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नई दिल्ली: भारतीय समाज में सदियों से बेटों के मुकाबले बेटियों की चिंता करते रहने का रिवाज़ है... पिछले कुछ दशकों में इस सोच में कुछ हद तक बदलाव ज़रूर आया है, और अब बेटियां भी हर फील्ड में मां-बाप और खानदान का नाम रोशन कर रही हैं, लेकिन फिर भी ज़्यादातर परिवारों में बेटियों की पढ़ाई-लिखाई, पालन-पोषण से लेकर उनकी शादी तक की चिंता में माता-पिता घुलते नज़र आते हैं... ऐसे ही अभिभावकों के लिए केंद्र सरकार की एक योजना कई साल से चल रही है, जिसकी सहायता से कुछ साल तक लगातार बचत करने पर 21 साल की होते ही आप अपनी बेटी को लगभग 70 लाख रुपये की टैक्स फ्री व्हाइट मनी दे सकते हैं, जो उसके बेहद काम आ सकती है..
इस केंद्रीय योजना का नाम सुकन्या समृद्धि योजना (Sukanya Samriddhi Account - SSA) है, जिसके अंतर्गत प्रत्येक भारतीय अपनी बिटिया के जन्म लेते ही पोस्ट ऑफिस या बैंक में SSA खाता खुलवा सकता है, जिसमें लगातार 15 साल तक निवेश करने के बाद, 21 साल पूरे होने पर 69 लाख 80 हज़ार रुपये से ज़्यादा की रकम बिटिया के खाते में जमा दिखाई देगी.
Sukanya Samriddhi Account, यानी सुकन्या समृद्धि योजना के तहत खाता वही शख्स खुलवा सकता है, जो 10 साल से कम उम्र की बेटी का पिता या अभिभावक हो... इस अकाउंट में भी हर साल लोक भविष्य निधि, यानी पब्लिक प्रॉविडेंट फंड या PPF खाते की ही तरह अधिकतम 1,50,000 रुपये जमा किए जा सकते हैं, लेकिन इस खाते में हर साल जमा कराई जा सकने वाली न्यूनतम राशि 250 रुपये ही है... सुकन्या समृद्धि योजना की सबसे खास बात यह है कि यह आज की तारीख में सबसे ज़्यादा ब्याज कमाने वाली सरकारी योजनाओं में से एक है, जिसके हर खाताधारक को हर वर्ष 8 फीसदी की दर से ब्याज अदा किया जाता है, जबकि PPF में मिलने वाला ब्याज 7.1 फीसदी की दर पर अदा किया जाता है.
सो, इस योजना में यदि बिटिया के पैदा होते ही खाता खुलवा लिया जाए, तो उसमें बिटिया के 15 वर्ष की होने तक आपको हर साल निवेश करना होगा, जो अधिकतम 1,50,000 रुपये हो सकता है... इस खाते में भी अधिकतम ब्याज कमाने का सबसे अच्छा अवसर तभी है, जब आप यह निवेश हर वित्तवर्ष में अप्रैल की 5 तारीख से पहले ही कर दें... इस तरह से आप 15 साल में कुल मिलाकर 22,50,000 रुपये का निवेश करेंगे, और 21 वर्ष की होने पर जब आपकी बिटिया को मैच्योरिटी की रकम हासिल होगी, वह 69,80,093 रुपये होगी, बशर्ते मौजूदा ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं हो...
इस कुल राशि में ब्याज का हिस्सा 47,30,093 रुपये होगा, और सबसे अहम पहलू यह है कि बेटी को इस समूची रकम (69,80,093 रुपये) पर किसी भी तरह का कोई टैक्स नहीं देना होगा... वैसे, ध्यान रहे, ब्याज दर को सरकार हर तिमाही में संशोधित करती है, सो, ब्याज की दर में बदलाव होने पर खाता परिपक्व होने, यानी मैच्योरिटी पर बेटी को मिलने वाली रकम में कुछ घट-बढ़ हो सकती है...
लसी का पौधा भारतीय घरों का अभिन्न अंग है. पहले हर घर के आंगन में पाया जाने वाला तुलसी (Tulsi) का चौरा समय के साथ भले ही बालकनी (Balcony) में शिफ्ट हो गया है पर उसके प्रति श्रद्धा में वृद्धि ही हुई है. भारतीय परंपरा में यह एक आम पौधा नहीं बल्कि पूजनीय है. इसमें कई औषधीय गुण भी हैं. इसे धन की देवी लक्ष्मी का विशेष आशीर्वाद प्राप्त है. विधि विधान से तुलसी की पूजा से घर में हर तरह की सुख और समृद्धि (Happinees) आती है. अनेक गुणों से भरपूर तुलसी के पत्ते इतने चमत्कारिक हैं कि इनमें हर मनोकामना पूर्ण करने की क्षमता होती है. आइए जानते हैं तुलसी के पत्तों से कैसे मनोकामनाएं हो सकती हैं पूरी.
