Owner/Director : Anita Khare
Contact No. : 9009991052
Sampadak : Shashank Khare
Contact No. : 7987354738
Raipur C.G. 492007
City Office : In Front of Raj Talkies, Block B1, 2nd Floor, Bombey Market GE Road, Raipur C.G. 492001
आधे भारत में भारी बारिश के कारण बाढ़ के हालात बने हुए हैं। उत्तर भारत में बारिश के वजह से भारी नुकसान की स्थिति बनी हुई है। वहीं दिल्ली में भी यमुना का जलस्तर खतरे के निशान तक पहुंच गया है। इसी बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर बताया है कि यमुना में बढ़ते जल स्तर की वजह से 3 वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट बंद करने पड़ रहे हैं। इस वजह से दिल्ली के कुछ इलाकों में पानी की परेशानी होगी।
बारिश में पानी कि किल्लत को देखते हुए जल शुद्धिकरण और संग्रहीत करने के तरीके ढूंढने चाहिए। इसलिए आपकी मदद के लिए हम यहां आपको पानी को शुद्ध करने के कुछ देसी और मॉर्डन तरीकों के बारे में बता रहे हैं।
पानी को उबालकर कीटाणुरहित करने का तरीका सबसे आम है। पहले के जमाने के लोग पानी को उबालकर पीने के काम में लेते थे। पीने के पानी को किसी बड़े बर्तन में उबलने तक गर्म करें, लगभग 5 से 10 मिनट तक इसे ऐसे ही उबलने दें। उसके बाद पानी को ठंडा करके छानकर पी लें।
फिटकरी से पीने के पानी को साफ करके पीना सबसे सरल और सस्ते उपायों में से एक है। सबसे पहले फिटकरी को हाथ से धो लें उसके बाद फिटकरी को पानी में घुमाएं. जैसे हो पानी हल्का सफेद दिखना शुरू हो, फिटकरी घुमाना तुरंत बंद कर दें। इससे पानी में के गंदगी तली में बैठ जाएगी और पानी साफ हो जाएगा।
क्लोरीन से
पानी को साफ करने के लिए क्लोरीन का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। पानी साफ करने में लिए बाजार में क्लोरीन की गोलियां आती हैं। उन्हें पानी में डालकर साफ किया जा सकता है। ध्यान रखें कि गोलियां डालने के बाद उस पानी को आधा घंटे तक इस्तेमाल करने से बचना है।
धूप से करें साफ -
पानी को कांच की बोतल में भरकर 8 घंटे के लिए धूप में रखने से भी यह साफ होता है।
टमाटर और सेब के छिलकों को करीब दो घंटे तक एल्कोहल में डुबाकर रखने के बाद धूप में सुखा दें। सूखने के बाद इन छिलकों को पानी में डाल दें। कुछ घंटे बाद पानी की सारी गंदगी और अशुद्धियां दूर हो जाएंगी।
हैलोजन टैबलेट
इमरजेंसी सिचुएशन में पानी साफ करने के लिए हैलोजन टेबलेट उपयोगी होती है। पानी में इसे कितनी मात्रा में डाला जाए, यह पानी की मात्रा और हैलोजन टैबलेट के ब्रांड के ऊपर निर्भर करता है। यह गोलियां पानी में पूरी तरह घुलनशील होती है।
आरओ सिस्टम :
पिछले कुछ सालों से पानी को साफ करने के लिए घरों में आरओ सिस्टम लगाने का ट्रेंड बढ़ गया है। इस तकनीक का पूरा नाम है- रिवर्स आसमोसिस प्रोसेस यानी आरओ। इस तकनीक में पानी को बेहद तेज दबाव के साथ साफ किया जाता है। आरओ सिस्टम द्वारा साफ पानी में बैक्टीरिया होने की आशंका बहुत कम रहती है।
पानी साफ करने के लिए यूवी रेडिएशन, आरओ के बाद सबसे ज्यादा यूज में लिया जाने वाला मॉर्डन तरीका है। यूवी रेडिएशन सिस्टम से पानी में मौजूद वायरस और बैक्टीरिया के डीएनए को खत्म कर, पानी को पीने योग्य बनाता है। इस प्रक्रिया में पानी में न कुछ मिलाया जाता है और न ही इसमें मौजूद मिनरल्स को खत्म किया जाता है।
अगर हौसले बुलंद हो तो चेहरे पर लगी गोली भी आपके कदम नहीं डगमगा सकती। ये पंक्ति मलाला युसुफजई की जिंदगी को प्रतिबिंबित करती है। वर्ष 2012 की अक्टूबर में 15 वर्षीय मलाला का नाम दुनिया के कोने कोने तक पंहुचा जब वे तालिबानी गोलियों का शिकार बनीं। अपने हार ना मानने वाले जज़्बे और करोड़ लोगों की दुआओं से वो स्वस्थ हुईं और लड़कियों की शिक्षा और महिला अधिकारों को लेकर अपनी लड़ाई को जारी रखा।
