Monday, 14 July 2025

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हड़ताली नर्सों को गिरफ्तार करने पहुंची पुलिस, कहा हड़ताल अवैधानिक....

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रायपुर। राज्य सरकार हड़ताली नर्सों पर कड़ा रुख अपना रही है। एस्मा लगाने के बाद भी हड़ताल पर डटी नर्सों को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस पहुंची है। राज्य सरकार ने नर्सों के हड़ताल को अवैध बताकर एस्मा लगाया है। प्रदेश के सरकारी अस्पतालों की तीन हजार से अधिक नर्स 18 मई से हड़ताल डटी है। स्वास्थ्य विभाग की तरफ से जो अधिकारिक बयान आया है उसके मुताबिक नर्सों की हड़ताल अतिआवश्यक सेवा में आता है। यह छत्तीसगढ़ अतिआवश्यक सेवा संधारण अधिनियम का उल्लंघन है, इसके तहत एस्मा लगाया गया है, लेकिन नर्सो इस आदेश को दरकिनार करते हुए हड़ताल पर अडिग है। नर्सो ने कहा है कि उनकी मांगें जायज हैं और वे अपने अधिकार के लिए लड़ाई लड़ती रहेगी। नर्सों की हड़ताल से अस्पतालों हालात बिगड़े हुए है। आंबेडकर अस्पताल में बड़ी सर्जरी नहीं हो रही है, मरीजों को आगे की तारीख दी जा रही है। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए शासन की तरफ से कड़ा कदम उठाया गया है।

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मृतक का आधार कार्ड लाना जरूरी है, बिना ‘आधार’ अब नहीं होगा अंतिम संस्कार.....

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वाराणसी। जिंदगी के हर क्षेत्र में आधार कार्ड जरूरी हो गया है, चाहे वो मोबाइल फोन, रसोई गैस, बैंक या फिर सरकारी कोई कागजात हो। इन सबके बाद व्यक्ति को अब मरने के बाद भी आधार कार्ड की जरूरत होगी। जी हां, काशी के मणिकर्णिका व हरिश्चंद्र घाट पर अंतिम संस्कार के लिए आधार कार्ड को अनिवार्य किया गया है। इसलिए यदि आप किसी अपने के अंतिम संस्कार के लिए आ रहे हैं तो उनका आधार कार्ड भी अपने साथ रखिए। राष्ट्रीय आपदा अनुक्रिया बल (एनडीआरएफ) के सहयोग से काशी में नई व्यवस्था शुरू की है। शव वाहिनी मोटरबोट की सुविधा उसे ही मिलेगी, जिसके पास मृतक से संबंधित पहचान पत्र मौजूद हों। दरअसल, प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के साथ ही मोदी ने वाराणसी में सबसे पहले मणिकर्णिका घाट के विकास व शव यात्रियों की सुविधाओं को लेकर दिलचस्पी दिखाई थी। 

मोदी की पहल पर गुजरात की सामाजिक संस्था सुधांशु मेहता फाउंडेशन आगे आई। फाउंडेशन की ओर से पहला शव वाहिनी स्टीमर 28 मार्च 2015 को मुफ्त उपलब्ध कराया गया, जिसका शुभारंभ केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली व संत मोरारी बापू ने किया था। फाउंडेशन की ओर से वर्तमान में गंगा में चार शव वाहिनी स्टीमर की सुविधा दी गई है। दरअसल, वाराणसी में बिहार व आस-पास के जिलों से भी शव लेकर लोग अंतिम संस्कार के लिए आते हैं। नई व्यवस्था के तहत अब शव लेकर लोग पहले भैंसासुर घाट जाते हैं और वहां से शव वाहिनी मोटरबोट से मणिकर्णिका या हरिश्चंद्र घाट। फाउंडेशन के लोगों को जानकारी मिली है कि हत्या, दहेज हत्या, रहस्यमय परिस्थितियों में हुई मौत के मामले में भी लोग चोरी-छिपे शव लेकर बनारस आ रहे हैं और अंतिम संस्कार करके चले जा रहे हैं। एक मामले का पर्दाफाश होने पर शव वाहिनी का संचालन करने वालों ने जब मृतक से संबंधित जानकारियां मांगनी शुरू की तो शव के साथ आए लोग भड़क गए। बवाल को देखते हुए ही एनडीआरएफ ने यह नई व्यवस्था शुरू की है। नवंबर, 2017 में फरीदाबाद (हरियाणा) में भी अंतिम संस्कार के लिए आधार अनिवार्य किया गया था। इसके लिए बाकायदा फरीदाबाद नगर निगम ने खेड़ी रोड स्थित स्वर्गाश्रम प्रबंधन ने बोर्ड लगाकर यहां आने वाले लोगों को सचेत किया था कि मृतक का आधार कार्ड लाना जरूरी है, नहीं तो संस्कार नहीं होगा।

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पेट्रोल-डीजल : 75 डॉलर बैरल पर आया क्रूड, फिर भी दाम लगातार 16वें दिन बढ़े..

