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कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टर ने 10 मई को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ओर से टिकट नहीं मिलने पर रविवार को पार्टी से इस्तीफा देने की घोषणा की. शेट्टर ने कहा कि वह पार्टी और विधानसभा से इस्तीफा देंगे. कांग्रेस के राज्य की सत्ता में रहने के दौरान विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे शेट्टर ने यह भी कहा कि वह आगामी विधानसभा चुनाव निश्चित रूप से लड़ेंगे.
पार्टी में अपने योगदान और राज्य में प्रमुख पदों पर अपनी जिम्मेदारियों को याद करते हुए शेट्टर ने कहा, “जिस तरह से मुझे अपमानित किया गया उससे मैं परेशान हूं. मैंने सोचा कि मुझे उन्हें चुनौती देनी चाहिए. इसलिए मैंने चुनाव लड़ने का फैसला किया है. मैं सिरसी जाऊंगा और विधानसभा से अपना इस्तीफा (विस अध्यक्ष को) सौंप दूंगा. आखिरकार मैं उस पार्टी से इस्तीफा दे दूंगा जिसे मैंने राज्य में बनाया था.”
लिंगायत नेता ने यह भी आरोप लगाया कि उनके खिलाफ सुनियोजित साजिश रची गई. इससे पहले शनिवार रात को ही कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई और केंद्रीय मंत्रियों प्रहलाद जोशी तथा धर्मेंद्र प्रधान ने शेट्टर से उनके आवास पर मुलाकात की थी. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने पूर्व मुख्यमंत्री शेट्टर (67) से युवाओं के लिए रास्ता बनाने के वास्ते 10 मई को होने वाला विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने को कहा है.
नई दिल्ली: राजस्थान में पंजाब जैसी पराजय को टालने के लिए कांग्रेस नेतृत्व वरिष्ठ नेता और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की मध्यस्थता के जरिए अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच विवाद खत्म किए जाने की उम्मीद कर रहा है. सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया कि कमलनाथ ने गुरुवार को दिल्ली में पायलट और पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल से मुलाकात की और दोनों गुटों के बीच मतभेदों को सुलझाने के तरीकों पर चर्चा की.
पहले भी सचिन पायलट से कमलनाथ बात करते रहे हैं. बताया जाता है कि कांग्रेस हाईकमान की ओर से अनुशासन को लेकर कार्रवाई कुछ दिनों तक टाल दी गई है. कांग्रेस अध्यक्ष फिलहाल बाहर हैं. सूत्रों के अनुसार कमलनाथ ने कांग्रेस अध्यक्ष तक अपनी बात पहुंचा दी है. इस मामले में बिना गांधी परिवार की सलाह के कोई भी फैसला नहीं लिया जाएगा.सचिन पायलट ने भी अपनी बात कांग्रेस नेताओं के सामने रखी है.
पायलट ने राजस्थान की पिछली भाजपा सरकार के कथित भ्रष्टाचार के खिलाफ इस सप्ताह एक दिन का अनशन किया था. उन्होंने वसुंधरा राजे पर आरोप लगाते हुए अपनी ही पार्टी की सरकार को निष्क्रिय बताया था. इसे अशोक गहलोत को एक सीधी चुनौती के रूप में देखा गया. इसे इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले सचिन पायलट द्वारा खुद को भविष्य में एक बड़ी भूमिका निभाने के लिए उठाए गए कदम के रूप में भी देखा गया.
कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार पायलट ने भी वसुंधरा राजे के खिलाफ अपने अनशन के बचाव में कहा कि यह पार्टी विरोधी नहीं था और वे जनहित के मुद्दों को उठा रहे थे. उन्होंने तर्क दिया कि पार्टी में दोहरा मापदंड अपनाया गया. जब अन्य नेता कथित विफलताओं के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की आलोचना करते हैं तो फिर वसुंधरा की क्यों नहीं.
