथ मूवी डेट प्‍लान कर सकते है। घर पर ही एक दूसरे से चिपककर कोई रोमांटिक सी मूवी देखिएं और एक दूसरे को कडल करते हुए आप दोनों भी रोमांटिक हो जाएं और मूवी देखते हुए रोमांटिक सीन के साथ आप भी एक दूसरे के बांहों में बांहे डालकर प्‍यार में खो जाएं।

म्‍यूजिक

क्‍या आप दोनों म्‍यूजिक में इच्‍छुक रहते है? बारिश में रोमांस को तड़का लगाने का काम सिर्फ म्‍यूजिक ही कर सकता है। अगर आप उनके साथ आज शाम रोमांटिक होना चाहते है तो कुछ रोमांटिक सा म्‍यूजिक प्‍ले कर दीजिए जो बारिश और आपकी फीलिंग्‍स को अच्‍छे से कनेक्‍ट कर सकें। उसके बाद देखिएं फिर क्‍या होता है।

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भारत में अक्सर माता-पिता की शिकायत रहती है कि उनके बच्चे हर वक्त इंटरनेट पर चिपके रहते हैं।..... 

 

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डिजिटल गेम्स को लेकर दीवानगी बच्चों व युवा वर्ग में खूब देखी जा रही है। भारत में भी गेमिंग का बाजार तेजी से बढ़ रहा है। इस समय यह बाजार 36 करोड़ डॉलर का है। गूगल- केपीएमजी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यह बाजार वर्ष 2021 तक एक अरब डॉलर का हो जाएगा। इस सब के बीच भारत में अक्सर माता-पिता की शिकायत रहती है कि उनके बच्चे हर वक्त इंटरनेट पर चिपके रहते हैं। ऐसे में उन्हें इस लत से दूर करने की सारी कोशिशें नाकाम रहती हैं। बच्चों की इस लत को छुड़ाने और इस बात पर नजर रखने की वो किससे बात करते हैं और क्या सर्च करते हैं, कई एप्स उपलब्ध हैं।

जब रखनी हो बच्चों पर नजर

बच्चे कोई डिजिटल गेम खेल रहे हों, तब पैरेंट्‌स चाहें, तो कुछ सॉफ्टवेयर्स की मदद से बच्चों की ऑनलाइन एक्टिविटीज पर न सिर्फ नजर रख सकते

हैं, बल्कि उन्हें कंट्रोल भी कर सकते हैं।

ये सॉफ्टवेयर इस प्रकार हैं:

किडलॉगर

 बच्चे क्या टाइप कर रहे हैं, उसे रेकॉर्ड करने के साथ-साथ यह सॉफ्टवेयर विजिट की गई साइट्‌स, गेम्स या प्रोग्राम का भी रेकॉर्ड रखता है। बच्चे कितनी देर तक पीसी पर सक्रिय रहते हैं, वे किस गेम का इस्तेमाल कर रहे हैं या फिर फोन, एसएमएस, स्काइप, फेसबुक आदि पर किसके साथ संवाद कर रहे हैं, इसकी मदद से हर तरह की एक्टिविटी पर नजर रखी जा सकती है। इसमें वेब हिस्ट्री मॉनीटरिंग, टाइम ट्रैकिंग, यूएसबी ड्राइव्स, सीडी-डीवीडी यूसेज, की-स्ट्रोक्स रेकॉर्ड,स्क्रीनशॉट, फाइल-फोल्डर यूसेज, मैसेज मॉनीटरिंग आदि जैसी सुविधाएं भी हैं।

क्यूसटोडियो

 यह पैरेंटल कंट्रोल टूल है, जिसकी मदद से पैरेंट्‌स बच्चों को ऑनलाइन सुरक्षित रख सकते हैं। इसमें सोशल एक्टिविटीज मॉनीटरिंग, इंटरनेट टाइम सेट, गेम व एप्स कंट्रोल, मैसेज व कॉल्स ट्रैकिंग जैसी सुविधाएं भी दी गई हैं। इससे बच्चों की हर ऑनलाइन एक्टिविटी पर नजर रखी जा सकती है।

यह सॉफ्टवेयर विंडोज, मैक, एंड्रॉयड, आईओएस, किंडल और नूक को सपोर्ट करने में सक्षम है।

