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केंद्र सरकार ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कानून लाने की योजना बना रही है जो बुजुर्ग होने पर अपने माता-पिता को छोड़ देते हैं. सरकार ऐसे लोगों की सजा 3 महीने से बढ़ाकर छह महीने करने की तैयारी कर रही है.
माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल और कल्याण कानून, 2007 की समीक्षा कर रहे सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण मंत्रालय ने बच्चों की परिभाषा को विस्तार देने की भी सिफारिश की है.
मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि बच्चों की परिभाषा में दत्तक या सौतेले बच्चों, दामाद और बहुओं, पोते-पोतियों, नाती-नातिनों और ऐसे नाबालिगों को भी शामिल करने की सिफारिश की गयी है जिनका प्रतिनिधित्व कानूनी अभिभावक करते हैं. मौजूदा कानून में सिर्फ सगे बच्चे और पोते-पोतियां शामिल हैं.
मंत्रालय ने माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल और कल्याण कानून, 2018 का ड्राफ्ट तैयार किया है. कानूनी रूप मिलने के बाद यह 2007 के पुराने कानून की जगह लेगा.
रायपुर.कंक्रीट के जंगल में जमीन के भीतर का पानी सूखता जा रहा है। बीत रही गर्मी ने एक बार फिर चेता दिया है कि बारिश का पानी नहीं बचाया तो अगली गर्मियों में इससे भी बुरे हालात होंगे। इसके बाद भी सरकारी तंत्र ने बारिश का पानी सहेजने के लिए कोई पुख्ता इंतजाम नहीं किया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि राजधानी में बारिश का पानी बचाने के इंतजामों में ढेरों खामियां-कमियां हैं। इसके चलते ही हर साल हालात बिगड़ते हैं। अगर यह पानी बरबाद होने से बचा लें तो पूरे शहर की पांच साल की पानी की जरूरतें पूरी हो सकती हैं। दरअसल रेन वाटर हार्वेस्टिंग के लिए सरकारी, गैर सरकारी और निजी स्तर पर जो थोड़ी-बहुत कोशिश की जाती है, लेकिन उसकी टाइमिंग में भी बड़ी खामी है। आमतौर पर सरकारी स्तर पर जून के अंत में या जुलाई की शुरुआत में रेन वाटर हार्वेस्टिंग के लिए अभियान चलाए जाते हैं। जबकि इसके लिए प्रयास मई से ही शुरू हो जाने चाहिए। बारिश के पानी को बचाने के लिए स्ट्रक्चर यानी तालाब-पोखर आदि भी काफी कम हैं। इसका सीधा असर ग्राउंड वाटर लेवल पर पड़ता है। यानी जितने ज्यादा स्ट्रक्चर होंगे, उतना ही ज्यादा भूजल स्तर बढ़ाया जा सकता है।
वैज्ञानिक बताते हैं कि राजधानी में रीचार्ज की मेथड भी सुधरना चाहिए। तालाबों के शहर रायपुर को एक बार फिर अपने तालाबों की ओर ध्यान देना होगा, क्योंकि ओपन स्पेस में बारिश के पानी को बचाने के लिए ये बेहतर होते हैं। मानसून की अतिरेक चाल यानी कभी बारिश, कभी कमजोर मानसून के चलते राजधानी में भूजल स्तर लगातार गिर रहा है।
भूजल में चिंताजनक गिरावट
केंद्रीय भूजल बोर्ड छत्तीसगढ़ में भूजल की सालाना स्टडी करता है। इसके लिए पूरे प्रदेश में 1200 जगह मार्किंग की गई है। तय जगहों पर साल में चार बार यानी प्री और पोस्ट मानसून ग्राउंड वाटर लेवल के साथ पानी की क्वालिटी भी परखी जाती है। पूरे राज्य में 95 फीसदी जगहों पर पानी की क्वालिटी सही है। बोर्ड के मुताबिक राजधानी में लगातार गिरते भूजल स्तर को केवल मानसून का पानी बचाने की अच्छी तैयारी कर बढ़ाया जा सकता है। इसके लिए शहर में रेन वाटर हार्वेस्टिंग के स्ट्रक्चर बढ़ाने की जरूरत है।
70 फीसदी बरसाती पानी यूं ही बह जाता है
केंद्रीय भूजल प्रशिक्षण और अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक प्रदीप कुमार नायक के मुताबिक किसी भी शहर में पूरी तरह डेवलप्ड एरिया में 70 फीसदी बरसाती पानी जमीन के अंदर नहीं जा पाता। इसके विपरीत ऐसे इलाके जहां जमीन होती है, वहां सीपेज 70 फीसदी तक हो जाता है। उनके मुताबिक रायपुर में जलस्रोतों को रिचार्ज करने का कोई वैज्ञानिक तरीका ही नहीं है। इस खामी को ठीक किए बिना पानी बचाने के तमाम प्रयास उपयोगी साबित नहीं होंगे।
ओपन स्पेस में रेन वाटर हार्वेस्टिंग का बने प्लान
