Saturday, 06 December 2025

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आपका पैन कार्ड एक्टिव है या नहीं, 11.44 लाख PAN Card किए जा चुके हैं निष्क्रिय, जांचें.....

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अब एक बार फिर टैक्स रिटर्न फाइल करने का मौसम है. लोग और कंपनियां अपने-अपने आईटीआर रिटर्न फाइल कर रहे हैं.नई दिल्ली:  2014 में केंद्र में सत्ता पर आने के बाद नरेंद्र मोदी सरकार ने भी काला धन पर अंकुश लगाने के लिए कदम उठाए. लेन देन में फर्जीवाड़ा को रोकने के लिए सरकार कुछ कदम उठाए. इसमें लाखों फर्जी पैन कार्ड को निरस्त कर दिया गया. पिछले साल सरकार ने करीब 12 लाख पैन कार्ड निष्क्रिय कर दिए थे. कई लोग यह जांच नहीं कर पाए कि उनका पैन कार्ड सक्रिय है या नहीं. अब एक बार फिर टैक्स रिटर्न फाइल करने का मौसम है. लोग और कंपनियां अपने-अपने आईटीआर रिटर्न फाइल कर रहे हैं. बता दें कि केंद्र सरकार ने 27 जुलाई 2017 को 11.44 लाख पैन कार्ड निष्क्रिय कर दिए थे और कई हज़ार फर्जी पैन कार्ड की भी पहचान कर ली थी. तब वित्त राज्यमंत्री संतोष कुमार गंगवार ने संसद को सूचित किया कि 11.44 लाख से अधिक पैन कार्ड या तो बंद कर दिया गया है. ऐसा उन मामलों में किया गया था जहां किसी व्यक्ति को एक से अधिक पैन कार्ड आवंटित कर दिए गए थे.  गंगवार ने बताया था कि 27 जुलाई तक 1,566 फर्जी पैन की पहचान की गई. ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि आप यह जांच लें कि आपके नाम से फर्जी पैन कार्ड तो नहीं बन गया है. कोई और आपके नाम का पैन कार्ड बनवाकर दुरुपयोग तो नहीं कर रहा है. और यदि आपके पास एक से ज़्यादा पैन कार्ड हैं तो आप ऑनलाइन जांच करके जान सकते हैं कि आपका कौन सा कार्ड वैध है. इसके लिए आपको नीचे दी गई गई प्रक्रिया को अमल करना होगा.
 

How

 आप ऐसे जांच सकते हैं पैन कार्ड की वैलिडिटी स्टेटस

  1. PAN card की वैधता जानने के लिए इनकम टैक्स ई-फाइलिंग वेबसाइट पर जाएं. यहां पर स्क्रीन में बायीं तरफ नज़र आ रहे नो योर पैन बटन पर क्लिक करें.
  2. अगले पेज पर नाम, स्टेटस और मोबाइल नंबर जैसे अन्य अहम जानकारियां पूछी जाएंगी. आप इनका ब्योरा दे दें. मोबाइल नंबर वही होना चाहिए जिसे आपने पैन कार्ड फॉर्म में दिया था. क्योंकि यूज़र वेरिफिकेशन के लिए इसी नंबर पर ओटीपी भेजा जाएगा.
  3. सभी ब्योरा देने के बाद आप सब्मिट बटन पर क्लिक कर दें. इसके बाद अगले पेज पर वो ओटीपी नंबर डालें जो आपके रजिस्टर्ड फोन नंबर पर आया है.
  4. अगर आपके नाम पर कई पैन कार्ड हैं तो आपसे कुछ और सवाल पूछे जाएंगे, जैसे पिता का नाम.
  5. मांगी गई जानकारियां देने के बाद आप अपने पैन कार्ड की वैलिडिटी स्टेटस जांच सकेंगे. यहां अलावा उन पैन कार्ड का भी पता चलेगा जो एक्टिव हैं.
  6. साफ कर दें कि पैन कार्ड की वैलिडिटी स्टेटस जांचने के लिए आपके द्वारा दी गई जानकारियां सही होनी चाहिए. ये जानकारियां आपके द्वारा पैन कार्ड आवदेन में दी गई जानकारियों से मेल खानी चाहिए.
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डॉक्टर बनाने में सरकार तीन करोड़ रुपये खर्च करती है, तो क्यों नहीं इनसे एमबीबीसी के बाद दो साल सेवा करवाई जाए?....

