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राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तंज पर जवाब दिया है. गहलोत का कहना है कि मेरी बजट स्पीच में हुई गलती का पीएम मोदी राजनीतिक मुद्दा बना रहे हैं. मैंने सिर्फ़ 34 सेकेंड का पुराना बजट पढ़ा था. बता दें कि कुछ दिनों पहले राजस्थान का बजट पेश करते हुए अशोक गहलोत शुरू के कुछ मिनटों में पुराना बजट भाषण पढ़ गए थे. इसी पर गहलोत का नाम लिए बिना पीएम मोदी ने रविवार को राजस्थान के दौसा पहुंचकर तंज कसा था.
अशोक गहलोत ने एक एक्सक्लूसिव बातचीत में एनडीटीवी से कहा, "बीजेपी को पता था कि हमारा बजट ज़बरदस्त होने वाला है. हमारे बजट से घबरा कर बीजेपी मेरी स्पीच का मुद्दा बना रही है. पीएम मोदी अभी से ही चुनावी मोड में आ गए हैं. पिछले 15 दिन में प्रधानमंत्री मोदी दो बार राजस्थान आ चुके हैं. प्रधानमंत्री मोदी से ज़मीन पर लड़ाई के लिए तैयार हूं. मैंने सेवक की तरह काम किया, मुख्यमंत्री के तौर पर नहीं. प्रधानमंत्री मोदी कल सरकारी काम के लिए आए थे, लेकिन उन्होंने राजनीतिक रैली कर ली, ये परंपरा ठीक नहीं है."
सचिन पायलट से अनबन के मुद्दे पर अशोक गहलोत ने कहा, "कांग्रेस में कोई बिखराव नहीं है. हमने चार साल स्थिर सरकार चलाई है. अमित शाह, गजेंद्र सिंह शेखावत और धर्मेंद्र प्रधान यहां सरकार अस्थिर करने का प्रयास कर रहे थे. हमने बीजेपी की साज़िश नाकाम की. हम एकजुट होकर चुनाव में जाएंगे. बिखराव कांग्रेस में नहीं बीजेपी में है. माहौल देखकर लगता है कि कांग्रेस राजस्थान में वापस आएगी.
राजस्थान के बजट में की गई घोषणाओं पर अशोक गहलोत ने कहा, "हमने चिरंजीवी योजना में कवर 25 लाख कर दी है. चिरंजीवी योजना जैसी योजना पूरे विश्व में नहीं है. घरों को 100 यूनिट बिजली फ्री, किसानों को 2000 यूनिट बिजली फ्री दे रहे हैं. हम सबको समान पेंशन दे रहे हैं. हम मोदी सरकार से सोशल सिक्योरिटी एक्ट लाने की मांग कर रहे हैं.
नई दिल्ली: दिल्ली बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा को गुरुवार को पुलिस ने हिरासत में ले लिया. वे दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ प्रतिद्वंद्वियों की जासूसी करने के लिए एक राजनीतिक खुफिया इकाई का संचालन के आरोप में प्रदर्शन कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने पुलिस बैरिकेडिंग पार करने की कोशिश की, जिसके बाद उन्हें हिरासत में ले लिया गया.
बीजेपी कार्यकर्ता दिल्ली सचिवालय के पास प्रदर्शन कर रहे थे. उनकी मांग थी कि सिसोदिया को डिप्टी सीएम के पद से हटाया जाए. हाल ही में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने कहा है कि आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता ने 2015 में राजधानी में सत्ता में आने के बाद "फीडबैक यूनिट" या "FBU" का गठन किया है.
हालांकि, आप ने आरोपों को गलत और राजनीति से प्रेरित बताया है. जांच एजेंसियों (जो केंद्र में भाजपा की अगुवाई वाली सरकार को रिपोर्ट करते हैं) द्वारा सिसोदिया पर लगाए गए आरोपों में ये सबसे नया है. उन्होंने दिल्ली की अब-रद्द की गई शराब बिक्री नीति की जांच शुरू की है और सिसोदिया पर आरोप लगाया है.
सीबीआई की एक प्रारंभिक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 2015 में दिल्ली में आप के सत्ता में आने के महीनों बाद दिल्ली सरकार द्वारा स्थापित एफबीयू "राजनीतिक खुफिया जानकारी" में लिप्त था.
हिरासत में लिए गए वीरेंद्र सचदेवा ने कहा, " फीडबैक यूनिट से कोई भी, यहां तक कि पत्रकार, व्यापारी और वरिष्ठ अधिकारी भी अछूते नहीं रहे. जिस तरह से आप सरकार काम कर रही है, बहुत जल्द मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया दोनों सलाखों के पीछे होंगे."
'बहुत गंभीर मुद्दा' बताते हुए सचदेवा ने कहा कि सिसोदिया और उनके 'बॉस' मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दोनों के जेल में रहने तक बीजेपी "संघर्ष जारी रखेगी".
आप ने एक बयान में आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा, "पूरा देश जानता है कि राजनीतिक जासूसी पीएम मोदी करते हैं, मनीष सिसोदिया नहीं. मोदी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जानी चाहिए, मनीष सिसोदिया के खिलाफ नहीं."