राजस्थान के नवनियुक्त प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा और वरिष्ठ नेता जयराम रमेश द्वारा जारी किए गए बयानों से कांग्रेस नेतृत्व भी कथित तौर पर नाखुश है. नेतृत्व ने पायलट के उपवास को "पार्टी विरोधी गतिविधि" कहने वाले बयान की समीक्षा की थी. रंधावा, जिन्हें गहलोत के करीबी के रूप में देखा जाता है, द्वारा अचानक मामले को संभालने से पार्टी के भीतर कई लोग परेशान हैं.
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बीच का रास्ता निकालने की कोशिश की है और वे चाहते हैं कि सभी पक्ष इस विवाद को खत्म करें, खासकर तब जब पार्टी कर्नाटक में एक महत्वपूर्ण चुनाव लड़ रही है. सूत्रों ने कहा कि पार्टी गहलोत की कमजोरी और राज्य में उनकी सरकार के खिलाफ भारी सत्ता विरोधी लहर से भी वाकिफ है.
कमलनाथ ने पिछले कुछ दिनों में कई बैठकें की हैं. वे दोनों पक्षों को शांत करने और एक ऐसा समाधान खोजने की कोशिश कर रहे हैं जिससे संकट पैदा न हो. पायलट के करीबी सूत्रों का कहना है कि उन्हें एक परे धकेला जा रहा है. जिस तरह से नए राज्य प्रभारी ने राजस्थान में मुद्दों और चिंताओं को समझे बिना पक्षपातपूर्ण दृष्टिकोण अपना लिया है उससे पायलट परेशान हैं.
नई दिल्ली : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एके एंटनी बेटे के बीजेपी में शामिल होने पर दुखी हैं. उन्होंने कहा कि, "यह मेरे लिए ये तकलीफदेह." पूर्व केंद्रीय मंत्री एके एंटनी के पुत्र अनिल एंटनी आज बीजेपी में शामिल हो गए हैं. अनिल एंटनी ने साल 2002 के गुजरात दंगों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री को लेकर हुए विवाद के बाद जनवरी में कांग्रेस छोड़ दी थी.
पूर्व रक्षा मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एके एंटनी ने अपने बेटे अनिल एंटनी के भाजपा में शामिल होने के फैसले पर अपनी पीड़ा व्यक्त की है. गुरुवार को पत्रकारों से बात करते हुए एंटनी ने कहा कि वे अपने बेटे के कदम से बहुत आहत हैं और उन्हें यह मंजूर नहीं है.
उन्होंने कहा, "मैंने अपने बेटे को हमेशा देश के लिए काम करना सिखाया है न कि एक परिवार के लिए. लेकिन उसने एक अलग रास्ता चुना है. वह एक ऐसी पार्टी में शामिल हो गया है जो देश को सांप्रदायिक आधार पर विभाजित करने और हमारे देश के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को नष्ट करने की कोशिश कर रही है. मैं इस फैसले को स्वीकार नहीं कर सकता। यह गलत और पीड़ादायक है."
उन्होंने कहा कि, "मैं पांच दशकों से अधिक समय से कांग्रेस पार्टी का एक वफादार सिपाही रहा हूं. मैंने एक मुख्यमंत्री, एक रक्षा मंत्री और एक राज्यसभा सदस्य के रूप में देश की सेवा की है. मैंने हमेशा लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक न्याय के मूल्यों को बरकरार रखा है. मैं इन सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं करूंगा. मैं अपनी आखिरी सांस तक भाजपा की विचारधारा के खिलाफ खड़ा रहूंगा.''
अनिल एंटनी के आज भाजपा में शामिल होने पर पार्टी के नेता पीयूष गोयल, वी मुरलीधरन और पार्टी की केरल इकाई के प्रमुख के सुरेंद्रन ने एक औपचारिक कार्यक्रम में उनका स्वागत किया.
पार्टी छोड़ने से पहले अनिल एंटनी केरल में कांग्रेस का सोशल मीडिया सेल चलाते थे. उन्होंने पार्टी छोड़ने से पहले बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री को "भारत के खिलाफ पक्षपातपूर्ण" कहा था. कांग्रेस ने पीएम मोदी पर हमला करने के लिए डॉक्यूमेंट्री का हवाला दिया था. डॉक्यूमेंट्री में उन पर भारतीय राजनीति में विपक्ष के स्थान को कम करने के लिए सुनियोजित चाल चलने का आरोप लगाया गया था.
