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कर्नाटक में आज विधानसभा चुनाव के मद्देनजर मतदान हो रहा है. 224 सीटों पर होने वाले चुनाव में कई बड़े नेताओं की किस्मत आज ईवीएम में बंद होगी. मतदान शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो इसके लिए राज्य में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. इस बार के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला माना जा रहा है. हालांकि, जेडीएस भी इस चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस को कड़ी टक्कर देती दिख रही है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने किया वोट
बेंगलुरु का इंफ्रास्ट्रक्चर आने वाले दिनों में और अच्छा हो. कर्नाटक में उद्योग को और बढ़ावा मिले. इसके लिए मैंने वोट डाला है. मैंने डबल इंजन सरकार के लिए वोट डाला है- केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण
कर्नाटक के मंत्री के सुधाकर ने मतदान किया
कर्नाटक के मंत्री और भाजपा नेता के सुधाकर ने चिक्कबल्लापुर के एक मतदान केंद्र पर मतदान किया.
हमें साम्प्रदायिक राजनीति के खिलाफ वोट करना है- प्रकाश राज
बेंगलुरु में मतदान करने के बाद अभिनेता प्रकाश राज ने कहा कि हमें साम्प्रदायिक राजनीति के खिलाफ वोट करना है. चुनाव वो जगह है, जहां आपके पास फैसला करने का अधिकार होता है. हमें कर्नाटक को सुंदर बनाना है, सौहार्द बनाकर रखना है.
कर्नाटक के मंत्री और भाजपा नेता सीएन अश्वथ नारायण ने मतदान किया
बेंगलुरु: कर्नाटक के मंत्री और भाजपा नेता सीएन अश्वथ नारायण ने दीक्षा प्री स्कूल के मतदान केंद्र पर वोटिंग की. उन्होंने कहा, "लोगों को मुख्य रूप से शासन, विकास और उस पार्टी को प्राथमिकता देनी चाहिए जो जवाबदेह और पारदर्शी हो. भाजपा लोगों की पार्टी है. हमें एक ऐसी पार्टी की जरूरत है जो दुनिया भर के लोगों का प्रतिनिधित्व करने के लिए मजबूत हो."
13 मई को आएगा कर्नाटक चुनाव का परिणाम
राज्य में हो रहे इस विधानसभा चुनाव को लेकर आठ मई को प्रचार का दौर थमा था. बीजेपी की तरफ से जहां पीएम मोदी , गृहमंत्री अमित शाह, पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत कई बड़े नेता चुनाव प्रचार में शामिल हुए वहीं कांग्रेस की तरफ से पार्टी की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी भी चुनाव प्रचार में जोर-शोर से उतरे. कांग्रेस के लिए प्रियंका गांधी ने कई जगह रोड शो और रैलियां की हैं. कर्नाटक चुनाव का परिणाम 13 मई को आएगा, ऐसे में इस बात का फैसला उसी दिन होगा कि आखिर इस बार राज्य की जनता ने किस पार्टी पर अपना भरोसा जताया है.
नई दिल्ली: मणिपुर (Manipur) में हिंसा की टपेट में आकर अब तक 54 लोगों की जान जा चुकी है. पीटीआई ने बताया कि 54 मृतकों में 16 शव चुराचंदपुर जिला अस्पताल (Hospital) के मुर्दाघर में रखे गए हैं, जबकि 15 शव इम्फाल ईस्ट के जवाहरलाल नेहरू आयुर्विज्ञान संस्थान में हैं. इसके अलावा इंफाल पश्चिम के लाम्फेल में क्षेत्रीय चिकित्सा विज्ञान संस्थान ने 23 लोगों के मरने की पुष्टि की है. हालात पर काबू पान के लिए सेना और असम राइफल्स के करीब 10,000 सैनिकों को राज्य में तैनात किया गया है.
पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से लिखा कि दो समुदायों के बीच हुई हिंसक झड़प में कई लोग मारे गए हैं. वहीं 100 से अधिक लोगों के जख्मी होने की खबर है. हालांकि पुलिस इसकी पुष्टि करने को तैयार नहीं थी. बताया गया कि ये शव इंफाल पूर्व और पश्चिम, चुराचांदपुर और बिशेनपुर जैसे जिलों से लाए गए थे. वहीं गोली लगने से घायल कई लोगों का इलाज रिम्स और जवाहरलाल नेहरू आयुर्विज्ञान संस्थान में भी चल रहा है. मणिपुर में हिंसा में नियं6ण पाने के लिए सेना की अधिक टुकड़ियों, रैपिड एक्शन फोर्स और केंद्रीय पुलिस बलों को भेजा गया है.