11 पत्तों से मनोकामना होगी पूरी
तुलसी के पत्तों में चमत्कारिक गुण होते हैं. इनमें मनोकामना पूरी करने की क्षमता होती है. ज्योतिषों के अनुसार मनोकामना पूरी करने के लिए तुलसी के 11 पत्तों की जरूरत होती है. 11 पत्तों को तोड़कर अच्छी तरह से धोकर धूप में सुखा लेना चाहिए. इसके बाद भकरा सिंदूर( नारंगी रंग का सिंदूर जो हनुमान जी को लगाया जाता )में तेल मिलाकर उससे तुलसी के पत्तों पर राम नाम लिखना चाहिए. इन पत्तों को माला में गूंथ लेना चाहिए. इस माला को हनुमान जी को अर्पित करते हुए अपनी मनोकामना का उच्चारण करने से मनोकामना पूर्ण हो जाती है.
महादेवी वर्मा हिन्दी साहित्य में छायावादी युग की महान कवयित्री हैं। महादेवी वर्मा को हिन्दी साहित्य के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभ जयशंकर प्रसाद, सुमित्रानन्दन पन्त और सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला के साथ गिनती की जाती है। कवयित्री महादेवी वर्मा का जन्म 26 मार्च, 1907 को उत्तर प्रदेश के फर्रूखाबाद में हुआ था। महादेवी वर्मा की शादी सिर्फ 14 साल की उम्र में ही कर दी गई थी। महादेवी वर्मा की शादी बरेली के डॉक्टर स्वरूपनारायण वर्मा से हुई थी। महादेवी वर्मा कुछ वक्त के बाद ससुराल से पढ़ाई के लिए इलाहाबाद आ गईं।
दो सौ सालों के बाद परिवार में लड़की का जन्म
महादेवी वर्मा के परिवार में पीढ़ियो सें लड़की पैदा नहीं हुई थी। महादेवी वर्मा अपने घर मेंदो सौ सालों से सालों में पैदा होने वाली पहली लड़की थीं। महादेवी वर्मा ने पंचतंत्र और संस्कृत का अध्ययन किया। महादेवी वर्मा के बारें में कहा जाता है कि वो एक भिक्षु बनना चाहती थी लेकिन महात्मा गांधी से मिलने के बाद उनका मन समाज-सेवा की तरफ चला गया। महादेवी वर्मा को एक काव्य प्रतियोगिता में 'चांदी का कटोरा' मिला था जिसे उन्होंने गांधीजी को उपहार में दिया था। महादेवी वर्मा ने सत्याग्रह आंदोलन में भाग लिया।
महादेवी वर्मा की लेखनी में गद्य, काव्य में नए आयाम बनाए। उनकी लेखनी आम लोगों से जुड़ी हुई थी। महादेवी के काव्य संग्रहों में 'रश्मि', 'नीरजा', 'सांध्य गीत', 'यामा', 'नीहार', 'दीपशिखा', और 'सप्तपर्णा' का आज भी कोई तोड़ नहीं है, ये जितनी पहले प्रासागिंक थीं, उतनी आज भी है। इनके गद्य में 'स्मृति की रेखाएं', 'अतीत के चलचित्र', 'पथ के साथी' और 'मेरा परिवार' हिदी साहित्य जगत के चमचमाते सितारे हैं। महादेवी वर्मा आधुनिक युग की मीरा कहीं जाती हैं। भक्ति काल में जो स्थान मीरा को मिला था वहीं स्थान आधुनिक युग में महादेवी वर्मा का है। मीरा का प्रियतम सगुण, साकार गिरधर गोपाल हैं। महादेवी का प्रसिद्ध गीत, 'मैं नीर भरी दुःख की बदली' इस बात के साफ कर देता है कि बहुत बड़ी कृष्ण भक्त थी।
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महादेवी वर्मा के आठ कविता संग्रह हैं-
कहानी संग्रह
गिल्लू , नीलकंठ और अन्य कहानियां चंडीगर
मैं नीर भरी
मैं नीर भरी दु:ख की बदली!
स्पंदन में चिर निस्पंद बसा; क्रंदन में आहत विश्व हँसा,
नयनों में दीपक-से जलते पलकों में निर्झरिणी मचली!
बीन भी हूँ मैं तुम्हारी रागिनी भी हूं!
नींद थी मेरी अचल निस्पंद कण-कण में,
प्रथम जागृति थी जगत् के प्रथम स्पंदन में;
प्रलय में मेरा पता पदचिह्न जीवन में,
शाप हूँ जो बन गया वरदान बंधन में;
कूल भी हूँ कूलहीन प्रवाहिनी भी हूँ!
