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वाराणसी - यूपी के कैबिनेट मंत्री और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने एक बार फिर बीजेपी पर बड़ा हमला बोला है। राजभर ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि बीजेपी भी जाति देखकर टिकट देती है और मंत्री बनाती है। साथ ही राजभर ने बीजेपी के बड़े नेताओं के रिश्तेदारों को माध्यमिक शिक्षा चयन बोर्ड में शामिल किए जाने का अरोप भी लगाया।
बुधवार को वाराणसी पहुंचे कैबिनेट मंत्री ने सर्किट हाउस में मीडिया से बातचीत में कहा, 'एसपी और बीएसपी में ही नहीं बीजेपी में भी जातिवाद और परिवारवाद का बोलबाला है। बीजेपी के पदाधिकारी टिकट मांगने वालों से पूछते हैं कि आपकी जाति के कितने वोटर हैं। उसी हिसाब से टिकट तय होता है। बूथवार जाति का आंकड़ा जुटाकर भी उसी अनुसार प्रत्याशी का चयन होता है।'
राजभर यहीं नहीं रुके। उन्होंने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा, 'केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह, यूपी के उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और यूपी बीजेपी अध्यक्ष डॉ. महेंद्रनाथ पांडेय के रिश्तेदारों को माध्यमिक शिक्षा बोर्ड में शामिल किया गया है। यह परिवारवाद का खुला प्रमाण है।'
शराबबंदी को लेकर यूपी सरकार को घेरते रहे राजभर ने बताया कि 20 मई से इसे लेकर आंदोलन शुरू होगा। उन्होंने कहा कि शराबबंदी को लेकर इस अभियान में बीजेपी के साथ ही एसपी, बीएसपी और कांग्रेस से भी शामिल होने की अपील की जाएगी।
योगी सरकार पर साधते रहे हैं निशाना
बता दें कि इससे पहले भी राजभर सूबे की सरकार पर निशाना साधते रहे हैं। इससे पहले योगी सरकार पर निशाना साधते हुए राजभर ने कहा था, 'पांच-छह बड़े अधिकारी सीएम योगी को जो समझा रहे हैं, वह उसी को मान रहे। जब कोई जनप्रतिनिधि जनता का दर्द बताता है तो वह सुन नहीं रहे हैं।' वहीं शराबबंदी के मुद्दे को लेकर भी राजभर ने योगी सरकार को घेरा था। राजभर ने कहा था, 'मैं सदन में अब तक 16बार शराब बंदी को लेकर आवाज उठा चुका हूं मगर योगी सरकार नहीं सुनती। सूबे में शराबबंदी की मांग को अनसुना करने के कारण मुख्यमंत्री से वैचारिक लड़ाई का ऐलान करता हूं।'
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बदायूं
उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति/जनजाति आयोग ने पिछले महीने एक दलित की पिटाई के बाद कथित रूप से उसकी मूंछ उखाड़ने और उसे पेशाब पिलाने की घटना के मामले में तत्कालीन थानाध्यक्ष राजेश कश्यप के खिलाफ केस दर्ज कराया है। एसपी सिटी जितेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि 24 अप्रैल को हजरतपुर क्षेत्र के एक गांव में गेहूं की फसल काटने से इनकार करने पर दबंगों ने एक दलित को कथित रूप से मारा पीटा था और उसकी मूंछ उखाड़ने के साथ उसे जूते में पेशाब भी पिलाया था।
उन्होंने बताया कि सोमवार रात एसएसपी ऑफिस में राज्य अनुसूचित जाति/जनजाति आयोग का एक फैक्स पहुंचा, जिसमें हजरतपुर के तत्कालीन थानाध्यक्ष राजेश कश्यप के खिलाफ केस दर्ज करने के निर्देश थे। इस पर कश्यप के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया है। जांच दातागंज के सीओ को सौंपी गई है। कश्यप को पहले ही सस्पेंड किया जा चुका है।
यह है पूरा मामला
यह घटना बदायूं जिले के हजरतपुर इलाके के आजमपुर बिसैरिया गांव की है। गेहूं की फसल काटने पर जब पीड़ित किसान ने मना कर दिया तो उनकी पिटाई की गई।
पीड़ित का कहना था, 'मैं 23 अप्रैल की शाम अपने खेतों में काम कर रहा था, तभी गांव के चार लोग आए। उन्होंने मुझसे गाली-गलौच किया और पूछा कि मैं उनके खेतों में फसलों की कटाई क्यों नहीं कर रहा हूं। मैंने उन्हें बताया कि मेरे खेतों का काम पूरा हो जाने के बाद मैं उनका काम कर दूंगा। उन्होंने मुझे गालियां दीं और मुझे धक्का मारा, मुझे घसीटते हुए गांव में ले गए। पेड़ से मुझे बांध दिया और मेरी मूछों को नोचा।'
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केरल हाइकोर्ट : शादी के बाद भी अगर वर- वधू में से कोई भी विवाह योग्य उम्र से कम हो तो वो लिव इन रिलेशनशिप में साथ रह सकते हैं....