अधिकारियों ने कहा कि मणिपुर नरसंहार में मरने वालों की संख्या बढ़कर 54 हो गई है. हालांकि अनौपचारिक सूत्रों ने इस आंकड़े को कई अंकों में रखा है. इंफाल घाटी में शनिवार को दुकानें और बाजार फिर से खुलने और सड़कों पर कारों के चलने से जनजीवन सामान्य हो गया है. सेना की अधिक टुकड़ियों, रैपिड एक्शन फोर्स, और केंद्रीय पुलिस बलों की उड़ान से मजबूत हुई सुरक्षा उपस्थिति सभी प्रमुख क्षेत्रों और सड़कों पर स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही थी.
नई दिल्ली: कर्नाटक में विधानसभा चुनाव (Karnataka Assembly Elections 2023) को लेकर सभी राजनीतिक दलों की नजरें राज्य में सर्वाधिक संख्या में मौजूद लिंगायत और वोक्कालिगा समुदाय पर टिकी हुई हैं. राज्य में दोनों ही समुदायों की आबादी 34 फीसदी के करीब है, जो आधी से अधिक सीटों पर असर डालती है. कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2023 को लेकर NDTV ने लोकनीति-सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (CSDS) के साथ मिलकर सर्वे किया है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि चुनाव में कौन सा समुदाय किस पार्टी के साथ है.
NDTV-CSDS सर्वे का यह दूसरा भाग है. पहले भाग के नतीजे 1 मई 2023 को प्रकाशित किए गए थे. NDTV-CSDS ने 20 से 28 अप्रैल के बीच कर्नाटक चुनाव को लेकर सर्वे किया था. वोटिंग 10 मई को है और इसके नतीजे 13 मई को आएंगे. पढ़ें सर्वे के चौंकाने वाले नतीजे:-
67 फीसदी लिंगायत बीजेपी को देंगे वोट
सामाजिक समीकरणों की बात करें, तो कर्नाटक में लिंगायत करीब 18 फीसदी, वोक्कालिगा 16 फीसदी, दलित लगभग 23 फीसदी, आदिवासी समाज करीब 7 फीसदी और मुस्लिम 12 फीसदी है. इसके अलावा कुर्वा करीब 4 फीसदी है. कर्नाटक की सियासत इन्हीं समीकरणों पर चलती है. NDTV-CSDS सर्वे के मुताबिक, लिंगायत समुदाय इस बार भी बीजेपी पर भरोसा जता रहा है. सर्वे में शामिल लिंगायत समुदाय के 67 फीसदी लोगों ने बीजेपी के लिए वोट करने की इच्छा जाहिर की. जबकि वोक्कालिगा समुदाय कांग्रेस और जेडीएस के बीच बंटा हुआ है. सर्वे में शामिल कुल 34 फीसदी लोगों ने कांग्रेस के लिए वोट करने की इच्छा जताई, जबकि 36 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उनका वोट जेडीएस को जाएगा. वहीं, सर्वे में शामिल कुल 59 फीसदी मुस्लिम लोगों ने कांग्रेस के लिए वोट करने की बात कही है.
सीएम पद के लिए पहली पसंद कौन?
सर्वे में लोगों से जब पूछा गया कि सीएम पद के लिए पहली पसंद कौन हैं? इसके जवाब में 40 फीसदी लोगों ने सिद्धारमैया को सीएम कैंडिडेट के तौर पर सबसे लोकप्रिय बताया. वहीं, मौजूदा सीएम बसवराज बोम्मई को 22 फीसदी लोगों, जेडीएस के एचडी कुमारस्वामी को 15 फीसदी लोगों, डीके शिवकुमार को 4 फीसदी, बीएस येदियुरप्पा को 5 फीसदी और अन्य को 12 फीसदी लोगों ने अपनी पसंद बताया. जबकि 2 फीसदी लोगों ने अपनी राय नहीं दी. ऐसे में बोम्मई की चिंता बढ़ सकती है. वहीं, उम्रदराज वोटर्स के बीच सिद्धारमैया पहली पसंद हैं, जबकि बोम्मई को युवा वोटर्स अपनी पसंद बताते हैं.
कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता सिद्धारमैया वरुणा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. जबकि बसवराज बोम्मई शिगगांव निर्वाचन क्षेत्र से चुनावी मैदान में हैं.