 ओपनडीएनएस फैमिली शील्ड

यह सॉफ्टवेयर पीसी के साथ मोबाइल पर भी रन करता है। इसका इस्तेमाल नेटवर्क राउटर के साथ भी किया जा सकता है। बच्चे किस साइट या गेम को एक्सेस कर रहे हैं, पैरेंट्‌स इस पर नजर रख सकते हैं। यह फ्री पैरेंटल कंट्रोल टूल है।

 स्क्रीन टाइम को करें मैनेज

अगर आप अपने स्मार्टफोन पर बहुत ज्यादा समय बिताते हैं या फिर कई बार मोबाइल पर गेम खेलने के दौरान आपको पता ही नहीं चलता कि कितने घंटे फोन पर समय बिता रहे हैं, तो ऐसे कुछ एप्लिकेशंस हैं, जो स्क्रीन टाइम को लेकर आपको आगाह करेंगे।

 म्यूट स्क्रीन टाइम ट्रैकर

यह एप्लिकेशन आपको मोटिवेट करता है कि आप फोन का इस्तेमाल कम से कम करें। इसमें स्क्रीन टाइम फीचर है, जिसकी मदद से मोबाइल पर बिताए जाने वाले समय को कंट्रोल किया जा सकता है। आप घर पर हों या फिर ऑफिस में, यहआपके स्क्रीन टाइम को लगातार ट्रैक करता रहता है। इससे आपको फोन से ब्रेक लेने में सहूलियत होगी। साथ ही, डेली और वीकली डाटा के जरिए आप देख सकते हैं कि आप फोन पर कितना समय बिताते हैं। यह ऐप आईओएस यूजर्स के लिए है।

फॉरेस्ट

अगर आपको फोन या इंटरनेट की लत लग गई है, तो यह एप्लिकेशन आपकी मदद करेगा। इसमें फोन की लत को दूर करने के लिए अनोखा तरीका अपनाया गया है। इसमें वर्चुअल पौधा उगाना होता है। पौधा धीरे-धीरे बढ़ना शुरू होता है लेकिन जैसे ही आप ऐप से हटकर इंटरनेट ब्राउजिंग करना या फिर कोई दूसरा ऐप खोलना चाहेंगे, यह आपको अलर्ट करेगा कि आपका नन्हा, खूबसूरत पौधा मर जाएगा। इस तरह यह आपको फोकस्ड रहने के लिए प्रेरित करता रहता है। यह एंड्रॉयड, आईओएस के साथ क्रोम को भी सपोर्ट करता है।

 यूट्‌यूब का 'टेक ए ब्रेक' फीचर

लोग अपना काफी समय यूट्‌यूब पर बिताते हैं। अब गूगल ने यूट्‌यूब के लिए 'टेक ए ब्रेक' फीचर जारी किया है, जो निश्चित समय पर ब्रेक लेने के लिए आपको रिमाइंड करेगा, जिससे स्क्रीन टाइम को मैनेज करने में मदद मिलेगी। इसके लिए सबसे पहले अपने फोन पर यूट्‌यूब ऐप को अपडेट करना होगा। फिर ऐप को ओपन करने के बाद सेटिंग्स में जाएं। यहां आपको जनरल टैब मिलेगा। उस पर क्लिक करें। जनरल टैब में 'रिमाइंड मी टू टेक ए ब्रेक' का ऑप्शन मिलेगा। इस पर क्लिक करने के बाद रिमाइंडर फ्रीक्वेंसी का पॉपअप खुलेगा, जिसमें प्रत्येक 15, 30, 60, 90, 180 मिनट पर रिमाइंडर सेट करने की सुविधा है। इसके बाद यह तय समय पर ब्रेक लेने के लिए आपको अलर्ट करेगा।

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ग्रहणकाल का सूतक लगभग 12 घंटे पूर्व लगेगा। सूर्यग्रहण के 15 दिन के बाद चंद्रग्रहण पड़ेगा।....

