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70 साल की उम्र में कई लोग चलने-फिरने में भी सक्षम नहीं रहते। पर 70 साल की उम्र में एक महिला ने दावा किया है कि वो 6 महीने की प्रेग्नेंट है। मैक्सिको के सिनालोआ में रहने वाली मारिया डी लालूस ने बाकायदा अपनी सोनोग्राफी रिपोर्ट्स भी मीडिया से शेयर की हैं। पहले से ही सात बच्चों की मां इस महिला की रिपोर्ट्स देख डॉक्टर्स भी हैरान हैं।क्या कहती हैं मारिया...
- मारिया का कहना है कि उनके पैरों में दर्द है। बार-बार उल्टियां हो रही हैं। ठीक वैसे ही जैसा प्रेग्नेंसी के दौरान होता है। उन्होंने अबतक 10 बार अलग-अलग जगह सोनोग्राफी कराई हैं और डॉक्टर्स भी ये देख हैरान हैं कि वे प्रेग्नेंट हैं। डॉक्टर्स का मानना है कि वो एक लड़की को जन्म देने वाली हैं।
वर्ल्ड रिकॉर्ड की बराबरी करेंगी मारिया
- अगर मारिया बच्चे को जन्म देती हैं तो वे दुनिया में सबसे ज्यादा उम्र में मां बनने वाली दूसरी महिला बन जाएंगी। इससे पहले खबर आई थी कि पंजाब की दलजिंदर कौन ने 2016 में 70 साल की उम्र में एक बच्चे को जन्म दिया था। हालांकि दलजिंदर ivf तकनीक से प्रेग्नेंट हुई थीं।
प्रेग्नेंसी को लेकर नहीं दी साफ जानकारी
कोझीकोड। केरल के कोझीकोड में खतरनाक निपाह वायरस फैल रहा है। इसकी चपेट में आने से अब तक 2 लोगों की मौत हो गई है। 25 लोगों के खून में निपाह वायरस होने की पुष्टि हुई है। इन सभी को निगरानी में रखा गया है। केरल सरकार ने केंद्र सरकार से इस वायरस से निपटने के लिए मदद मांगी है. इस पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने एनसीडीसी की टीम को केरल का दौरा करने का आदेश दिया है। बताया जा रहा है कि नेशनल सेंटर फॉर डीसीज कंट्रोल (एनसीडीसी) की टीम केरल में निपाह वायरस प्रभावित इलाकों का दौरा करेगी। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की कमेटी वायरस की जानकारी जुटा रही है.
उधर, पुणे वायरोलॉजी इंस्टीट्यूट ने खून के तीन नमूने लिए, जिसमें निपाह वायरस होने की भी पुष्टि हुई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के अनुसार, निपाह वायरस चमगादड़ से फलों में और फलों से इंसानों और जानवरों में फैलता है. 1998 में पहली बार मलेशिया के कांपुंग सुंगई निपाह में इसके मामले सामने आए थे। इस जगह के कारण ही इसे निपाह वायरस नाम दिया गया. पहले इसका असर सुअरों में देखा गया था. फिर 2004 में यह वायरस बांग्लादेश में फैला। भारत में यह केरल में पहली बार सामने आया है. इस वायरस से प्रभावित लोगों को सांस लेने की दिक्कत होती है फिर दिमाग में जलन महसूस होती है. वक्त पर इलाज नहीं मिलने पर मौत हो जाती है। अब तक इस वायरस से जुड़ी कोई वैक्सीन नहीं आई है. इस वायरस से बचने के लिए फलों, खासकर खजूर खाने से बचना चाहिए. पेड़ से गिरे फलों को नहीं खाना चाहिए. बीमार सुअर और दूसरे जानवरों से दूरी बनाए रखनी चाहिए।
घर में अगर छिपकली आ जाए तो लोगों की जान निकल जाती है. वैसे छिपकली हमला नहीं करती लेकिन दिखने में काफी डरावनी लगती है. इसलिए लोग छिपकली से दूर ही भागते हैं. क्या हो अगर बड़ी सी छिपकली बाथरूम में आ जाए. 16 मई को कुछ ऐसा हुआ जिसने हर किसी को हैरान कर दिया. दिल्ली के द्वारका में नेताजी सुभाष इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (NSIT) के गर्ल्स हॉस्टल में बड़ी सी छिपकली आ गई. जिसको मॉनिटर लिजार्ड कहा जाता है. ये तस्वीर The Alliance - NSIT's newspaper ने फेसबुक पर पोस्ट की है. न्यूपेपर के मुताबिक, ये छिपकली गर्ल्स होस्टल-1 की तीसरे मंजिल की बाथरूम में मिली. हॉस्टल में रहने वाली लड़कियां भी हैरान हैं. पोस्ट में न्यूजपेपर ने रहने वालों से कहा है कि दरवाजे बंद रखें और सुरक्षित रहें. बता दें, मॉनिटर लिजार्ड काफी जहरीली होती हैं. लेकिन उसके काटने से इंसान की मौत नहीं होती. लेकिन गंभीर बीमारी हो सकती है. क्रितिका अनुरागी नाम की लड़की ने इस तस्वीर को क्लिक किया है. छिपकली को बाथरूम में बंद रखा गया था और मैनेजमेंट को इस बात की जानकारी दी गई. जिसके बाद वाइल्डलाइफ वाले आए और उसे बेहोश कर होस्टल से दूर ले गए.
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बिलासपुर. ये तस्वीर बिलासपुर से लगे चिल्हाटी गांव की है। अनावारी रिपोर्ट में इस गांव को अतिसूखा की श्रेणी में रखा गया था। यहां के किसानों ने इस उम्मीद में फसल बीमा कराया कि कम से कम खेती में खर्च की गई रकम ही मिल जाए। लेकिन इफको टोकियो जनरल इंश्योरेंस कंपनी ने किसी भी किसान को एक रुपए का भी क्लेम नहीं दिया। इससे नाराज किसानों ने गांव की दीवारों पर कंपनी के वॉलपेंट पर गोबर पोत दिया। उनका कहना है कि जो कंपनी इस भयानक सूखे में भी उन्हें क्षतिपूर्ति नहीं दे रही, उसका गांव में नाम क्यों रहे?
किसानों को एक से दो रुपए मिलने पर हाईकोर्ट में याचिका
सूखे से नुकसान की भरपाई के लिए राज्य के 62,525 किसानों ने 92 हजार हेक्टेयर में लगी धान की फसल का बीमा कराया था। 6.60 करोड़ रुपए बतौर प्रीमियम दिए गए। केंद्र व राज्य शासन ने भी अंशदान दिया। लेकिन कंपनी ने हजारों खातों में एक से दो रुपए जमा किए। अब कम क्षतिपूर्ति मिलने के मामले में हाईकोर्ट में याचिका भी लगाई गई है।