मलाला का जन्म 12 जुलाई 1997 को स्वात घाटी के सबसे बड़े शहर मिंगोरा में जियाउद्दीन यूसुफजई के घर हुआ था, जो अब पाकिस्तान का खैबर पख्तूनख्वा प्रांत है। उनके पिता, जो हमेशा शिक्षा के पक्षधर थे, शहर में एक शिक्षण संस्थान चलाते थे और इसलिए, स्कूल मलाला के परिवार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है।
तालिबानी आतंकी अभियान के दौरान, 2008 के अंत तक लगभग 400 स्कूल नष्ट कर दिए गए और वहां आत्मघाती हमले रोजाना की बात बन गए। लेकिन मलाला का मानना था कि शिक्षा का अधिकार सभी के लिए है और इसलिए, वह तालिबान के खिलाफ खड़ी हुईं और स्कूल जाने के लिए दृढ़ संकल्पित रहीं । पाकिस्तानी टेलीविजन पर एक बार उन्होंने कहा था, 'तालिबान ने मेरी शिक्षा का बुनियादी अधिकार छीनने की हिम्मत कैसे की?'
दो साल बाद, 2009 में, 11 वर्षीय मलाला ने ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन (बीबीसी) की उर्दू भाषा साइट पर गुमनाम रूप से 'गुल मकई' नाम से ब्लॉग लिखना शुरू किया। उन्होंने अपने जीवन के दैनिक संघर्षों, स्कूल जाने की इच्छा, स्वात घाटी में तालिबान शासन के तहत घर पर रहने के लिए मजबूर होने के बारे में लिखा और बार-बार आतंकवादी समूह के इरादों पर सवाल उठाया। उनके पहले ब्लॉग का शीर्षक 'मुझे डर लग रहा है' था, जिसमें स्वात घाटी में पूर्ण युद्ध की भयावहता और स्कूल जाने से डरने के बुरे सपने का जिक्र किया गया था।
जब तालिबान के साथ पाकिस्तान का युद्ध तेजी से आगे बढ़ रहा था, 5 मई 2009 को मलाल और उनके परिवार को आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्ति (आईडीपी) घोषित कर दिया गया और उन्हें अपना घर छोड़कर सैकड़ों मील दूर शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा। कुछ हफ़्ते बाद, अपनी वापसी पर मलाला ने मीडिया की मदद ली और स्कूल जाने के अपने अधिकार के लिए अपना सार्वजनिक अभियान जारी रखा।
15 वर्ष की छोटी सी उम्र में मलाला पर चली गोली
9 अक्टूबर 2012 की सुबह, 15 वर्षीय मलाला को तालिबान ने उस समय गोली मार दी थी जब वह स्कूल से घर जाने वाली बस में बैठी थीं और अपने दोस्तों के साथ स्कूल के काम के बारे में बात कर रही थी। बस को तालिबान के दो सदस्यों ने रोका और उनमें से एक ने मलाला से उसका नाम पूछा और उस पर तीन गोलियां चला दीं।
गोली लगने के कारण कोमा में चली गयी थीं मलाला
मलाला के चेहरे के बाएं हिस्से को ठीक करने के लिए कई सर्जरी की आवश्यकता पड़ी, जो लकवाग्रस्त हो गया था। वह 16 अक्टूबर 2012 को कोमा से उठीं और महीनों के उपचार और थेरेपी के बाद, मार्च 2013 में, वह बर्मिंघम में स्कूल जाने में सक्षम हुईं। उनके चमत्कारिक ढंग से ठीक होने और स्कूल में वापसी ने दुनिया भर में बहुत ध्यान आकर्षित किया और उनके लिए वैश्विक समर्थन की लहर दौड़ गई।
मलाला को किस लिए सम्मानित किया गया? देखें पुरस्कारों और उपलब्धियों की सूची
अपने 16वें जन्मदिन यानी 12 जुलाई 2013 को, मलाला ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र में भाषण दिया और उसी वर्ष उन्होंने अपनी पहली पुस्तक, एक आत्मकथा 'आई एम मलाला: द गर्ल हू स्टूड अप फॉर एजुकेशन एंड वाज़ शॉट बाय द तालिबान' प्रकाशित की।
अक्टूबर 2014 में, 17 साल की उम्र में, मलाला ने नोबेल शांति पुरस्कार जीता। वह यह प्रतिष्ठित पुरस्कार पाने वाली सबसे कम उम्र की व्यक्ति बन गईं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अवॉर्ड स्वीकार करते हुए मलाला ने कहा कि 'यह अवॉर्ड सिर्फ मेरे लिए नहीं है। यह उन भूले-बिसरे बच्चों के लिए है जो शिक्षा चाहते हैं। यह उन डरे हुए बच्चों के लिए है जो शांति चाहते हैं। यह उन बेजुबान बच्चों के लिए है जो बदलाव चाहते हैं।'
इस वर्ष मलाला अपना 26वां जन्मदिन कहां मना रही हैं?