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यही वजह है कि सरकार ने पांच लाख और तीन लाख के जुर्माने को बढ़ाकर 25 लाख और 20 लाख कर दिया है।

रायपुर। राज्य के शासकीय मेडिकल कॉलेज की एमबीबीएस सीट पर दाखिला लेने वाले एक छात्र को डॉक्टर बनाने में सरकार तीन करोड़ रुपये खर्च करती है। इसमें डॉक्टर/प्रोफेसर का वेतन, कॉलेज का इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर प्रयोगशाला, हॉस्टल और मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआइ) में मान्यता के आवेदन का खर्च शामिल है। तो क्यों नहीं इनसे एमबीबीसी के बाद दो साल की शासकीय सेवा करवाई जाए?

नियम तो बनाए गए यह सोचकर की इन डॉक्टर्स को ग्रामीण अंचलों के स्वास्थ्य केंद्रों, जिला अस्पताल, मेडिकल कॉलेजों में पोस्टिंग देकर प्रदेश में डॉक्टर्स की कमी कुछ हद तक पूरी की जाएगी।

ग्रामीण सेवा में जाने पर 2013 तक अनारक्षित वर्ग के छात्रों को पांच लाख, आरक्षित वर्ग के लिए तीन लाख जुर्माने का प्रावधान था। लेकिन जानकर हैरानी होगी कि 75-80 फीसद डॉक्टर ने इस राशि को बतौर जुर्माना भरा और दो साल शासकीय सेवाएं में सेवाएं नहीं दी।

2017-18 में पं. जवाहरलाल नेहरू मेमोरियल मेडिकल कॉलेज के शासकीय कोटा सीट पर दाखिला लेने वाले 124 एमबीबीएस डिग्रीधारियों में सिर्फ 28 ही शासकीय सेवा में गए। यही वजह है कि सरकार ने पांच लाख और तीन लाख के जुर्माने को बढ़ाकर 25 लाख और 20 लाख कर दिया है। अगले सत्र में 2013 का बैच पास आउट होगा, देखना दिलचस्प होगा कि क्या कोई ऐसा भी है जो 25 लाख और 20 लाख का जुर्माना भरेगा।

 सीट कम इसलिए नियम

प्रदेश में पिछले साल एमबीबीएस की 850 सीट थी, इस साल सिर्फ 550 ही रह गई। अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज पिछले साल जीरो ईयर था, इस साल उसे 100 सीट की मान्यता मिली है जबकि तीनों निजी कॉलेज जीरो ईयर हो गए हैं।

 ऑल इंडिया कोटा वालों के लिए भी नियम

दो साल की शासकीय सेवा का नियम सिर्फ राज्य कोटा सीट पर दाखिला लेने वालों पर लागू था, लेकिन सत्र 2018-19 के प्रवेश नियम में इसे संशोधित कर ऑल इंडिया कोटा सीट पर दाखिला लेने वाले छात्रों पर भी लागू कर दिया गया है। यानी अब 100 फीसद एमबीबीएस डिग्रीधारियों को शासकीय सेवा करनी होगी।

 2013 तक एमबीबीएस सीटों की स्थिति

पं. जवाहरलाल नेहरू में राज्य कोटा की 124 सीट, छत्तीसगढ़ इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस (सिम्स) बिलासपुर में 82, स्व. बलीराम कश्यप मेमोरियल मेडिकल कॉलेज में 82 सीट। इनमें से 75 फीसद ने जुर्माना भर दिया।