नई दिल्ली: दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार पर बीजेपी की जासूसी करने का आरोप लगा है. इस मामले में दिल्ली के एलजी विनय सक्सेना ने सीबीआई को उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केस दर्ज करने की अनुमति दे दी है. सिसोदिया के साथ ही छह अन्य लोगों के खिलाफ भी केस दर्ज होगा, जिसमें एक आईएएस (IAS) अधिकारी भी शामिल है.
आरोप है कि आम आदमी पार्टी की सरकार ने 2015 में सत्ता में आने के बाद विजिलेंस डिपार्टमेंट के तहत एक फीडबैक यूनिट बनाई थी, जिसका इस्तेमाल राजनीतिक विरोधियों की जासूसी के लिए किया गया. एलजी दफ़्तर के अधिकारियों के मुताबिक सीबीआई (CBI) की शुरुआती जांच में ये सामने आया है कि फीडबैक यूनिट का इस्तेमाल नेताओं की जासूसी के लिए किया गया.
इस मसले पर दिल्ली बीजेपी आज प्रदर्शन कर रही है. बीजेपी के कई बड़े नेता हाथों में दूरबीन लेकर ITO से दिल्ली सचिवालय तक प्रदर्शन कर रहे हैं. इसमें दिल्ली बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा और विधानसभा में नेता विपक्ष रामवीर सिंह बिधुड़ी भी शामिल हैं. बीजेपी का आरोप है कि विजिलेंस डिपार्टमेंट के तहत इस यूनिट का गठन विरोधी पार्टी के नेताओं पर नजर रखने के लिए किया गया है.
सूत्रों के मुताबिक एलजी (LG) ने सवाल उठाए कि 29 सितंबर 2015 को फीडबैक यूनिट बनाने का प्रस्ताव कैबिनेट में रखा गया. खुद मुख्यमंत्री ने ये प्रस्ताव रखा, लेकिन इसके साथ कोई कैबिनेट नोट नहीं दिया गया. लगता यही है कि इसे एक प्राइवेट गुप्तचर संस्था की तरह बनाया गया.
फरवरी 2016 से एफबीयू ने काम करना शुरू किया, उस वक्त इसमें 17 लोग काम करते थे, ये सभी अनुबंधित कर्मचारी थे. ये सभी पैरामिलिट्री फोर्स और IB जैसे एजेंसी से रिटायर्ड थे. सात महीने ही ये FBU काम कर सकी. फिर खुद विजिलेंस डिपार्टमेंट ने इसकी शिकायत की और इसे भंग कर दिया गया.
बनिहाल : कांग्रेस नेता राहुल गांधी के नेतृत्व में निकाली जा रही ‘भारत जोड़ो यात्रा' शुक्रवार को सुबह जम्मू-कश्मीर के बनिहाल से आगे घाटी बढ़ी. इस दौरान, बड़ी संख्या में तिरंगा थामे कांग्रेस कार्यकर्ता और नेता राहुल के साथ पदयात्रा करते नजर आए. बनिहाल में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला भी भारत जोड़ो यात्रा में शामिल हुए. राहुल की तरह सफेद टी-शर्ट पहने उमर ने कांग्रेस पार्टी के हजारों समर्थकों के साथ राहुल के साथ पदयात्रा में हिस्सा लिया.
श्रीनगर से 120 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बनिहाल पहुंचने के बाद मीडिया से मुखातिब उमर ने कहा, "भारत जोड़ो यात्रा का मकसद राहुल गांधी की छवि सुधारना नहीं, बल्कि देश के मौजूदा हालातों में बदलाव लाना है." उन्होंने कहा कि वह यात्रा में इसलिए शामिल हो रहे हैं, क्योंकि वह देश की छवि को लेकर ज्यादा चिंतित हैं।
उमर ने कहा, "हम किसी एक व्यक्ति की छवि के लिए नहीं, बल्कि देश की छवि के लिए इसमें हिस्सा ले रहे हैं." नेकां नेता ने कहा कि राहुल गांधी ने निजी उद्देश्यों के चलते यह यात्रा शुरू नहीं की, बल्कि उन्होंने देश में सांप्रदायिक तनाव पैदा करने और अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने की कथित कोशिशों को लेकर अपनी चिंताओं के मद्देनजर यह कदम उठाया.
जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद-370 को निष्प्रभावी बनाए जाने को लेकर कांग्रेस के रुख के बारे में पूछे जाने पर उमर ने कहा, "हम अनुच्छेद-370 की बहाली के लिए अदालत में मुकदमा लड़ेंगे. सरकार संबंधित याचिका पर सुनवाई से जिस तरह से पीछे भाग रही है, उससे पता चलता है कि हमारा मुकदमा काफी मजबूत है."
जम्मू-कश्मीर में चुनाव पर उन्होंने कहा कि इसे आठ साल हो चुके हैं। नेकां नेता ने कहा, "आखिरी विधानसभा चुनाव 2014 में हुए थे. यह जम्मू-कश्मीर में दो चुनावों के बीच सबसे लंबा अंतराल है. घाटी में आतंकवाद के चरम पर होने के दौरान भी ऐसा नहीं हुआ था." उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार चाहती है कि जम्मू-कश्मीर के लोग चुनाव के लिए गिड़गिड़ाएं. उमर ने कहा, "हम भिखारी नहीं हैं और हम इसके लिए भीख नहीं मांगेंगे."