उम्मीदवार से ज्यादा पार्टी पर फोकस
सर्वे में लोगों से पार्टी या उम्मीदवार की प्राथमिकता को लेकर भी सवाल किए गए. इनमें से 56 फीसदी लोगों ने माना कि वो पार्टी को देखकर वोट करते हैं, जबकि 38 फीसदी लोगों ने उम्मीदवार को देखकर वोट करने की बात कही. जबकि 4 फीसदी लोग सीएम कैंडिडेट के नाम पर वोट करने की बात कही और 2 फीसदी लोगों ने कोई राय नहीं दी.
वहीं सर्वे में शामिल 66 फीसदी कांग्रेस वोटर्स ने पार्टी को सबसे महत्वपूर्ण बताया, जबकि 30 फीसदी कांग्रेस वोटर्स ने उम्मीदवार को पार्टी से ऊपर वरीयता दी. इसी तरह 49 फीसदी बीजेपी वोटर्स ने पार्टी को महत्वपूर्ण बताया, जबकि 47 फीसदी बीजेपी वोटर्स ने उम्मीदवार को वरीयता दी. जेडीएस के 54 फीसदी वोटर्स ने पार्टी को प्राथमिकता दी और 36 फीसदी वोटर्स ने उम्मीदवार को प्राथमिकता दी.
सबसे भ्रष्ट पार्टी कौनसी?
सर्वे में लोगों से भ्रष्टाचार, परिवारवाद और विकास समेत कई मुद्दों को लेकर भी सवाल किए गए. सर्वे में शामिल 59 फीसदी लोगों ने बीजेपी को सबसे भ्रष्ट पार्टी बताया है, जबकि कांग्रेस को 35 फीसदी लोगों ने भ्रष्ट बताया, वहीं जेडी(एस) को 3 फीसदी लोगों ने इस कैटेगरी में रखा है. परिवारवाद और भाई-भतीजावाद को बढ़ावा देने वाली पार्टी की बात करें तो भाजपा के लिए इसका आंकड़ा भी 59 फीसदी है. वहीं, कांग्रेस का यह आंकड़ा 30 और जेडीएस के लिए 8 फीसदी है. बंटवारे की सियासत के सवाल पर 55 फीसदी लोगों का मानना है कि भाजपा इस तरह की ज्यादा राजनीति करती है. वहीं, 30 फीसदी लोगों ने कांग्रेस और 12 फीसदी लोगों ने जेडीएस को इस कैटेगरी में रखा है.
कर्नाटक के विकास के लिए 37 फीसदी लोगों ने कांग्रेस को अच्छा बताया है, जबकि भाजपा 37 फीसदी आंकड़ों के साथ दूसरे नंबर पर है. वहीं, जेडीएस के लिए यह आंकड़ा 14 फीसदी है. सांप्रदायिक सद्भाव को बनाए रखने के मामले में भी कांग्रेस 49 फीसदी के साथ पहले नंबर पर है, वहीं, 34 फीसदी लोग इस कैटेगरी में बीजेपी को अपनी पसंद बताते हैं.
महाराष्ट्र के साथ सीमा विवाद सुलझाने के मुद्दे पर भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियों पर लोगों ने बराबर भरोसा जताया है. दोनों पार्टियों को इस कैटेगरी में 40%-40% लोगों ने रखा है. जेडीएस के लिए यह आंकड़ा 14 फीसदी है.
मौजूदा कर्नाटक सरकार से कौन सा वर्ग नाखुश?
सर्वे में अलग-अलग तबकों से मौजूदा सरकार के दोबारा सत्ता में आने को लेकर भी सवाल किए गए. इनमें से गरीब तबके के 67 फीसदी लोगों ने सत्ताधारी बीजेपी को नकार दिया है. वहीं, निचले तबके के 58 फीसदी लोग नहीं चाहते कि बीजेपी सरकार दोबारा चुनकर आए. सर्वे में शामिल मिडिल क्लास के 52 फीसदी लोगों का भी मानना है कि सत्ता बदलनी चाहिए. जबकि 49 फीसदी अमीर लोगों की राय है कि बीजेपी सरकार री-इलेक्ट नहीं होनी चाहिए. ग्रामीण इलाकों के 61 फीसदी लोग मौजूदा सरकार से नाखुश हैं. वहीं, शहरी इलाकों के 50 प्रतिशत लोगों ने भी सत्ताधारी पार्टी बीजेपी से नाखुशी जाहिर की है.
कैसे हुआ सर्वे?