वह अपना 26वां जन्मदिन मनाने की तैयारी कर रही हैं। उन्होंने कई देशों, शरणार्थी शिविरों की अपनी पिछली यात्राओं को ट्विटर पर याद किया और महामारी से उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद इस वर्ष अपनी 'बहनों' के साथ इस अवसर को मनाने की उत्सुकता व्यक्त की।
नई दिल्ली: National Pension Scheme or New Pension system NPS details: बुढ़ापे में नियमित आए सुनिश्चित कैसे हो ताकि नौकरी के बाद का जीवन भी आराम से कट जाए, यह चिंता प्राइवेट नौकरी करने वाले लोगों से लेकर बिजनेस करने वाले सभी को होती है. समाज में बूढ़े लोगों की जिम्मेदारी समाज के साथ-साथ सरकार की होती है. सरकार ने इस चिंता का समाधान करने के लिए कई बार अनेकों प्रयास किए हैं. इस उद्देश्य से भारत सरकार द्वारा सभी नागरिकों के लिए नई पेंशन प्रणाली या कहें नेशनल पेंनशन योजना (एनपीएस) शुरू की गई. इसे पेंशन फंड के नियामक के रूप में पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए Pension Fund Regulatory and Development Authority PFRDA) द्वारा संचालित किया जाता है. एक बार अभिदाता(ओं) यानि योजना का लाभ लेने वाले व्यक्ति की आयु 60 वर्ष पूरी हो जाने के पश्चात्, वृद्धावस्था में पेंशन के रूप में आय सुरक्षित करता है.
बता दें कि पीएफआरडीए (पेंशन फंड नियामक और विकास प्राधिकरण) की पेंशन प्रणाली के तहत एनपीएस (New Pension Scheme NPS) एक स्वैच्छिक योजना है, जो 18-60 वर्ष के आयु वर्ग के सभी नागरिकों के लिए उपलब्ध है. यूपीए सरकार द्वारा इस योजना को 01.05.2009 से लागू किया गया था. एनपीएस (National Pension System) योजना का उद्देश्य लंबी अवधि में बाजार संचालित रिटर्न के साथ वृद्धावस्था में पेंशन प्रदान करना है.
क्या है एनपीएस योजना
एनपीएस योजना को बैंक की नामित शाखाएं यानी प्वाइंट ऑफ प्रेजेंस-सर्विस प्रोवाइडर (पीओपी-एसपी Point of Presence- Service Provider) के माध्यम से लागू किया जाता है. इन स्थानों पर आवेदन पत्र स्वीकार किए जाते हैं और स्थायी सेवानिवृत्ति खाता संख्या (पीआरएएन) बनाने के लिए सब्सक्राइबर को सेंट्रल रिकॉर्ड कीपिंग एजेंसी (सीआरए Central RecordKeeping Agency CRA) के साथ पंजीकृत करवाते हैं. साथ ही भविष्य के सभी लेन-देन के लिए पीआरएएन (प्रान PRAN Permanent Retirement Account Number) का उल्लेख किया जाता है.