::/introtext::नई दिल्ली 6 मई 2018। सुप्रीम कोर्ट ने शादी रद्द किये जाने केरल हाइकोर्ट के फ़ैसले पर बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि विवाह हो जाने पर उसे रद्द नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने लिव इन रिलेशनशिप को वैध माना है. कोर्ट ने ये भी साफ किया है कि शादी के बाद भी अगर वर- वधू में से कोई भी विवाह योग्य उम्र से कम हो तो वो लिव इन रिलेशनशिप में साथ रह सकते हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अपनी पसंद का जीवन साथी चुनने के अधिकार को अगर युवक विवाह के लिए तय उम्र यानी 21 साल का नहीं हुआ है तो भी वह अपनी पत्नी के साथ ‘लिव इन’ रह सकता है. ये वर- वधू पर निर्भर है कि वो विवाह योग्य अवस्था में आने पर विवाह करें या यूं ही साथ रहें. आज तक में छपी खबर के मुताबिक बता दें कि कोर्ट के फैसलों के अलावा संसद ने भी घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 से महिलाओं के संरक्षण के प्रावधान तय कर दिए हैं. कोर्ट ने इसकी व्याख्या करते हुए कहा कि अदालत को मां की किसी भी तरह की भावना या पिता के अहंकार से प्रेरित एक सुपर अभिभावक की भूमिका नहीं निभानी चाहिए.
दरअसल, ये मामला केरल का है. अप्रैल 2017 में केरल की युवती तुषारा की उम्र तो 19 साल थी यानी उसकी उम्र विवाह लायक थी पर नंदकुमार 20 ही साल का था. यानी विवाह के लिए तय उम्र से एक साल कम. शादी हो गई तो लड़की के पिता ने बेटी के अपहरण का मुकदमा दूल्हे पर कर दिया.
केरल उच्च न्यायालय ने पुलिस को हैबियस कॉर्पस के तहत लड़की को अदालत में पेश करने का निर्देश दिया. पेशी के बाद कोर्ट ने विवाह रद्द कर दिया. लड़की को उसके पिता के पास भेज दिया. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाईकोर्ट का फैसला रद्द कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि दोनों हिंदू हैं और इस तरह की शादी हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 के तहत एक शून्य विवाह नहीं है. धारा 12 के प्रावधानों के अनुसार, इस तरह के मामले में यह पार्टियों के विकल्प पर केवल एक अयोग्य शादी है.
02 अप्रैल 2018. मध्यप्रदेश के धार जिला अस्पताल में आरक्षकों की भर्ती में अभ्यार्थियों के सीने पर एससी-एसटी लिखने के बाद मचा बवाल अभी थमा नही हैं कि इस भिंड के जिला चिकित्सालय में आरक्षक भर्ती प्रक्रिया में मेडिकल टेस्ट के दौरान गंभीर लापरवाही सामने आई है. यहां मेडिकल चेकअप टीम ने एक ही कमरे में युवक और युवतियों का मेडिकल चेकअप किया है.
बता दें कि भिंड जिला अस्पताल में एक ही कमरे में युवक और युवतियों का मेडिकल चेकअप किया गया है. चेकअप के दौरान युवतियों के सामने युवकों को अर्धनग्न करवाया गया. इतना ही नहीं युवतियों के मेडिकल टेस्ट के दौरान वहां कोई भी महिला डॉक्टर और नर्स मौजूद नहीं थी.
पुरुष चिकित्सकों ने किया महिला अभ्यर्थियों का मेडिकल चेकअप
प्राप्त जानकारी के अनुसार, भिंड पुलिस लाइन में 217 महिला और पुरुष आरक्षकों की भर्ती हुई है. अभ्यर्थियों को समूह में बांटकर अलग-अलग चरणों में जिला चिकित्सालय में मेडिकल टेस्ट कराया जा रहा है. इनमें से ही 39 युवक-युवतियों के मेडिकल टेस्ट करवाए गए. इन सभी को एक ही कमरे में बुलाया गया और अर्धनग्न अवस्था में युवकों के सामने युवतियों का मेडिकल टेस्ट भी किया गया. आपको बता दें कि युवतियों का मेडिकल चेकअप बिना किसी महिला चिकित्सक की मौजूदगी में किया गया.
गौरतवब है कि धार जिले में पिछले दिनों कॉन्सेटबल के पद के लिए भर्ती के लिए आए अभ्यार्थियों की पहचान के लिए जिला अस्पताल ने अभ्यार्थियों के सीने पर एससी-एसटी लिख दिया था. मामले के तूल पकड़ने पर मध्य प्रदेश के गृह मंत्री भूपेंद्र सिंह ने इस मामले की जांच के आदेश दिए थे. इस मामले में जांच के बाद दोषी पाए गए जिला पुलिस बल के निरीक्षक नानूराम वर्मा व SAF दल के उप निरीक्षक नानूराम मोवेल को तत्काल निलंबित कर दिया गया था. साथ ही दोषी चिकित्सकों पर कार्रवाई के लिए कलेक्टर को निर्देशित किया गया था.
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