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बिलासपुर। 13 जुलाई को साल का दूसरा सूर्यग्रहण होगा। यह पुनर्वसु नक्षत्र व हर्षण योग में पड़ेगा जो सुबह सात बजकर 19 बजे से शुरू होकर नौ बजकर 44 मिनट में समाप्त होगा। 13 जुलाई शुक्रवार अषाढ़ कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मिथुन राशि और पुनर्वसु नक्षत्र व हर्षण योग में सूर्यग्रहण पड़ेगा। र्यग्रहण का स्पर्श सुबह 7.19 बजे होगा और ग्रहणकाल का मोक्ष सुबह 9.44 बजे होगा। ग्रहणकाल का सूतक लगभग 12 घंटे पूर्व लगेगा। सूर्यग्रहण के 15 दिन के बाद चंद्रग्रहण पड़ेगा। पं.दीपक शर्मा ने बताया कि अषाढ़ में पड़ने वाले दो ग्रहण से वर्षा ऋतु प्रभावित होगी। ज्योतिषीय गणना के अनुसार अल्प वर्षा की स्थिति की आशंका प्रतीत हो रही है। जल निधि के कारक ग्रह चंद्रमा की कर्क राशि में राहु का गोचर होना जल की अल्पता का परिचायक है।

नहीं दिखेगा भारत में

सूर्यग्रहण भारत में नहीं दिखेगा। वहीं ज्योतिषाचार्यों के अनुसार ग्रहण उदयमान सूर्य देव पर पड़ रहा है। इससे ग्रहणकाल और सूतक के दौरान मान्य मान्यताओं का पालन करना चाहिए।

 खुलेंगे जगन्नाथ मंदिर के पट भी

इसी दिन जगन्नाथ मंदिर के पट भी खुलेंगे और श्रद्घालुओं को महाप्रभु के नवजोबन रूप के दर्शन होंगे। वहीं मंदिर समिति के पदाधिकारी केके बेहरा ने बताया कि मंदिर में ओडिशा मंदिर की सभी मान्यताओं और परंपरानुसार पूजन होता है। ओडिया कैलेंडर में भी ग्रहण नहीं दिखाने से मंदिर में पूजन की कोई बाधा भी नहीं होगी। इस वजह से मंदिर में सुबह पांच बजे से महाप्रभु के दर्शन श्रद्घालुओं को होने लगेंगे।

 15 दिन बाद चंद्रग्रहण भी

जुलाई महीने में ही सूर्यग्रहण के 15 दिन के बाद चंद्रग्रहण होगा। चंद्रग्रहण 27 जुलाई शुक्रवार को आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मकर राशि और श्रवण नक्षत्र में चंद्रग्रहण पड़ेगा। सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण दोनों ही शुक्रवार को पड़ रहा है।

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भारतीय संस्कृति और अध्यात्म का डंका बजाने वाले ने केवल वैज्ञानिक सोच तथा तर्क पर बल ही नहीं दिया, बल्कि धर्म को लोगों की सेवा और सामाजिक परिवर्तन से जोड़ दिया......

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अपनी तेजस्वी वाणी के जरिए पूरे विश्व में भारतीय संस्कृति और अध्यात्म का डंका बजाने वाले ने केवल वैज्ञानिक सोच तथा तर्क पर बल ही नहीं दिया, बल्कि धर्म को लोगों की सेवा और सामाजिक परिवर्तन से जोड़ दिया। स्वामी विवेकानंद का को कोलकाता में हुआ था। 1884 में उनके पिता विश्वनाथ दत्त की मृत्यु हो गई। पिता की मृत्यु के बाद अत्यंत गरीबी की मार ने उनके चित्त को कभी डिगने नहीं दिया। संगीत, साहित्य और दर्शन में विवेकानंद को विशेष रुचि थी। तैराकी, घुड़सवारी और कुश्ती उनका शौक था। 
 
मानवता की दिव्यता के उपदेश का स्वाभाविक फल था निर्भयता और व्यावहारिक अंग्रेज जाति ने स्वामीजी के जीवन की कई घटनाओं में इस निर्भयता का प्रत्यक्ष उदाहरण देखा था। एक घटना विशेष रूप से उल्लेखनीय है। एक दिन एक अंग्रेज मित्र तथा कु. मूलर के साथ वे किसी मैदान में टहल रहे थे। उसी समय एक पागल सांड तेजी से उनकी ओर बढ़ने लगा। अंग्रेज सज्जन अपनी जान बचाने को जल्दी से भागकर पहाड़ी के दूसरी छोर पर जा खड़े हुए। कु. मूलर भी जितना हो सका दौड़ी और फिर घबराकर भूमि पर गिर पड़ीं। स्वामीजी ने यह सब देखा और उन्हें सहायता पहुंचाने का कोई और उपाय न देखकर वे सांड के सामने खड़े हो गए और सोचने लगे- 'चलो, अंत आ ही पहुंचा।'
 