राजधानी में कलेक्टोरेट समेत कई बड़े गार्डन और खाली जगहों पर भी रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने की जरूरत बताते हैं। वक्त रहते ओपन स्पेस रेन वाटर हार्वेस्टिंग के लिए एक बड़ी कार्ययोजना बनानी होगी। ऐसे सरकारी भवन जहां छत और मैदान दोनों में ही पर्याप्त जगह हो, वहां इसके इंतजाम किए जा सकते हैं। इसके अलावा सड़कों, हाईवे और ओवरब्रिज जैसे निर्माण में भी इसे अनिवार्य किया जाना चाहिए। दिल्ली में बने ग्रीन हाईवे से प्रेरणा लेकर यहां भी इसे अमल में लाया जा सकता है।
करोड़ों लीटर पानी बचा सकते हैं
वैज्ञानिकों के मुताबिक राजधानी में जिस तरह की भौगोलिक स्थिति है, उसमें केवल 15 मिनट की बारिश से तकरीबन 2 करोड़ लीटर पानी बचाया जा सकता है। इस लिहाज से देखें तो अगर शहर में बारिश के पानी को बचाने के पर्याप्त इंतजाम किए जाएं तो केवल एक सीजन में यहां तक कि कमजोर मानसून के हालात में भी 2 से 5 साल की जरूरतों के लिए पानी बचाया जा सकता है। इसके लिए लोगों में जागरूकता लानी होगी, ताकि सही समय पर इसके प्रयास हों।
निगम ने बनाया है नियम
नगर निगम के अधिकारी बताते हैं कि 2013 से सभी मकान बनाने की अनुमति के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग सेटअप बनाना अनिवार्य किया गया है। इसके अंतर्गत 8 से 9 हजार रुपए से लेकर प्लॉट एरिया के मुताबिक धरोहर राशि जमा करवाई जाती है। मकान मालिक जब रेन वाटर हार्वेस्टिंग सर्टिफिकेट देता है, उसे ये राशि लौटा दी जाती है। निगम क्षेत्र में निजी और शासकीय हर तरह के भवनों के निर्माण के लिए यह शर्त पूरी करनी होती है। निगम के भवनों में भी रेन वाटर हार्वेस्टिंग सेटअप लगाए गए हैं।
विशेषज्ञों की राय
ओपन स्पेस में बर्बाद न हो पानी
हाइड्रोलॉजिस्ट के. पाणिग्रही ने बताया कि स्थानीय स्तर पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग से जुड़ी खामियों को दूर कर लिया जाए तो भविष्य में जल संकट का समाधान किया जा सकता है। मई से ही पूरे शहर को इसके लिए जुट जाना चाहिए। ओपन स्पेस में भी पानी बरबाद न हो, इसके लिए योजना बनानी होगी।
घरों में बने हैं सेटअप
नगर निवेशक बीआर अग्रवाल ने बताया कि नगर निगम की ओर से बारिश का पानी बचाने के लिए हर साल व्यापक प्रयास किए जाते हैं। लोग घरों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सेटअप बनवाएं, इसके लिए धरोहर राशि भी लेते हैं। मानसून से पहले रिचार्ज स्रोतों की साफ-सफाई करवाई जाती है।
मुंबई: महाराष्ट्र पुलिस के एडीजी रैंक के तेज-तर्रार अफसर हिमाशु रॉय ने खुदकुशी कर ली है. बताया जा रहा है उन्होंने अपने घर में खुद को गोली मार ली है. वह काफी समय से बीमार चल रहे थे. हालांकि उनके इस कदम के पीछे क्या वजह थी ये पूरी तरह से पता नहीं चल पाया है. पुलिस ने बताया कि रॉय ने अपने आवास पर अपनी सर्विस रिवाल्वर से कथित तौर पर खुद को गोली मार ली. उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया.
हिमांशु रॉय मुंबई पुलिस में संयुक्त पुलिस कमिश्नर और महाराष्ट्र एटीएस चीफ की जिम्मेदारी भी निभा चुके हैं. वह 2012-2014 के दौरान संयुक्त पुलिस आयुक्त (अपराध) थे. उन्होंने आईपीएल सट्टेबाजी कांड की जांच का नेतृत्व भी किया था.
इसके बाद उनका तबादला एटीएस में हो गया. आतंकवाद रोधी दस्ते (एटीएस) का प्रमुख रहने के दौरान उन्होंने बांद्रा कुर्ला इलाके में एक अमेरिकी स्कूल को विस्फोट कर उड़ाने की कथित साजिश रचने को लेकर सॉफ्टवेयर इंजीनियर अनीस अंसारी को गिरफ्तार किया था.
वह कई अहम मामलों को सुलझाने में शामिल रहे थे. इनमें पत्रकार जे डे, अदाकारा लैला खान और कानून स्नातक पल्लवी पुरकायस्थ की हत्या के मामले शामिल थे.
वह 26/11 मुंबई हमलों से पहले रेकी करने में संलिप्त रहे लश्कर ए तैयबा के आतंकी डेविड हेडली से जुड़े सुराग हासिल करने वाली टीम में भी शामिल रहे थे. उन्होंने आईपीएल सट्टेबाजी कांड की जांच का नेतृत्व भी किया था.
