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वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) ने अभी कुछ दिनों पहले ही चीनी की जगह आर्टिफिशियल स्वीटनर का इस्तेमाल करने वालों को चेतावनी देते हुए कहा है कि इन स्वीटनर के इस्तेमाल से मोटापा बढ़ना और हार्ट डिजीज होने का खतरा है।
क्या है एस्पार्टेम और कहां होता है इसका इस्तेमाल
बता दें कि एस्पार्टेम में कोई कैलोरी नहीं है और यह साधारण चीनी की तुलना में 200 गुणा मीठा होता है। ये एक कार्बनिक यौगिक है, जो शुगर फ्री के नाम से भी फेमस है। सॉफ्ट ड्रिंक में लगभग 95 फीसदी एस्पार्टेम का इस्तेमाल होता है। एस्पार्टेम का इस्तेमाल कोका-कोला, डायट सोडा से लेकर एक्स्ट्रा च्यूइंग गम जैसे खाने और पीने की चीजों को मीठा बनाने में किया जाता है।
वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी खाद्य और दवा प्रशासन यानी FDA ने 1981 में ही एस्पार्टेम को इस्तेमाल में लेने को लेकर मंजूरी दी थी। हालांकि FDA ने इसके बाद से अब तक अलग-अलग समय में पांच बार इसकी समीक्षा की है। भारत सहित 90 से अधिक देशों ने इसके इस्तेमाल में लेने की मंजूरी दी है। साल 2009 की रिपोर्ट के मुताबिक भारत के खाद्य सुरक्षा और विनियामक निकाय यानी FSSAI ने इस कृत्रिम चीनी के इस्तेमाल के संबंध में गाइडलाइंस जारी की थी। जिसमें कहा गया था कि जिस भी प्रोडेक्ट में इसका इस्तेमाल किया जाए उस पर साफ तौर पर इस पदार्थ जिक्र होना चाहिए।
सावन में खानपान को लेकर शास्त्रों में कुछ विशेष नियम बताए गए हैं। इन नियमों का पालन करने से न सिर्फ हमारी सेहत स्वस्थ रहते है बल्कि शिव जी भी अपने भक्तों से प्रसन्न रहते हैं। इन खाद्य पदार्थों में सबसे पहले नाम आता है, हरा साग का। सावन में हरा साग खाने को सख्त मनाही होती है। अमूमन घर के बड़े-बुर्जुग भी सावन में साग न खाने की सलाह देते हैं। आज हम इसके पीछे छिपे धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों तर्क बताएंगे कि किन चीजों से आपको सावन में दूरी बना लेनी चाहिए।
सावन के महीने में मौसम में पहले से ही नमी और ठंडक रहती है। दही की तासीर भी ठंडी होती है। ऐसे में दही का सेवन करने से आपको सर्दी जुकाम की समस्या हो सकती है।
दूध न पीने की सलाह के पीछे ये तर्क है कि सावन के दौरान गाय और भैंस जो हरा चारा खाती हैं, उसके साथ वे काफी मात्रा में कीट पतंगों का भक्षण कर जाते हैं। इसलिए दूध में बैक्टीरिया होने की संभावना काफी बढ़ जाती है। इसलिए सावन में दूध का सेवन न करें तो बेहतर है।
शास्त्रों के नियमानुसार, सावन में साग नहीं खाना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव को प्रकृति से बेहद प्रेम है। ऐसे में साग-पात को तोड़कर खाना शुभ नहीं माना जाता है। ऐसा करने से शिवजी अप्रसन्न होते हैं।
वहीं वैज्ञानिक वजह ये है कि सावन के महीने में साग में पित्त बढ़ाने वाले तत्वों की मात्रा बढ़ जाती है। जो कि पाचन में समस्या पैदा करते हैं। दूसरी तरफ सावन में बारिश अधिक होती है और अधिक बारिश होने पर हरे साग में कीट-पतंगों और कीड़े लग जाते हैं। ऐसे में उन्हें खाना सेहत के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है और सेहत पर इसका असर होता है। इसलिए घर के बड़े-बुर्जुग भी सावन में साग नहीं खाने की हिदायत देते हैं।
सावन में घरों में लहसुन और प्याज का इस्तेमाल तकरीबन बंद हो जाता है। ऐसा माना जाता है कि ये चीजें शरीर में तामसिक भाव को पैदा करती हैं और जिसकी वजह से मन में भोग-वासना की भावना जागृत होती है। जो कि भगवान शिव की भक्ति में बाधा उत्पन्न करता है। इसलिए इस माह सात्विक भोजन करने की सलाह दी जाती है।
पेट दर्द के लिए तैयार करें ये हेल्दी ड्रिंक
सामग्री -
* नींबू का रस - 1 चम्मच
* शहद - 1 चम्मच
* अदरक - 1/2 चम्मच ( कसा हुआ )
* गर्म पानी - 1 कप
ड्रिंक बनाने की विधि -
