Monday, 14 July 2025

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सिगरेट छोड़ना चाहते हैं तो यह 5 टिप्स....

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यह 5 बातें पढ़ेंगे तो जरूर छोड़ देंगे पीना   
 
जैसी आदत छोड़ना इतना आसान नहीं है, हम जानते हैं। लेकिन इस अच्छे काम में आपको जो परेशानियां महसूस होंगी उन्हें कम जरूर किया जा सकता है। अगर आपने धूम्रपान पूरी तरह से छोड़ने का मन बना लिया है तो यह आपके लिए काफी मददगार साबित होंगे। जरूर जानिए यह उपयोगी टिप्स, जो खास आपके लिए है - 
 
1 धूम्रपान एक लत है जिसे छोड़ना आसान नहीं है। अगर आप सोच रहे हैं कि इसे धीरे-धीरे छोड़ देंगे, तो यह काम और भी कठिन हो जाएगा। एक बार निश्चय करके इसे छोड़ने का काम आज से ही शुरू करें।
 
2 एक बार जब आप धूम्रपान छोड़ने की पहल करेंगे, हो सकता है कि आपको पहले की अपेक्षा भूख ज्यादा लगने लगे, क्योंकि धूम्रपान से भूख मर जाती है। ऐसे में अधि‍क मीठा या वसा यु्क्त खाने के बजाए हरी सब्जियां और ताजे फलों को खाएं।
 
3 धूम्रपान छोड़ने की आपकी कोशि‍श जारी है और आपको य‍ह काम असंभव सा लग रहा है, तो खुद को प्रोत्साहित करें और अपने आत्मविश्वास को बनाए रखें। आपकी यह कोशि‍श जरूर पूरी होगी।
 
4  धूम्रपान की लत आपको बार-बार यह याद दिलाती है कि आपको धूम्रपान करना है। इससे बचने के लिए खुद को किसी ऐसे कार्य में व्यस्त रखें जो आपको पसंद है और जिसे करने में आप खुशी और उत्साह महसूस करें। सामान्यत: तनाव धूम्रपान करने के लिए प्रेरित करता है लेकिन आप खुशी के साथ व्यस्त होंगे तो इसे रोकना आसान हो जाएगा।
 
5  हो सकता है धूम्रपान छोड़ने की वजह से आपको पाचन संबंधी परेशानी हो या कुछ अन्य समस्याएं हों। इनसे बचने के लिए से परामर्श लें और अपनी कोशि‍श जारी रखें।
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निपाह वायरस से बचा सकती हैं यह 5 घरेलू औषधियां...

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का संक्रमण तेजी से फैल रहा है। में अब तक कई लोगों के मारे जाने की खबर आ गई है। यह वायरस किसी को भी अपनी चपेट में ले सकता है, हम बता रहे हैं इससे बचने के 5 कारगर औषधि, जो घर में आसानी से उपलब्ध है 

1 तुलसी - तुलसी आपको इस संक्रमण से बचा सकती है, अत: रोजाना किसी भी रूप में इसका सेवन करें ताकि आप निपाह वायरस के साथ-साथ अन्य संक्रमण से बच सकें।

2 कपूर - किसी भी प्रकार के संक्रमण से निजात दिलाने के लिए कपूर एक औषधि की तरह काम करता है। श्वसन संबंधी संक्रमण में इसे सूंघना फायदेमंद है, इसलिए आपने सुना होगा कि इलायची और कपूर को सूंघने से स्वाइन फ्लू से बचा जा सकता है। आप इसे खा भी सकते हैं लेकिन इसकी मात्रा गेहूं के दाने बराबर या इससे भी कम रखें। निपाह वायरस के लिए भी यह बचाव का उपाय हो सकता है।

3 नीम - प्राकृतिक एंटीबायोटिक, एंटीइंफ्लेमेटरी के तौर पर नीम का प्रयोग सदियों से किया जाता रहा है, और निपाह वायरस से बचने के लिए भी आप इसकी मदद ले सकते हैं। रोजाना नीम की कुछ पत्त‍ियां चबाकर आप न सिर्फ निपाह वायरस से बच सकते हैं, बल्कि रक्त को भी शुद्ध कर सकते हैं।

4 गिलोय - गिलोय का प्रयोग करना अमृत के समान फायदेमंद होगा। इसे तुलसी की पत्त‍ियों के साथ उबालकर इस पानी में काली मिर्च, काला नमक व मिश्री के साथ सेवन करें। इससे निपाह वायरस के अलावा कई स्वास्थ्य समस्याओं में लाभ होगा।

5 लहसुन - लहसुन का प्रयोग यूं तो आप खाने में करते ही हैं, लेकिन अगर कच्चे लहसुन का सेवन करेंगे तो यह बेहद लाभकारी होगा और आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता में भी इजाफा करेगा। निपाह वायरस को आपसे दूर रखेगा।

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निपाह वायरस : इस जानलेवा रोग से बचने के आसान तरीके....

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निपाह वायरस के लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, म्यालगिया की अचानक शुरुआत, उल्टी, सूजन, विचलित होना और मानसिक भ्रम शामिल हैं.

खास बातें

  1. निपाह वायरस का आतंक जारी
  2. 13 से ज्यादा लोगों की मौत
  3. 40 से ज्यादा लोग वायरस की चपेट में

नई दिल्ली: 1998 में मलेशिया के कैम्पंग सुंगई निपाह नाम की जगह से शुरू हुआ निपाह वायरस (Nipah Virus) 10 साल बाद भारत में फिर आ गया है. 2001 और 2007 में यह वायरस पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में भी सामने आया था. अब यह केरल शहर में फैल रहा है. निपाह वायरस जानवर और इंसान दोनों के लिए जानलेवा है. इसकी चपेट में आकर अभी तक 13 से ज्यादा लोगों की मौत और लगभग 40 लोग प्रभावित हो चुके हैं. लोगों के दिमाग को नुकसान पहुंचाने वाले निपाह वायरस से कुछ सरल उपाय अपनाकर बचा जा सकता है. निपाह वायरस स्वाभाविक रूप से कशेरुकी (vertebrate) जानवरों से मनुष्यों तक फैलती है.