एनपीएस के खाते दो प्रकार के
एनपीएस में दो तरह के खाते होते हैं - टियर I और टियर II. टियर- I खाता वह खाता है, जिसमें ग्राहक सेवानिवृत्ति के लिए अपनी बचत को 60 वर्ष की आयु तक गैर-निकासी योग्य खाते में योगदान करते हैं और अपने शेष जीवन के लिए पेंशन प्राप्त कर सकते हैं.
टियर-I के मामले में
खाता खोलते समय न्यूनतम अंशदान - रु.500/-
प्रति अंशदान न्यूनतम राशि - रु. 500/-
वित्तीय वर्ष के अंत में न्यूनतम खाता शेष - रु. 6000/-
एक वर्ष में योगदान की न्यूनतम संख्या - 1
यहां पर ग्राहक 60 वर्ष की आयु प्राप्त करने के बाद योजना से बाहर निकल सकते हैं. उसे संचित पेंशन धन का 40% अनिवार्य रूप से एनुइटी प्लान(Annuity) करना होगा. यहां पर 100% कॉर्पस का एनुइटी करने का विकल्प भी उपलब्ध है.
वहीं, टियर-II खाता एक स्वैच्छिक बचत खाता है. इसमें ग्राहक जब चाहे अपनी बचत निकालने के लिए स्वतंत्र होता है. टियर-II खाता मौजूदा स्थायी सेवानिवृत्ति खाता (पीआरए PRA Permanent Retirement Account) धारकों के लिए उपलब्ध होता है. यहां पर टियर I के अतिरिक्त एवं उसके ऊपर निवेश के माध्यम से बचत की सुविधा मिलती है. यह जान लें कि टियर II खाता खोलने के लिए पूर्व में एक सक्रिय टियर I खाता होना जरूरी है.
टियर II के संबंध में खाता खोलने और वार्षिक रखरखाव के लिए कोई अतिरिक्त सीआरए (Central RecordKeeping Agency) शुल्क (Charge Per Transaction) नहीं लगाया जाएगा. वहीं, सीआरए टियर II में प्रत्येक ट्रांजैक्शन के लिए अलग से चार्ज करेगा, जो कि टीयर I में निर्धारित ट्रांजेक्शन चार्ज स्ट्रक्चर के अनुरूप होगा. बता दें कि टियर II में निकासी की संख्या की कोई सीमा नहीं है. इसके अलावा टियर I और टियर II में अलग-अलग नामांकन और योजना प्रेफेरेंस की सुविधा है. यहां पर टीयर II से टियर I में बचत के एकतरफा हस्तांतरण की भी सुविधा है. उल्लेखनीय है कि टियर II खाता खोलने के लिए बैंक विवरण अनिवार्य रखा गया है. टियर II खाता खोलने के लिए अलग से केवाईसी की आवश्यकता नहीं होगी; केवल पहले से मौजूद टियर I खाते की आवश्यकता है.
टियर II के मामले में,
खाता खोलते समय न्यूनतम अंशदान –रु.1000/-
प्रति अंशदान न्यूनतम राशि - रु. 250/-
वित्त वर्ष के अंत में न्यूनतम खाता शेष-रु. 2000/-
एक वर्ष में योगदान की न्यूनतम संख्या - 1
टियर I और टियर II दोनों के लिए समग्र आवेदन के मामले में, खाता खोलने के समय न्यूनतम योगदान रु. 1500/- होना चाहिए.
योजना का लाभ कैसे मिलता है
प्रक्रिया पूरी होने के बाद योजना का लाभ लेने वाले व्यक्ति को सीआरए द्वारा स्थायी सेवानिवृत्ति खाता संख्या (पीआरएएन) के बारे में सूचित किया जाता है. इसके बाद सीआरए द्वारा प्रान प्रदान करने के बाद, ग्राहक अपने चुने हुए पीओपी-एसपी के माध्यम से अपनी सदस्यता जमा करना शुरू कर सकते हैं. योजना में सीआरए सभी सब्सक्रिप्शन का रिकॉर्ड रखता है.
एक सब्सक्राइबर अपने हिसाब से उपलब्ध तीन विकल्पों में से किसी एक में निवेश की इजाजत देता है.
पहला - उच्च जोखिम उच्च रिटर्न (एसेट क्लास ई): मुख्य रूप से इक्विटी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश.