1. एक कप गर्म पानी में ताजा निचोड़ा हुआ नींबू का रस, कच्चा शहद और कसा हुआ अदरक डालकर अच्छे से मिला दें।
2. इसके बाद शहद घुलने तक मिश्रण को अच्छी तरह हिलाएं।
3. अब इस घोल को धीरे-धीरे चाय की तरह पिएं।
4. आप अपनी जरूरत के हिसाब से इस उपाय को दोबारा पी सकते हैं, लेकिन इसे दोबारा पीने के लिए कुछ घंटे इंतजार करें, ताकि उस ड्रिंक को अपना असर दिखाने का समय मिले।
ड्रिंक को पीने के फायदे -
1. नींबू का रस पाचन रस के उत्पादन को उत्तेजित करने का काम करता है,और पेट में एसिड को संतुलित करने में मदद कर सकता है।
2. कच्चे शहद में एंटीबैक्टिरीयल गुण होते हैं और यह पाचन तंत्र में सूजन को शांत कर सकता है।
3. अदरक में सूजन-रोधी और पाचन गुण होते हैं जो पेट की परेशानी को कम करने और पाचन को बढ़ावा देने में मदद कर सकते हैं।
4. गर्म पानी पाचन में मदद करता है और पेट की मांसपेशियों को आराम देने में मदद कर सकता है।
नोट : यह घरेलू उपचार हल्के पेट दर्द के लिए अस्थायी राहत देने में मदद कर सकता है, लेकिन यह हर किसी के लिए या अधिक गंभीर या पुरानी स्थितियों के लिए फायदेमंद साबित नहीं हो सकता है। अगर आपका पेट दर्द बना रहता है, बिगड़ जाता है, या गंभीर लक्षणों के साथ है, तो सही इलाज के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क जरूर करें।
Blood Sugar: डायबिटीज से आज हर तीसरा व्यक्ति परेशान है. न सिर्फ खानपान की रिस्ट्रिक्शन की वजह से बल्कि डायबिटीज शरीर को कमजोर कर देती है इसलिए भी लोग अपना ब्लड शुगर लेवल मेंटेन रखना चाहते हैं. बहुत से लोग सवाल करते हैं कि ब्लड शुगर लेवल को कैसे कंट्रोल करें? हालांकि डायबिटीज के लिए घरेलू उपचार (Home Remedies For Diabetes) बेहद लाभकारी और प्रभावी हो सकते हैं. ये एक ऐसी बीमारी है जिसमें डायबिटीज डाइट का खास ख्याल रखने की जरूरत होती है. कुछ भी उल्टा सीधा खाना ब्लड शुगर लेवल को बढ़ा सकता है. ऐसे में डायबिटीज के लिए डाइट (Diet For Diabetes) को फॉलो करना और इसे बैलेंस और हेल्दी बनाए रखना जरूरी है. डायबिटीज के लिए नेचुरल उपाय बहुत से हैं जिन्हें लोग कम आंकते हैं लेकिन ये बेहद प्रभावी साबित हो सकते हैं. कुछ पौधों की पत्तियां भी शुगर रोगियों के लिए फायदेमंद मानी जाती है. उन्हें बस खाली पेट मुंह में रखकर चबाना है. जानिए कौन सी हैं वे पत्तियां.
शुगर लेवल रहेगा कंट्रोल डायबिटीज रोगी चबाएं ये पत्तियां
1. करी पत्ता चबाएं
करी पत्ता खाना बनाने में उपयोग की जाने वाली एक आम सामग्री है. करी पत्ता न केवल आपके भोजन में सुगंध एड करते हैं बल्कि इसके कई स्वास्थ्य लाभ भी देते हैं. करी पत्ते का नियमित सेवन इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं को उत्तेजित करने में मदद कर सकता है. ये कोशिकाएं ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल रखने में मदद करती हैं.
2. नीम के पत्ते चबाएं
रोजाना नीम की पत्तियों का सेवन ब्लड शुगर लेवल को कम कर सकता है. अगर आपको डायबिटीज है, तो अपने ब्लड शुगर लेवल की नियमित रूप से निगरानी करें क्योंकि बहुत अधिक खपत आपके ब्लड शुगर लेवल को कुछ बहुत कम कर सकती है. नीम की पत्तियों के एंटीहिस्टामाइन प्रभाव ब्लड वेसल्स को चौड़ा कर सकते हैं. यही कारण है कि ये पत्ते ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद कर सकते हैं.
3. तुलसी के पत्ते चबाएं
तुलसी को जड़ी-बूटियों की रानी कहा जाता है और यह हमारे शरीर को कई तरह की बीमारियों से बचाती है. कई अध्ययनों से पता चला है कि तुलसी के पत्तों को खाली पेट खाने से टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित लोगों में ब्लड शुगर लेवल कम होता है. तुलसी के पत्तों को लिपिड कंटेंट को कम करके, इस्केमिया, स्ट्रोक को दबाने और हाई ब्लड प्रेशर को कम करके हार्ट डिजीज को रोकने के लिए भी जाना जाता है.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.