सर्वे के लिए कर्नाटक के 21 विधानसभा क्षेत्रों के 82 मतदान केंद्रों में कुल 2143 लोगों से बात की गई. दो मतदान केंद्रों में फील्डवर्क पूरा नहीं हो सका. सर्वे के फील्ड वर्क का को-ऑर्डिनेशन वीना देवी ने किया और कर्नाटक में नागेश के एल ने इसका मुआयना किया. विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों को 'प्रोबैबलिटी प्रपोर्शनल टू साइज (Probability Proportional to Size)' सैंपल का इस्तेमाल करके रैंडमली तरीके से चुना गया है. इसमें एक यूनिट के चयन की संभावना उसके आकार के समानुपाती होती है. हर निर्वाचन क्षेत्र से 4 मतदान केंद्रों को सिलेक्ट किया गया था. हर मतदान केंद्र से 40 मतदाताओं को रैंडमली सिलेक्ट किया गया था.
खास बातें
नई दिल्ली: साल 2002 में गुजरात दंगे के दौरान नरोदा गाव में हुए नरसंहार मामले में अदालत ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया है. अहमदाबाद की विशेष अदालत में इस मामले पर सुनवाई चल रही थी. गौरतलब है कि इस मामले में बाबू बजरंगी और माया कोडनानी भी आरोपी थे. माया कोडनानी गुजरात सरकार में मंत्री रह चुकी हैं. बताते चलें कि इस घटना में 11 लोगों की मौत हो गई थी साथ ही कई अन्य घायल हो गए थे. गृह मंत्री अमित शाह 2017 में सुश्री कोडनानी के बचाव पक्ष के गवाह के रूप में पेश हुए थे. बरी किए गए लोगों के वकील ने आज अदालत के बाहर संवाददाताओं से कहा कि सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया है. हम फैसले की प्रति का इंतजार कर रहे हैं.
बताते चलें कि माया कोडनानी को नरोदा पाटिया दंगों के मामले में भी दोषी ठहराया गया था जिसमें 97 लोगों की हत्या कर दी गई थी और उन्हें 28 साल की सजा सुनाई गई थी. बाद में उन्हें गुजरात उच्च न्यायालय से राहत मिल गई थी.
2008 में SIT को सौंपी गई थी केस
कौन हैं माया कोडनानी?
माया कोडनानी का पूरा नाम माया सुरेंद्रकुमार कोडनानी है. वह पेशे से गाइनोकोलोजिस्ट हैं. उन्होंने बरोदा मेडिकल कॉलेज में लंबे समय तक अपनी सेवाएं भी दीं. राजनीति में प्रवेश के साथ ही उन्होंने पहली बार 1995 में निकाय चुनाव में लड़ा. इसके बाद वह गुजरात के 12वें विधानसभा चुनाव में नरोडा सीट से विधायक के तौर पर चुनी गईं. बाद में वह गुजरात सरकार में वुमेन एंड चाइल्ड डेवलेप्मेंट मंत्री भी रहीं. वर्ष 2002 में गुजरात दंगों में इनकी भूमिका के लिए निचली अदालत ने वर्ष 2012 में दोषी करार दिया था. इस मामले में बाद में उन्हें हाईकोर्ट से राहत मिल गई.
इस मामले में माया कोडनानी ने अपने बचाव में कहा था कि सुबह के वक्त वो गुजरात विधानसभा में थीं. वहीं, दोपहर में वे गोधरा ट्रेन हत्याकांड में मारे गए कार सेवकों के शवों को देखने के लिए सिविल अस्पताल पहुंची थीं. जबकि कुछ चश्मदीद ने कोर्ट में गवाही दी है कि कोडनानी दंगों के वक्त नरोदा में मौजूद थीं और उन्हीं ने भीड़ को उकसाया था.
गोधरा कांड के बाद भड़की थी हिंसा
गोधरा में ट्रेन आगजनी की घटना में अयोध्या से लौट रहे 58 यात्रियों की मौत के एक दिन बाद 28 फरवरी 2002 को अहमदाबाद शहर के नरोदा गाम इलाके में दंगों के दौरान कम से कम 11 लोग मारे गए थे. नरोदा ग्राम मामले में आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास), 143 (गैरकानूनी जमावड़ा), 147 (दंगा), 148 (घातक हथियारों से लैस होकर दंगा करना), 120बी (आपराधिक साजिश) के तहत मुकदमा चल रहा है.
हाल ही में कलोल की घटना के 26 आरोपी हुए थे बरी
गुजरात की एक अदालत ने 2002 के सांप्रदायिक दंगों के दौरान कलोल में अलग-अलग घटनाओं में अल्पसंख्यक समुदाय के 12 से अधिक सदस्यों की हत्या (Murder) और सामूहिक बलात्कार (Gang Rape) के आरोपी सभी 26 लोगों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था. कुल 39 अभियुक्तों में से 13 की मामले के लंबित रहने के दौरान मृत्यु हो गई थी और उनके खिलाफ मुकदमा समाप्त कर दिया गया था.