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हम में से कई लोगों को आदत होती है दही में नमक डाल कर खाने की... आयुर्वेद के विशेषज्ञ कहते हैं कि यह आदत खतरनाक है क्योंकि नमक डालने से दही ज़हर बन जाता है, आइए जानें विस्तार से क्या है इस दावे का सच..
रायपुर.प्रदेश सरकार राजधानी के एक सरकारी अस्पताल समेत 6 मेडिकल कॉलेजों में जन औषधीय केंद्रों के स्थान पर निजी कंपनियों के मेडिकल स्टोर खुलवाने की तैयारी में है। इसके लिए सीजीएमएससी (छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कार्पोरेशन लिमिटेड) की ओर से टेंडर कर बड़ी कंपनियों और फर्मों से प्रस्ताव मांगा गया है। जबकि तीन साल पहले ही जरूरतमंद मरीजों को सस्ती और जेनरिक दवाएं मिल सके, इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरकारी अस्पतालों में जन औषधि केंद्र खोलने की योजना शुरू की थी। लेकिन अब इसके विपरीत इन केंद्रों की जगह निजी मेडिकल स्टोर्स खोले जाएंगे। राजधानी के अंबेडकर अस्पताल में भी फिलहाल रेड क्रॉस और प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र एक साथ संचालित की जा रही है। रेड क्रॉस में एमआरपी से 20 से 80 फीसदी छूट पर दवा बेची जाती है। नियमों के तहत खोले गए इस मेडिकल स्टोर से लोगों को जेनरिक दवाएं मिल रही है, लेकिन जल्द ही गरीबों को रियायती दरों पर दवाएं मिलनी बंद हो सकती हैं। केंद्र सरकार द्वारा इस योजना को शुरू करने के पीछे उद्देश्य था कि बी-फार्मा और एम-फार्मा किए हुए युवाओं को रोजगार मिल सके। इसमें इच्छुक लोगों से ऑनलाइन आवेदन मंगाने की व्यवस्था है। लेकिन सीजीएमएससी ने ओपन टेंडर के जरिए प्रस्ताव मंगाया है, उसमें जानबूझकर ऐसी शर्तें रखी गई हैं कि छोटी पूंजी वाले लोग भाग ही न ले सकें। बताया जा रहा है कि किसी खास मेडिकल स्टोर के साथ अनुबंध करने के लिए ही शासन ने इस तरह की शर्तें रखी हैं।
स्टॉक मेंटेनेंस में होती है लापरवाही
सरकारी मेडिकल कॉलेजों में जन औषधीय केंद्रों पर दवाओं के लिए सबसे ज्यादा भीड़ लगती है। मिली जानकारी के अनुसार जन औषधीय केंद्रों पर दवाओं के स्टॉक की आपूर्ति को लेकर भी शासन की ओर से जानबूझकर लापरवाही की जाती है। कई बार जरूरी दवाओं के स्टॉक खत्म हो जाते हैं और इसे समय पर मंगाया ही नहीं जाता है, जिसके कारण मरीज मजबूर होकर अस्पताल परिसर के बाहर स्थित दुकानों से महंगी दवाएं लेने को मजबूर होते हैं। ऐसे में कई बार निजी मेडिकल स्टोर्स से कमीशन लेने की शिकायत भी सामने आई है।
डॉक्टर कम ही लिखते हैं जेनरिक दवाएं
चूंकि जेनरिक दवाओं के नाम इसमें कंटेंट के तौर पर उपयोग किए गए साल्ट के नाम पर होते हैं। इसलिए ज्यादातर डॉक्टर भी इनकी दवा पर्चियां नहीं लिखते हैं। कई बार मरीजों के बोले पर ही डाक्टर जेनरिक दवाएं लिखते हैं। हालांकि, सरकारी अस्पतालों में खास तौर पर मेडिकल कॉलेजों में जेनरिक दवाएं पहले की अनुपात में ज्यादा लिखी जा रही हैं। दवा स्टोरों पर लगने वाली भीड़ बताती है कि इससे मरीजों को काफी राहत मिल रही है।
योजना में सस्ती दवा, नौकरी व आर्थिक मदद भी
फॉर्मेसी कोर्स वाले युवा अपना मेडिकल स्टोर खोल सकें, इसके लिए सरकार ने देशभर के सरकारी अस्पतालों में प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र खोलने की याेजना शुरू की। मकसद था कि एक तो इन युवाओं को नौकरी देने के साथ गरीब व कमजोर तबके के लोगों को सस्ते दामों में जेनरिक दवाएं मिलें। इसके लिए सरकार की तरफ से दो लाख रुपए तक की एकमुश्त आर्थिक मदद देने का भी प्रावधान है। साथ ही एससी, एसटी और दिव्यांग आवेदकों को जन औषधि केंद्र खोलने के लिए 50 हजार रुपए तक की दवाइयां अग्रिम दी जाएंगी।
शर्ते ऐसी रखी कि बड़े कारोबारी ही ले पाएंगेे