दूसरा - मध्यम जोखिम मध्यम रिटर्न (एसेट क्लास सी): सरकारी प्रतिभूतियों के अलावा अन्य ऋण प्रतिभूतियों में निवेश.
तीसरा - कम जोखिम कम रिटर्न (एसेट क्लास जी): सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश.
बच्चे अक्सर खाना खाने में आनाकानी करते हैं, यही कारण है कि जब बच्चों के लिए हेल्दी और टेस्टी लंचबॉक्स पैक करने की बात आती है, तो मांए अक्सर असंमजस में पड़ जाती हैं कि ऐसा बच्चे के लंचबॉक्स में क्या दे, जो बच्चा बिना मुंह बनाए खा लें और टिफिन खाली करके ही घर लौटें।
अगर आप स्कूल के लिए बच्चे का टिफिन पैक कर रही हैं तो लंच बॉक्स में इंस्टेंट नूडल्स देने से बचें। ये मैदा निर्मित होने के साथ ही प्रिजर्वेटिव्स मौजूद होते है। इनका न्यूट्रिशियन वैल्यू न के बराबर होता है। इन नूडल्स में केवल खाली कैलोरी होती है और ये आंत के लिए भी हानिकारक होते हैं।
ज्यादा तला हुआ खाना बच्चे की सेहत के लिए बहुत हानिकारक होता है क्योंकि इससे उनके स्वास्थ्य को कई बीमारियों का रिस्क हो सकता है जैसे मोटापा और डायबिटीज, ब्लड प्रेशर। यह खाना काफी एडिक्टिव होता है इसलिए बच्चों को इनकी आदत भी लग सकती है। इसलिए ज्यादातर फ्राइड फूड जैसे फ्रेंच फ्राइज़, फ्राइड चिकन आदि लंच में देने से बचें।
अक्सर माता-पिता जल्दबाजी में रात का बचा हुआ खाना बच्चों को लंच बॉक्स में पैक करके दे देते हैं। गर्मी के दिनों में खाना टिफिन में बंद पड़ा-पड़ा जल्दी खराब हो जाता है और बदबू मारने लगता है। इस बात की भी संभावना होती है कि खाना जल्द ही खराब हो सकता है और बच्चों को इसका एहसास नहीं हो सकता है। इससे फूड प्वाइजनिंग भी हो सकती है।
पैकेड स्नैक्स
अगर आपका बच्चा हाई प्रोसेस्ड स्नैक्स जैसे की चिप्स, कुकीज और पैक्ड फूड खाने की जिद करता है तो उन्हें ऐसा कभी कभार आप दे सकती हैं लेकिन इन्हें लंचबॉक्स में देने से बचें।क्योंकि इनमें नमक, शुगर और अन हेल्दी फैट्स आदि की मात्रा काफी ज्यादा होती है। जिन्हें खाने से मोटापा और दूसरी बीमारी होने का खतरा रहता है।
मेयोनीज को अवॉइड करें
आजकल लोग स्वाद के चक्कर सैंडविच, सलाद और पास्ता में जरुरत से ज्यादा मेयोनीज का इस्तेमाल करने लगे हैं। अगर आप बच्चें को कुछ क्रीमी स्नैक्स या लंच देना चाहते हैं तो मेयोनीज की जगह नींबू, हंग कर्ड और ग्रीक योगर्ट का इस्तेमाल कर सकते हैं। मेयोनीज में बहुत ज्यादा कैलोरी, फैट बहुत अधिक होती है, इसलिए इसके नियमित सेवन करने से बच्चे का वजन बढ़ सकता है। एक चम्मच मेयोनीज में 100 ग्राम कैलोरी होती है।
बच्चों के लिए एक आइडियल लंच बॉक्स वो होता है, जो सेहतभरा, स्वादिष्ट और खाने में आसान हो। आप चाहे तो बच्चें को एग सैंडविच या पराठा बनाकर दे सकती हैं। दही या पनीर से बने डिशेज ट्राय कर सकती हैं। इसके अलावा चीले खाने में टेस्टी और हेल्दी होते हैं। बच्चे सिर्फ टेस्टी और अट्रेक्टिव फूड आइटम्स खाना पसंद करते हैं, इसलिए आप रोजमर्रा की सब्जियों के साथ एक्सपैरिमेंट करना शुरु कर दें, ताकि बच्चा इन्हें खाने से मुंह न बनाएं।