बाद में उन्होंने बताया था कि उस समय उनका मन हिसाब करने में लगा हुआ था कि सांड उन्हें कितनी दूर फेंकेगा। परंतु कुछ कदम बढ़ने के बाद ही वह ठहर गया और अचानक ही अपना सिर उठाकर पीछे हटने लगा। स्वामी जी को पशु के समक्ष छोड़कर अपने कायरतापूर्ण पलायन पर वे अंग्रेज बड़े लज्जित हुए। कु. मूलर ने पूछा कि वे ऐसी खतरनाक परिस्थिति से सामना करने का साहस कैसे जुटा सके। स्वामी जी ने पत्थर के दो टुकड़े उठाकर उन्हें आपस में टकराते हुए कहा कि खतरे और मृत्यु के समक्ष वे अपने को चकमक पत्थर के समान सबल महसूस करते हैं क्योंकि मैंने ईश्वर के चरण स्पर्श किए हैं।' 
 
अपने बाल्यकाल में भी एक बार उन्होंने ऐसा ही साहस दिखाया था। इंग्लैंड के अपने कार्य तथा अनुभवों के विषय में उन्होंने हेल-बहनों को लिखा था कि यहां उनके कार्य को जबर्दस्त सफलता मिली है। एक अन्य अमेरिकी मित्र के नाम पत्र में उन्होंने लिखा कि अंग्रेजों के महान विचारों को आत्मसात करने की शक्ति में उन्हें विश्वास है, यद्यपि इसकी गति धीमी हो सकती है, परंतु यह अपेक्षाकृत अधिक सुनिश्चित एवं स्थायी होगी।
 
उन्हें उम्मीद थी कि एक ऐसा समय आएगी जब अंग्रेजी चर्च के प्रमुख पादरी वेदांत के आदर्शवाद से अनुप्राणित होकर एंग्लीकन चर्च के भीतर ही एक उदार समुदाय का गठन करेंगे और इस प्रकार सिद्धांत और व्यवहार दोनों ही दृष्टियों से धर्म की सार्वभौमिकता का समर्थन करेंगे। परंतु इंग्लैंड में उन्हें सबसे अच्छा लगा था - अंग्रेजों का चरित्र, उनकी दृढ़ता, अध्यवसाय, स्वामीभक्ति, आदर्श के प्रति निष्ठा तथा हाथ में लिए हुए किसी कार्य को पूरा करने की उनकी लगन। वहां के लोगों के अंतरंग संपर्क में आने पर उनके बारे में स्वामी जी के पूर्वकल्पित विचार बिल्कुल ही बदल गए। परवर्ती काल में उन्होंने कलकत्ता के नागरिकों को संबोधित करते हुए कहा था - 'ब्रिटिश भूमि पर अंग्रेजों के प्रति मुझसे अधिक घृणा का भाव लेकर कभी किसी ने पैर न रखा होगा।'
 
अब यहां ऐसा कोई भी न होगा जो मुझसे ज्यादा अंगरेजों को प्यार करता हो।' 28 नवंबर 1896 ई. को उन्होंने हेल-बहनों को लिखा - 'अंगरेज लोग अमेरिकनों की तरह उतने अधिक सजीव नहीं हैं, किंतु यदि कोई एक बार उनके हृदय को छू ले तो फिर सदा के लिए वे उसके गुलाम बन जाते हैं।... अब मुझे पता चल रहा है कि अन्याय जातियों की अपेक्षा प्रभु ने उन पर अधिक कृपा क्यों की है। वे दृढ़ संकल्प तथा अत्यंत निष्ठावान हैं; साथ ही उनमें हार्दिक सहानुभूति है - बाहर उदासीनता का केवल एक आवरण रहता है। उसको तोड़ देना है, बस फिर तुम्हें अपने पसंद का व्यक्ति मिल जाएगा।'
 
एक अन्य पत्र में वे लिखते हैं - 'यह तो तुम जानती ही हो कि अंगरेज लोग कितने दृढ़चित्त होते हैं; अन्य जातियों की अपेक्षा उन लोगों में पारस्परिक ईर्ष्या की भावना भी बहुत ही कम होती है और यही कारण है कि उनका प्रभुत्व सारे संसार पर है। दासता के प्रतीक खुशामद से सर्वथा दूर रहकर उन्होंने आज्ञा-पालन, पूर्ण स्वतंत्रता के साथ नियमों के पालन के रहस्य का पता लगा लिया है।
 
स्वामी विवेकानंद का मात्र 39 वर्ष की उम्र में 4 जुलाई 1902 को उनका निधन हो गया।
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