चुभते ही तेरा अरुण बान!
बहते कन कन से फूट फूट,
मधु के निर्झर से सजल गान।
इन कनक रश्मियों में अथाह,
लेता हिलोर तम-सिन्धु जाग;
नई दिल्ली: Disadvantages of Bottled Water: ज्यादातर लोग पानी की बोतल को रीयूज यानी पुनः इस्तेमाल करते हैं. पानी की बोतल कभी पानी भरने या जूस भरने के काम में आती है. वहीं एक नए शोध में पानी की बोतल को लेकर चौकाने वाले खुलासे किए गए हैं, जिसके बाद शायद ही आप पानी की बोतल का पुन-इस्तेमाल (Reusable Water Bottle) कर सकेंगे. नए शोध में दावा किया गया है कि एक रीयूजेबल पानी की बोतल टॉयलेट सीट (Toilet Seat) से कहीं ज्यादा गंदी होती है. नए अध्ययन के मुताबिक रीयूजेबल बोतलों में टॉयलेट सीट की तुलना में लगभग 40,000 गुना अधिक बैक्टीरिया हो सकते हैं.
अमेरिका स्थित waterfilterguru.com के शोधकर्ताओं की एक टीम ने टोंटी, ढक्कन सहित पानी की बोतलों के विभिन्न हिस्सों की जब जांच की तो पाया कि इनपर अधिक मात्रा में बैक्टीरिया मौजूद हैं. HuffPost की रिपोर्ट के मुताबिक इस पर ग्राम निगेटिव रॉड्स और बैसिलस पाए गए.
ऑस्ट्रेलियाई कैथोलिक विश्वविद्यालय (Australian Catholic University) क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट और नैदानिक मनोवैज्ञानिक और होर्डिंग डिसऑडर एक्सपर्ट, एसोसिएट प्रोफेसर केओंग याप ने कहा कि हमारे आसपास मौजूद रोज इस्तेमाल किए जाने वाले सामान भी हमें धोखा देते हैं. हम किसी बच्चे को भला पानी की बोतल का इस्तेमाल करने से कैसे रोक सकते हैं.
अपने अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने समझाया कि ग्राम-नकारात्मक जीवाणु संक्रमण का कारण बन सकते हैं जो एंटीबायोटिक दवाओं के लिए प्रतिरोधी हैं. वहीं कुछ प्रकार के बेसिलस के परिणामस्वरूप जठरांत्र संबंधी समस्याएं हो सकती हैं. शोधकर्ताओं ने बोतलों की सफाई की तुलना घरेलू वस्तुओं से की और कहा कि उनमें रसोई के सिंक से दोगुने कीटाणु होते हैं. रीयूजेबल पानी की बोतल में कंप्यूटर माउस की मात्रा से चार गुना और एक पालतू जानवर के पीने के कटोरे से 14 गुना अधिक बैक्टीरिया हो सकता है.
इंपीरियल कॉलेज लंदन (Imperial College London) के मॉलिक्यूलर माइक्रोबायोलॉजिस्ट डॉ एंड्रयू एडवर्ड्स ने न्यूयॉर्क पोस्ट के हवाले से कहा, "मानव मुंह में बड़ी संख्या में विभिन्न बैक्टीरिया होते हैं. तो यह आश्चर्य की बात नहीं है कि पीने के बर्तन में भी माइक्रोब्स होंगे.
यूनिवर्सिटी ऑफ़ रीडिंग के एक माइक्रोबायोलॉजिस्ट डॉ. साइमन क्लार्क ने कहा कि यह खतरनाक नहीं है. मैंने कभी किसी को पानी की बोतल से बीमार होने के बारे में नहीं सुना है. इसी तरह, नल स्पष्ट रूप से कोई समस्या नहीं है. आपने पिछली बार किसी नल से एक गिलास पानी डालने से किसी के बीमार होने के बारे में कब सुना था? हालांकि पानी की बोतलों के गंदी होने की संभावना है, क्योंकि बैक्टीरिया पहले से ही लोगों के मुंह में होते हैं.
अध्ययन के मुताबिक स्क्वीज़-टॉप बोतलें परीक्षण की गई तीन शैलियों में से सबसे साफ हैं, जिसमें स्क्रू-टॉप या स्ट्रॉ-फिटेड ढक्कन के साथ बैक्टीरिया की मात्रा का दसवां हिस्सा है. शोधकर्ताओं ने रीयूजेबल बोतल को दिन में कम से कम एक बार गर्म साबुन के पानी से धोने और सप्ताह में कम से कम एक बार साफ करने की सलाह दी.