 इस साल से पीजी में भी लागू किया शासकीय सेवा

सत्र 2017-18 में मेडिकल कॉलेजों की पीजी सीट पर दाखिला लेने वालों को भी दो साल की शासकीय सेवा अनिवार्य कर दी गई है। ये स्पेशलिस्ट की कमी को पूरा करने की दिशा में उठाया गया कदम है। न करने पर 50 लाख रुपये जुर्माना भरना होगा।

 ग्रामीण अंचलों में डॉक्टर्स की जरूरत

हमें ग्रामीण अंचलों के लिए डॉक्टर्स की जरुरत है। सरकार डॉक्टर बनाने में करोड़ों रुपये खर्च करती है तो क्यों न उनकी सेवा मरीजों को मिले। शासकीय सेवा की अनिवार्यता थी, आज भी लेकिन पहले न करने पर जुर्माना की राशि कम थी। इसलिए इसे बढ़ाया गया। - डॉ. अशोक चंद्राकर, संचालक, चिकित्सा शिक्षा

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बहुत जरूरी है पशु-पक्षी हमारे सुखमय जीवन के लिए, पढ़ें कमाल की बातें.....

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आज के हाईटेक युग में भी अधिकांश लोग किसी प्राणी के रंग के साथ शगुन-अपशगुन को जोड़कर देखने का प्रयत्न करते हैं। घर में कोई प्राणी या पक्षी पालने के पहले अक्सर ली जाती है। प्राणियों और पक्षियों में अनिष्ट तत्वों को काबू में रखने की अद्भुत शक्तियाँ होती हैं। इस ब्रह्मांड में व्याप्त नकारात्मक शक्तियों को निष्क्रिय बनाने की ताकत इन पालतू प्राणियों में होती है।
 
1. मानव का सबसे वफादार मित्र कुत्ता भी नकारात्मक शक्तियों को खत्म कर सकता है। उसमें भी काला कुत्ता सबसे ज्यादा उपयोगी सिद्ध होता है। प्रसिद्ध ज्योतिषी जयप्रकाश लाल धागेवाले कहते हैं- 'यदि संतान की प्राप्ति नहीं हो रही हो तो काले कुत्ते को पालने से संतान की प्राप्ति होती है।' वैसे काले रंग से बहुतों को चिढ़ हो सकती है, पर यह शुभ है।
 
2. काले कौवे को भोजन करने (कराने) से अनिष्ट व शत्रु का नाश होता है। अलबत्ता कौवा बहुत डरपोक होता है और मानव से बहुत घबराता है। कौवे को एक ही आंख से दिखाई देता है।
शुक्र देवता भी एकांक्षी हैं। शुक्र जैसे ही शनि देवता हैं। उनकी भी एक ही दृष्टि है। अतः शनि को प्रसन्न करना हो तो कौवों को भोजन कराना चाहिए। घर की मुंडेर पर कौवा बोले तो मेहमान जरूर आते हैं। परंतु यह भी कहा गया कि कौवा घर की उत्तर दिशा में बोले तो घर में लक्ष्मी आती है, पश्चिम दिशा में मेहमान, पूर्व में शुभ समाचार और दक्षिण दिशा में बोले तो माठा (बुरा) समाचार आता है।
 
3. हमारे शास्त्रों में गाय के संबंध में अनेक बातें लिखी हुई हैं जैसे- शुक्र की तुलना सुंदर स्त्री से की जाती है। इसे गाय के साथ भी जोड़ते हैं। अतः शुक्र के अनिष्ट से बचने के लिए गौ-दान का प्रावधान है। जिस भू-भाग पर मकान बनाना हो तो पंद्रह दिन तक गाय-बछड़ा बांधने से वह जगह पवित्र हो जाती है। भू-भाग से बहुत सी आसुरी शक्तियों का नाश हो जाता है।
4 . तोते का हरा रंग बुध ग्रह के साथ जोड़कर देखा जाता है। अतः घर में तोता पालने से बुध की कुदृष्टि का प्रभाव दूर होता है। घोड़ा पालना भी शुभ है। सभी लोग घोड़ा पाल नहीं सकते फिर काले घोड़े की नाल को घर में रखने से शनि के कोप से बचा जा सकता है।
 