अनिल एंटनी ने आज संवाददाताओं से कहा, "हर कांग्रेस कार्यकर्ता का मानना है कि वे एक परिवार के लिए काम कर रहे हैं, लेकिन मेरा मानना था कि मैं कांग्रेस के लिए काम कर रहा हूं." उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास बहु-ध्रुवीय दुनिया में भारत को अग्रणी स्थान पर लाने का बहुत स्पष्ट दृष्टिकोण है."
अनिल एंटनी ने कहा कि, ''मैं अपने पिता एके एंटनी का बहुत सम्मान करता हूं. पूरा परिवार मेरे साथ है. इस पर कोई राजनीतिक बात नहीं कहना चाहता लेकिन मैं उनसे बहुत प्यार करता हूं.''
अनिल एंटनी ने कहा कि, ''मेरा विश्वास है कि धर्म रक्षति रक्षत. आजकल कांग्रेस के कई कार्यकर्ता मानते हैं कि उनका धर्म एक परिवार के लिए काम करना है लेकिन मेरा मानना है कि राष्ट्र के लिए काम करना है. प्रधानमंत्री जी के पास भारत को प्रसिद्ध बनाने के लिए एक अच्छी दृष्टिकोण है. नड्डा जी, अमित शाह जी के पास समाज में अच्छा काम करने की इच्छाशक्ति है. मैं राष्ट्र को सुदृढ़ बनाने के लिए काम करूंगा.''
बेंगलुरु : कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की अंदरूनी गुटबाजी और अनबन सामने आ गई है. पार्टी के वरिष्ठ नेता सिद्धारमैया ने लंबे समय से अपने प्रतिद्वंद्वी रहे और राज्य में पार्टी के प्रमुख डीके शिवकुमार के खिलाफ अपनी टिप्पणियों से यह संकेत दिया है. सिद्धारमैया ने शिवकुमार और खुद को राज्य के शीर्ष पद का दावेदार स्वीकार करते हुए कहा कि उनके प्रतिद्वंद्वी के पास कोई मौका नहीं है. सिद्धारमैया ने एनडीटीवी के साथ एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में यह बात कही है.
उन्होंने कहा, "मैं भी एक आकांक्षी हूं. डीके शिवकुमार भी मुख्यमंत्री पद के आकांक्षी हैं. आलाकमान डीके शिवकुमार को सीएम पद नहीं देगा." शिवकुमार को राज्य में कांग्रेस का संकटमोचक समझा जाता है, जिन्हें जुलाई 2020 में दिनेश गुंडू राव की जगह प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया था.
यह पूछे जाने पर कि शीर्ष पद पर किसी युवा व्यक्ति को मौका क्यों नहीं दिया जाता है, 75 साल के हो चुके पूर्व मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि यह आखिरी चुनाव होगा, जो वह लड़ेंगे.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने कहा है कि दोनों नेताओं को एक संयुक्त मोर्चे की आवश्यकता ने प्रभावित किया है, लेकिन जब वे ज्यादातर मुद्दों पर आम सहमति पर पहुंच गए हैं तो ऐसा लगता है कि शीर्ष पद के लिए उम्मीदवारों के बीच विभाजन बहुत गहरा है.
यह राज्य में उम्मीदवार के चयन को भी प्रभावित कर रहा है क्योंकि प्रत्येक पक्ष की संख्या मुख्यमंत्री पद पाने वाले को प्रभावित करेगी.
सिर्फ एक प्रमुख मुद्दा है जिस पर सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार दोनों सहमत हैं. दोनों ने ही त्रिशंकु विधानसभा की संभावना और एचडी कुमारस्वामी की जनता दल सेक्युलर के साथ नए गठबंधन को खारिज करते हुए कांग्रेस की जीत की भविष्यवाणी की है.