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रायपुर। राज्य सरकार हड़ताली नर्सों पर कड़ा रुख अपना रही है। एस्मा लगाने के बाद भी हड़ताल पर डटी नर्सों को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस पहुंची है। राज्य सरकार ने नर्सों के हड़ताल को अवैध बताकर एस्मा लगाया है। प्रदेश के सरकारी अस्पतालों की तीन हजार से अधिक नर्स 18 मई से हड़ताल डटी है। स्वास्थ्य विभाग की तरफ से जो अधिकारिक बयान आया है उसके मुताबिक नर्सों की हड़ताल अतिआवश्यक सेवा में आता है। यह छत्तीसगढ़ अतिआवश्यक सेवा संधारण अधिनियम का उल्लंघन है, इसके तहत एस्मा लगाया गया है, लेकिन नर्सो इस आदेश को दरकिनार करते हुए हड़ताल पर अडिग है। नर्सो ने कहा है कि उनकी मांगें जायज हैं और वे अपने अधिकार के लिए लड़ाई लड़ती रहेगी। नर्सों की हड़ताल से अस्पतालों हालात बिगड़े हुए है। आंबेडकर अस्पताल में बड़ी सर्जरी नहीं हो रही है, मरीजों को आगे की तारीख दी जा रही है। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए शासन की तरफ से कड़ा कदम उठाया गया है।
::/fulltext::वाराणसी। जिंदगी के हर क्षेत्र में आधार कार्ड जरूरी हो गया है, चाहे वो मोबाइल फोन, रसोई गैस, बैंक या फिर सरकारी कोई कागजात हो। इन सबके बाद व्यक्ति को अब मरने के बाद भी आधार कार्ड की जरूरत होगी। जी हां, काशी के मणिकर्णिका व हरिश्चंद्र घाट पर अंतिम संस्कार के लिए आधार कार्ड को अनिवार्य किया गया है। इसलिए यदि आप किसी अपने के अंतिम संस्कार के लिए आ रहे हैं तो उनका आधार कार्ड भी अपने साथ रखिए। राष्ट्रीय आपदा अनुक्रिया बल (एनडीआरएफ) के सहयोग से काशी में नई व्यवस्था शुरू की है। शव वाहिनी मोटरबोट की सुविधा उसे ही मिलेगी, जिसके पास मृतक से संबंधित पहचान पत्र मौजूद हों। दरअसल, प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के साथ ही मोदी ने वाराणसी में सबसे पहले मणिकर्णिका घाट के विकास व शव यात्रियों की सुविधाओं को लेकर दिलचस्पी दिखाई थी।
मोदी की पहल पर गुजरात की सामाजिक संस्था सुधांशु मेहता फाउंडेशन आगे आई। फाउंडेशन की ओर से पहला शव वाहिनी स्टीमर 28 मार्च 2015 को मुफ्त उपलब्ध कराया गया, जिसका शुभारंभ केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली व संत मोरारी बापू ने किया था। फाउंडेशन की ओर से वर्तमान में गंगा में चार शव वाहिनी स्टीमर की सुविधा दी गई है। दरअसल, वाराणसी में बिहार व आस-पास के जिलों से भी शव लेकर लोग अंतिम संस्कार के लिए आते हैं। नई व्यवस्था के तहत अब शव लेकर लोग पहले भैंसासुर घाट जाते हैं और वहां से शव वाहिनी मोटरबोट से मणिकर्णिका या हरिश्चंद्र घाट। फाउंडेशन के लोगों को जानकारी मिली है कि हत्या, दहेज हत्या, रहस्यमय परिस्थितियों में हुई मौत के मामले में भी लोग चोरी-छिपे शव लेकर बनारस आ रहे हैं और अंतिम संस्कार करके चले जा रहे हैं। एक मामले का पर्दाफाश होने पर शव वाहिनी का संचालन करने वालों ने जब मृतक से संबंधित जानकारियां मांगनी शुरू की तो शव के साथ आए लोग भड़क गए। बवाल को देखते हुए ही एनडीआरएफ ने यह नई व्यवस्था शुरू की है। नवंबर, 2017 में फरीदाबाद (हरियाणा) में भी अंतिम संस्कार के लिए आधार अनिवार्य किया गया था। इसके लिए बाकायदा फरीदाबाद नगर निगम ने खेड़ी रोड स्थित स्वर्गाश्रम प्रबंधन ने बोर्ड लगाकर यहां आने वाले लोगों को सचेत किया था कि मृतक का आधार कार्ड लाना जरूरी है, नहीं तो संस्कार नहीं होगा।
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