इसके बाद उनका तबादला एटीएस में हो गया. आतंकवाद रोधी दस्ते का प्रमुख रहने के दौरान बांद्रा कुर्ला इलाके में एक अमेरिकी स्कूल को विस्फोट से उड़ाने की कथित साजिश रचने को लेकर सॉफ्टवेयर इंजीनियर अनीस अंसारी को उन्होंने गिरफ्तार किया था.
मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त एमएन सिंह ने उन्हें बहादुर और कड़ी मेहनत करने वाला अधिकारी बताया. सिंह ने अपनी संवेदना जाहिर करने के लिए रॉय के परिवार से मिलने के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘वह कैंसर से ग्रसित थे लेकिन वह इससे लड़ रहे थे. यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि उन्हें इस तरह से अपना जीवन खत्म करना पड़ा.’’
पटना 10 मई 2018. भारतीय रेल के किस्से भी अजीब-ओ-गरीब होते हैं. ताजा मामला कोटा से पटना आनेवाली कोटा-पटना एक्सप्रेस की है. यह ट्रेन कोटा से चलने के बाद ट्रैक पर चलते-चलते गायब हो गयी. बाद में ट्रेन के गार्ड की सजगता से ट्रेन का पता चल पाया.
जानकारी के मुताबिक, कोटा से पटना के लिए 13238 डाउन कोटा-पटना एक्सप्रेस छह मई को रवाना होना था. यह ट्रेन करीब 28 घंटे की देरी से सात मई की शाम को करीब सात बजे कोटा से खुली. वहीं, सात मई को लखनऊ होते हुए पटना जानेवाली 13240 डाउन कोटा-पटना एक्सप्रेस साढ़े नौ की देरी से रात करीब साढ़े 12 बजे खुली. रेलवे कर्मियों की लापरवाही से ट्रेन नंबर 13238 डाउन को दूसरी गाड़ी के नंबर 13240 के नाम से सिस्टम पर अपलोड कर दिया. यह ट्रेन इसी नंबर से कोटा से कानपुर तक चली आयी. सुबह में यह ट्रेन करीब नौ बजे कानपुर से आगे बढ़ी. आगे बढ़ते ही यह ट्रेन नेशनल ट्रेन इंक्वायरी सिस्टम (एनटीईएस) से गायब हो गयी, यानी एनटीईएस पर ट्रेन नंबर 13238 का कोई अता-पता नहीं था. वहीं, लखनऊ में 13238 डाउन कोटा-पटना एक्सप्रेस का गार्ड अपनी ड्यूटी के लिए तैयार था. वहीं, 13240 डाउन कोटा-पटना एक्सप्रेस के आने की सूचना यात्रियों को प्रसारित की गयी.
थोड़ी ही देर बाद लखनऊ में 13240 डाउन की दूसरी ट्रेन लखनऊ पहुंचने की सूचना प्रसारित की जाने लगी. ट्रेन के गार्ड को आशंका होने पर उसने ट्रेन को आगे बढ़ाने से इनकार कर दिया. साथ ही अपने वरीय अधिकारी को मामले की सूचना दी. जांच के बाद पता चला कि ट्रेन नंबर की गलत सूचना अपलोड किये जाने के कारण 13238 डाउन कोटा-पटना एक्सप्रेस ट्रैक पर चलते-चलते गायब हो गयी और 13240 डाउन कोटा-पटना एक्सप्रेस की दो ट्रेनें ट्रैक पर हो गयी.
इस दौरान जांच किये जाने तक ट्रेन के बिना सूचना के रुकने के कारण कंट्रोल के निर्देश पर ट्रेन के गार्ड से संचालन से जुड़े दस्तावेज की जांच किये जाने के बाद खुलासा हुआ कि ट्रेन नंबर 13238 डाउन कोटा-पटना एक्सप्रेस की सूचना 13240 नंबर से ही अपलोड कर दी गयी है. मालूम हो कि कोटा-पटना एक्सप्रेस 13240 और 13238 डाउन दो नंबरों से चलती है. 13240 डाउन कोटा-पटना एक्सप्रेस लखनऊ पहुंचने के बाद सुल्तानपुर होते हुए वाराणसी पहुंचती है. यह ट्रेन इंलेक्ट्रिक इंजन के साथ आती है. जबकि, ट्रेन नंबर 13238 डाउन कोटा-पटना एक्सप्रेस के लखनऊ पहुंचने पर डीजल इंजन लगाया जाता है. यह ट्रेन लखनऊ से फैजाबाद होते हुए वाराणसी पहुंचती है.
इस संबंध में उत्तर मध्य रेलवे के अधिकारी ने बताया है कि ट्रेन से संबंधित सूचना ट्रेन के खुलनेवाले स्थान से अपलोड की जाती है. इस संबंध में कुछ भी बता पाना मुश्किल है. वहीं, पश्चिम मध्य रेलवे के अधिकारी ने बताया है कि ट्रेन की सूचना अपलोड करनेवाले सिस्टम की जांच के लिए संबंधित अधिकारी को आदेश दे दिये गये हैं.
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