5. मछलियों को पालने व आटे की गोलियां खिलाने से अनेक दोष दूर होते हैं। इसके लिए सात प्रकार के अनाज के आटे का पिंड बना लें।
 
अपनी उम्र के वर्ष बराबर बार पिंड को शरीर से उतार लें। फिर अपनी उम्र जितनी गोलियां बनाकर मछलियों को खिलाएं।
 
घर में फिश-पॉट (मछली पात्र) रखने की सलाह भी देते हैं जो सुख-समृद्धिदायक है। कहा जाता है कि मछली अपने मालिक पर आने वाली विपदा को अपने ऊपर ले लेती है।
 
6. कबूतरों को शिव-पार्वती के प्रतीक रूप माना जाता है, परंतु वास्तुशास्त्र की दृष्टि से कबूतर बहुत अपशगुनी माना जाता है।
 
7. दुनिया के अधिकांश देशों में बिल्ली का दिखना अपशगुन माना जाता है। काली बिल्ली को अंधकार का प्रतीक माना जाता है। अनोखी बात यह भी है कि ब्रिटेन में काली बिल्ली को शुभ माना जाता है।
 
8. अंत में कुत्ते के बारे में एक बात और यह कि कुत्ता पालने से लक्ष्मी आती है और कुत्ता घर के रोगी सदस्य की बीमारी अपने ऊपर ले लेता है।
 
9 . गुरुवार को हाथी को केले खिलाने से राहु और केतु के नकारात्मक प्रभाव दूर होते हैं।
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11 मिनट ज्यादा जीने के लिए 1 सिगरेट छोड़ना तो बनता है...!

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जिंदगी लंबी जीनी है तो आज ही से सिगरेट पीना छोड़ दीजिए

नई दिल्ली. एक अध्ययन के अनुसार 1 सिगरेट आपकी जिंदगी के 11 मिनट कम कर देती है. इसलिए जिंदगी लंबी जीनी है तो आज ही से सिगरेट पीना छोड़ दीजिए. क्योंकि हर सिगरेट आपके जीवन से 11 मिनट घटा देता है. प्रिवेंटिव हेल्थकेयर के क्षेत्र में काम कर रही कंपनी इंडस हेल्थ प्लस ने अपने एक सर्वे में पाया है कि आज भी लगभग 30 प्रतिशत लोग सिगरेट पीना पसंद करते हैं. कंपनी के सर्वे से यह पता चला है कि 71.6 प्रतिशत लोग सिगरेट नहीं पीते हैं. बाकी लोगों में से कई लोग तनाव दूर करने के नाम पर, शौकिया तरीके से या अलग-अलग तरह के कारणों से सिगरेट पीते हैं. कंपनी ने सिगरेट पीने वाले लोगों के व्यवहार को जानने के लिए सर्वे किया तो कई रोचक नतीजे सामने आए. इनमें से सबसे ज्यादा लोगों ने सिगरेट पीने के पीछे जो तर्क दिया, वह धारणा ज्यादा है, कि सिगरेट पीने से तनाव दूर हो जाता है.

कंपनी के ज्वाइंट मैनेजिंग डायरेक्टर अमोल नायकावाड़ी ने कहा कि किसी भी रूप में तंबाकू का सेवन एक सामाजिक और सार्वजनिक स्वास्थ्य की समस्या है. लोगों को सेहत पर तंबाकू के दुष्परिणामों के बारे में संवेदनशील बनाए जाने की जरूरत है. इसके साथ ही एक चर्चा मंच तैयार करना भी जरूरी है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि किस वजह से लोग इस तरह की जीवनशैली का चुनाव करते हैं और उन्हें उससे कैसे बचाया जा सकता है. उन्होंने बताया कि एक अध्ययन के अनुसार, एक सिगरेट आपकी जिंदगी को 11 मिनट तक कम कर सकती है. इंडस इस तथ्य को प्रसारित करने के लिये अभियान चला रही है और लोगों को सिगरेट छोड़कर 11 मिनट की खुशियां पाने की सलाह दे रही है. सिगरेट पीने वालों के व्यवहार को लेकर किए गए इस सर्वे के कुछ ऐसे ही दिलचस्प नतीजों के बारे में आइए जानते हैं.