शर्ते में फर्म या संस्था के पास दवा बेचने का लाइसेंस होना चाहिए। ठेका लेने वाली फार्मेसी के पास वेट का तीन साल पुराना रजिस्ट्रेशन और टिन, जीएसटी भी होना चाहिए। पिछले पांच साल से छत्तीसगढ़ में ही कार्यरत होेना चाहिए। पिछले तीन साल में कम से कम 1 करोड़ रुपए का टर्न ओवर होना चाहिए। एक ही फर्म के साथ सातों मेडिकल कॉलेज में जन औषधीय केंद्र चलाने का अनुबंध किया जाएगा। इसके अलावा टेंडर भरने वाली फर्म की छत्तीसगढ़ में कम से कम चार दवा दुकानें भी होनी चाहिए। स्वास्थ्य विभाग ने 2 जून तक बंद लिफाफे में निजी फर्मों केमिस्टों से निविदा बुलवाई है।
मेडिकल फील्ड से जुड़े कर सकते हैं आवेदन
कोई भी व्यक्ति या व्यवसायी, अस्पताल, एनजीओ, चेरिटेबल संस्था, फार्मासिस्ट, डॉक्टर और मेडिकल प्रैक्टिसनर जनऔषधि केंद्र खोलने के लिए आवेदन कर सकता है। इसके लिए http://janaushadhi.gov.in पर आवेदन कर सकता है। आवेदक संस्थान/एनजीओ/चेरिटेबल संस्था को आवेदन करने के लिए आधार कार्ड, पैन कार्ड का प्रमाणपत्र एवं पंजीयन प्रमाण पत्र देना होगा। जन औषधि केंद्र खोलने के लिए कम से कम 10 वर्ग मीटर की खुद की या किराए की जगह होनी चाहिए।
मरीजों को मिलेगा लाभ, जेनेरिक दवा भी
गर्मियों में तेज धूप में रहने से स्किन पर सनबर्न और टैनिंग हो जाती है. ऐसे में इससे बचने के लिए स्किन की खास देखभाल करनी चाहिए. डॉक्टर इंस्टा के एमडी (त्वचारोग विशेषज्ञ) पुनीत मदान और ब्यूटी एक्सपर्ट आकृति कोचर ने सनबर्न से त्वचा को सुरक्षित रखने के लिए ये सुझाव दिए हैं :
1. सुबह 10 बजे से लेकर शाम छह बजे के बीच धूप में निकलने से बचने की कोशिश करें, क्योंकि इस दौरान तेज धूप होती है. अगर मुमकिन हो तो इस दौरान किसी काम को करने से बचने की कोशिश करें. लेकिन अगर जरूरी काम है तो जितना हो सके छाए में रहे या छतरी लेकर निकलें.
2. हमेशा सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें. इसे लगाए बिना घर से बाहर नहीं निकलें. बाहर निकलने से कम से कम 15 मिनट पहले सनस्क्रीन लगाएं और हर दो-तीन घंटे पर इसे लगाने की कोशिश करें. स्किन के मुताबिक सन प्रोटेक्शन फैक्टर (SPF) 15 या इससे ज्यादा SPF वाला सनस्क्रीन लगाएं.
6. गर्मियों में बाहर से घर आने के बाद सनबर्न से बचने के लिए कूलिंग लोशन या नारियल तेल सन बर्न वाले हिस्से पर लगाएं. सनबर्न वाले हिस्से पर एलोवेरा लगाना भी फायदेमंद होता है. यह टैन हटाने और स्ट्रेच मार्क कम करने में भी मददगार साबित होता है.
7. खाने में विटामिन को शामिल करें. फर्मेंटेड कॉड लीवर ऑयल शरीर में विटामिन D की आपूर्ति को संतुलित रखते हैं और सन बर्न के खिलाफ इम्यूनिटी बनाते हैं.
::/fulltext::आयुर्वेदिक एक्सपर्ट और 10 से ज्यादा हेल्थ के विषयों पर किताबें लिख चुके डॉ अबरार मुल्तानी बताते हैं कि देसी काला चना सेहत के नजरिए से बेहतरीन है। यह फाइबर्स, कैल्शियम, प्रोटीन, विटामिन्स और मिनरल्स का अच्छा सोर्स है। यह सस्ता होने से सभी के लिए आसानी से उपलब्ध है। इसे कई प्रकार से खाया जा सकता है जैसे भूनकर, सब्जी बनाकर, कच्चा, भिगोकर और अंकुरित करके। इन सभी मे सबसे बेस्ट है इसे अंकुरित करके खाना। इसको कुछ दिन खाने से कई हेल्थ प्रॉब्लम्स दूर हो सकती हैं।
कैसे और कितना भिगोएं-
25 से 50 ग्राम चनों को चीनी या कांच की प्याली में पानी डालकर 24 घंटे के लिए भिगोकर रख दें। इनमें अंकुर निकलने लगेंगे। अब सुबह उठकर इसे खाली पेट खा लें। आइए जानते हैं इसके फायदे।
1. इसमें आयरन और फॉस्फोरस पाया जाता है, जो हीमोग्लोबीन लेवल को बढ़ाता है। इसे हर रोज खाने से खून की कमी और शरीर की कमजोरी दूर होती है।
2. सुस्ती और थकान से बचने और हमेशा एनर्जेटिक बने रहने के लिए आप प्रतिदिन अंकुरित चने खाएं, कुछ ही दिनों में आप फ्रेशनेस, एनर्जी और स्फूर्ति फील करने लगेंगे।
3. यह रक्त में शुगर की मात्रा को कंट्रोल करता है और शरीर में ग्लूकोज की अतिरिक्त मात्रा को भी कम करने में मदद करता है। इसलिए यह डायबिटीज के पेशेंट को बहुत फायदा करता है।
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