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पेट्रोलियम कंपनियों ने पेट्रोल-के दामों में लगातार 16वें दिन भी वृद्धि की। मंगलावर को दिल्ली में 16 पैसे बढ़कर 78.43 और डीजल 14 पैसे बढ़कर 86.24 हो गया है। दोनों के दाम रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुके हैं। हालांकि अंतरराष्‍ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दाम पिछले पांच दिनों से कम हो रहे हैं। उल्लेखनीय है कि सरकार कच्चे तेल के दाम बढ़ने और डॉलर की तुलना में रुपए के कमजोर होने को पेट्रोल पदार्थों में वृद्धि की वजह बता रही थी। लेकिन स्थिति बदलने के बाद भी पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ते ही जा रहे हैं। पिछले पांच दिनों में कच्चे तेल की कीमतों में 6 प्रतिशत की भारी गिरावट दर्ज की गई। जबकि इन पांच दिनों में रुपए 1.5 फीसदी मजबूत हु्आ है। ऐसे में यह सवाल भी उठ रहे हैं कि सरकार कब पेट्रोल-डीजल के दाम कम करेगी। हालांकि सोमवार को गिरावट के साथ 75 डॉलर प्रति बैरल पहुंचने से यह उम्मीद की जा रही है कि पेट्रोल कंपनियां एक-दो दिन में इसके दाम कम कर सकती है।
इस बीच पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि हम मामले को लेकर संवेदनशील हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में तेजी, डॉलर और रुपये के अनुपात में उतार-चढ़ाव के साथ कुछ कर मुद्दे भी तेल की कीमतों से जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि सरकार अंतरराष्ट्रीय बाजार में दाम बढ़ने के कारण पेट्रोल और डीजल के दाम में वृद्धि का दीर्घकालीन हल तलाशने को लेकर एक समग्र रणनीति अपनाने की योजना बना रही है।
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शिक्षाकर्मियों के संविलियन को मंजूरी....

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मध्यप्रदेश: प्रदेश के शिक्षाकर्मियों को शिवराज सिंह चौहान सरकार ने मंगलवार को संविलियन की सौगात दी। संविलियन होने के बाद शिक्षकर्मी नियमित शिक्षक बन गए हैं। अब इन्हें नियमित शिक्षकों की तरह पेंशन, ग्रेच्युटी, बीमा, शासकीय आवास, अनुकंपा नियुक्ति जैसी सुविधा मिलेगी, साथ ही शिक्षाकर्मियों को सरकार के सातवें वेतनमान का भी लाभ मिलेगा। संविलियन की सौगात मिलने से शिक्षकर्मियों में खुशी की लहर है। गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में भी सन 1994—95 से शिक्षाकर्मी संघ लगातार संविलियन की मांग कर रही है। इसके ​लिए प्रदेश में कई बार हड़ताल भी किए जा चुके हैं, वहीं मध्यप्रदेश में शिक्षाकर्मियों को संविलियन की मंजूरी मिलने की खबर मिलते ही छत्तीसगढ़ ​शिक्षाकर्मी संघ ने भी सरकार को पत्र लिखकर सरकार से संविलियन की मांग की है। वर्तमान में शिक्षाकर्मी संघ प्रदेश के 90 विधानसभा क्षेत्रों में संकल्प शिविर लगाकर प्रदेश की जनता को सरकार के खिलाफ जागरूक करने का प्रयास कर रही है, इससे पहले उन्होंने सरकार से बैठक कर संविलियन के मामले को सुलझाने का प्रयास किया था। लेकिन उन्हें निराशा ही हाथ लगी थी।

बता दे कि मध्यप्रदेश के शिक्षाकर्मी बीते 22 साल से शिक्षा विभाग में संविलियन की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे थे। इस साल जनवरी में अध्यापकों ने शिवराज सरकार के खिलाफ संविलियन की मांग को लेकर आर-पार की लड़ाई शुरू कर दी थी। 13 जनवरी को आजाद अध्यापक संघ की चार महिला अध्यापक और 100 से अधिक अध्यापकों ने जंबूरी मैदान सामूहिक मुंडन कराया था। इस आंदोलन के बाद से चुनावी वर्ष में शिवराज सरकार बेहद घबराई हुई थी। लिहाजा सरकार ने 21 जनवरी को अध्यापकों के साथ चर्चा करने का बाद संविलियन की घोषणा की थी, लेकिन जनवरी से लेकर मई के बीतने तक संविलियन आदेश जारी नहीं होने से अध्यापकों की नाराजगी लगातार बढ़ती जा रही थी। इस नाराजगी को देखते हुए शिवराज कैबिनेट ने अध्यापकों की मांग को आखिरी मंजूरी दे ही दी।

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