1- सर्वे के अनुसार सिगरेट पीने की आदत को अपने घरवालों या परिचितों से छुपाकर रखना प्रिय शगल है. इसलिए दफ्तरों में अक्सर और घर पर कभी-कभार सिगरेट पीने वाले लोग, ऑफिस या लैपटॉप बैग में सिगरेट छुपाकर रखते हैं. ऑफिस या लैपटॉप बैग को अमूमन घर में दूसरा कोई नहीं छूता, इसलिए यह सिगरेट के लिए महफूज जगह होती है. इसके अलावा सर्वे में यह भी पता चला है कि 70 प्रतिशत पुरुषों को खाना खाने के बाद सिगरेट की तलब सबसे ज्यादा लगती है. वहीं, सुबह उठकर शौच जाने से पहले भी सिगरेट की तलब लगना आम आदत है.

2- सर्वेक्षण के अनुसार, लगभग 81 प्रतिशत स्मोकर्स (सिगरेट पीने वाले) घर में धूम्रपान करते हैं, जबकि 19 प्रतिशत लोग परिवार की मौजूदगी की वजह से घर पर सिगरेट नहीं पीते हैं. इतना ही नहीं, 94 प्रतिशत महिला स्मोकर्स और 74 प्रतिशत पुरुष स्मोकर्स घर पर सिगरेट पीते हैं. सर्वे की एक रोचक बात यह भी सामने आई कि 58 प्रतिशत महिलाएं सेक्स करने के बाद सिगरेट पीना पसंद करती हैं.

3- सिगरेट पीने वालों के व्यवहार जानने को लेकर किए गए सर्वे में यह तथ्य भी सामने आया कि घरों की बालकनी सिगरेट पीने के लिए सबसे पसंदीदा जगहों में से एक है. इसके अलावा गार्डेन, बेडरूम और रेस्टरूम आराम करने की जगह होने के कारण धूम्रपान के सबसे पसंदीदा जगह होते हैं. इनमें बालकनी सबसे अधिक पसंदीदा स्थान है.

4- सिगरेट को मंथली-बजट में जोड़ने की बात, शायद ही किसी घर में होती हो. लेकिन इस सर्वे से यह चौंकाने वाला तथ्य भी सामने आया है कि लोग आजकल सिगरेट को भी मंथली-बजट का हिस्सा मानने लगे हैं. सिगरेट के लिए मासिक बजट बनाने की बात आती है, तो पुरुषों की तुलना में 33 प्रतिशत महिलाएं अपने स्मोक्स के लिए बजट बनाती हैं. हालांकि सिगरेट पीने वालों की कुल संख्या लगभग 30 प्रतिशत होने से ही यह उम्मीद भी बनी हुई है कि ज्यादातर लोग अपने परिवार और खुद के सेहत की चिंता करते हैं, इसलिए सिगरेट पीने को तवज्जो नहीं देते.

5- सर्वे में भाग लेने वाले सिर्फ 24 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि वह बच्चे की योजना बनाने के लिये सिगरेट पीना छोड़ देंगे. यह दर्शाता है कि अधिकतर लोग इस बात से अंजान है कि सिगरेट पीने से महिलाएं और पुरुष दोनों में बांझपन होता है. 51 प्रतिशत लोगों के घर में उनके अलावा कोई और स्मोकर नहीं है. यह इस बात का प्रमाण है कि अपने परिवार के दूसरे लोगों को देखकर सिगरेट पीने के लिए प्रेरित नहीं हुए हैं.

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