हार्ट केयर फाउंडेशन (एचसीएफआई) के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल ने निपाह वायरस के बारे में यह खास जानकारी दी है :
1. निपाह वायरस के संक्रमण के लक्षणों की शुरुआत एन्सेफेलेटिक सिंड्रोम से होती है, जिसमें बुखार, सिरदर्द, म्यालगिया की अचानक शुरुआत, उल्टी, सूजन, विचलित होना और मानसिक भ्रम शामिल हैं. संक्रमित व्यक्ति 24 से 48 घंटों के भीतर कॉमेटोज हो सकता है.
2. निपाह एन्सेफेलाइटिस की मृत्यु दर 9 से 75 प्रतिशत तक है. निपाह वायरस संक्रमण के लिए कोई प्रभावी उपचार नहीं है. उपचार का मुख्य आधार बुखार और तंत्रिका संबंधी लक्षणों के प्रबंधन पर केंद्रित है. संक्रमण नियंत्रण उपाय महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि व्यक्तिगत रूप से ट्रांसमिशन हो सकता है. गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति को गहन देखभाल की आवश्यकता है.

निपाह वायरस के बचने के आसान उपाय

1. सुनिश्चित करें कि आप जो खाना खाते हैं वह चमगादड़ या उनके मल से दूषित नहीं है.
2. चमगादड़ के कुतरे फलों को खाने से बचें, पाम के पेड़ के पास खुले कंटेनर में बनी पीने वाली शराब पीने से बचें, बीमारी से पीड़ित किसी भी व्यक्ति से संपर्क में आने से बचें.
3. अपने हाथों को अच्छी तरह से स्वच्छ करें और धोएं, आमतौर पर शौचालय के बाल्टी और मग.
4. रोगी के लिए उपयोग किए जाने वाले कपड़े, बर्तन और सामान को अलग से साफ करें.
5. निपाह बुखार के बाद मरने वाले किसी भी व्यक्ति के मृत शरीर को ले जाते समय चेहरे को कवर करना जरूरी है.
6. मृत व्यक्ति को गले लगाने या चुंबन करने से बचें.
7. निपाह वायरस से प्रभावित क्षेत्रों में यात्रा ना करें और संक्रमित व्यक्ति के संपर्क से दूर रहें. 

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हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदते समय ये बातें रखें ध्यान.....

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हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेने के दौरान आमतौर पर लोग सजग नहीं रहते हैं। कुछ लोग एजेंट के कहने भर से बिना रिसर्च किए कोई भी इंश्योरेंस पॉलिसी ले लेते हैं। जबकि ऐसा नहीं करना चाहिए। सही पॉलिसी का चुनाव ही जरूरत के समय लाभदायक साबित होता है। किसी भी पॉलिसी को उसकी कीमत के आधार पर खरीदना सबसे बड़ी गलती होती है। हम अपनी इस वीडियो स्टोरी में आपको बता रहे हैं कि इंश्योरेंस पॉलिसी लेने के दौरान आपको किन बातों का ध्यान रखना चाहिए...

पॉलिसी में क्या चीजें नहीं हैं शामिल-हेल्थकेयर पॉलिसी को बड़ी जांच-परख के बाद ही खरीदना चाहिए क्योंकि कुछ पॉलिसियों में कुछ चुनिंदा बीमारियां को शामिल नहीं किया जाता है। अधिकांश पॉलिसी में वो बीमारियां या क्षति शामिल नहीं होती जो युद्ध, रेसिंग या आत्महत्या की कोशिश जैसी गतिविधियों के कारण हुई होती है। 

तय राशि ही होती है रीइम्बर्स-कई इंश्योरेंस पॉलिसी में सब लिमिट्स होती है जो कि सर्जरी, कमरे का रेंट और आइसीयू स्टे से जुड़ी होती है। जैसे कुछ पॉलिसी में स्पष्ट में होता है कि एक तय सीमा से ज्यादा का रूम रेंट रीइम्बर्स नहीं होगा। यह सभी सब लिमिट्स को जानने के लिए पॉलिसी डॉक्यूमेंट्स अच्छी तरह से पढ़े जाने चाहिए। 

रेस्टोरेशन बेनिफिट-हर एक हेल्थ प्लान में एक सम एश्योर्ड लिमिट होती है जो कि पॉलिसीधारक के स्वास्थ्य पर निर्भर करती है। इस सम एश्योर्ड की एक साल में क्लेम करने की सीमा होती है। यदि सम एश्योर्ड से ज्यादा का खर्चा आता है तो पॉलिसीधारक को खुद देना पड़ता है। लेकिन अगर आपने हेल्थ प्लान रेटोरेशन बेनिफिट के साथ लिया हुआ है तो इंश्योरर सम एश्योर्ड को रीस्टोर करके रख देगा ताकि अगर उसी साल में फिर से पॉलिसीधारक बीमार होता है तो सम एश्योर्ड मिल जाए। 

अस्पतालों का नेटवर्क-हेल्थ पॉलिसी डॉक्यूमेंट में अस्पतालों के पास उनके कोऑडिनेटर्स की एक लिस्ट होती है। पॉलिसीधारक को इस लिस्ट को ध्यान से पढ़ना चाहिए। साथ ही यह देखना चाहिए कि आपके घर के आसपास कौन कौन से अस्पताल हैं।

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